Discuss the problem of Centre-State relations in India and its prospects in future, with special reference to Bihar. Examine as to how the problem can be constructively handled in tune with cooperative federalism. [67th BPSC Main Exam 2022]
बिहार के विशेष संदर्भ में भारत में केन्द्र-राज्य संबंधों की समस्या और भविष्य में इसकी संभावनाएँ प्रस्तावना भारत में केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का बंटवारा संविधान में स्पष्ट रूप से किया गया है। फिर भी, समय-समय पर केन्द्र-राज्य संबंधों में तनाव और समस्याएँ उत्पन्न होती रहती हैं, जो देश कRead more
बिहार के विशेष संदर्भ में भारत में केन्द्र-राज्य संबंधों की समस्या और भविष्य में इसकी संभावनाएँ
प्रस्तावना
भारत में केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का बंटवारा संविधान में स्पष्ट रूप से किया गया है। फिर भी, समय-समय पर केन्द्र-राज्य संबंधों में तनाव और समस्याएँ उत्पन्न होती रहती हैं, जो देश के संघीय ढांचे को चुनौती देती हैं। बिहार राज्य के संदर्भ में यह समस्या विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि बिहार का सामाजिक-आर्थिक ढांचा, राज्य सरकार की प्राथमिकताएँ, और राज्य की राजनीतिक स्थिति केन्द्र के साथ संबंधों को प्रभावित करती हैं।
इस लेख में हम बिहार के संदर्भ में केन्द्र-राज्य संबंधों की समस्याओं का विश्लेषण करेंगे और यह देखेंगे कि कैसे सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) के सिद्धांत के तहत इन समस्याओं को रचनात्मक रूप से हल किया जा सकता है।
केन्द्र-राज्य संबंधों की प्रमुख समस्याएँ
- वित्तीय असंतुलन:
- बिहार एक गरीब राज्य है, जो केंद्र से विशेष वित्तीय सहायता की मांग करता है। राज्य की आय में केंद्र का हिस्सा और वित्तीय सहायता के लिए राज्य सरकार को अक्सर संघर्ष करना पड़ता है।
- उदाहरण: बिहार को अपने विकास के लिए केंद्र से ज्यादा वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा इसे हमेशा प्राथमिकता नहीं दी जाती है, जिससे राज्य की विकास गति धीमी रहती है।
- राज्य अधिकारों की सीमाएँ:
- संविधान के तहत राज्यों को विभिन्न क्षेत्रों में अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन केंद्र सरकार कई बार उन अधिकारों का उल्लंघन करती है या हस्तक्षेप करती है।
- उदाहरण: बिहार सरकार की कृषि नीतियाँ केंद्र के कृषि कानूनों से टकराई थीं, जिसके कारण राज्य और केंद्र के बीच विवाद उत्पन्न हुआ।
- केंद्र सरकार की योजनाओं में राज्य की भूमिका:
- केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई योजनाएँ राज्य सरकारों के लिए बाधक हो सकती हैं, क्योंकि इन योजनाओं का क्रियान्वयन और शर्तें राज्यों की वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं होतीं।
- उदाहरण: बिहार को कई बार केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में वित्तीय सहायता की कमी का सामना करना पड़ा है, जबकि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधारने के लिए अधिक धन की आवश्यकता थी।
- कानूनी और प्रशासनिक हस्तक्षेप:
- केन्द्र सरकार का कई बार राज्यों के मामलों में कानूनी और प्रशासनिक हस्तक्षेप करना केंद्र-राज्य संबंधों में तनाव का कारण बनता है।
- उदाहरण: बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार पर दबाव बनाना राज्य की स्वायत्तता पर सवाल उठाता है।
भविष्य में केन्द्र-राज्य संबंधों की संभावनाएँ
- सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism):
- केन्द्र-राज्य संबंधों में सुधार के लिए सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना आवश्यक है। इस सिद्धांत के तहत, केंद्र और राज्य एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, और दोनों स्तरों पर सरकारों का सहयोग बढ़ता है।
- उदाहरण: 14वें वित्त आयोग के तहत राज्यों को उनके हिस्से का अधिक हिस्सा मिलने से राज्यों को अधिक वित्तीय स्वतंत्रता मिली है, जिससे सहकारी संघवाद को बढ़ावा मिला है।
- राज्यों की भूमिका को सशक्त बनाना:
- केन्द्र सरकार को राज्य सरकारों की स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए और उन्हें अपने विकास की दिशा में फैसले लेने की स्वतंत्रता देनी चाहिए।
- उदाहरण: बिहार में राज्य सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर विशेष ध्यान देने के कारण राज्य की स्थिति में सुधार हुआ है, जो राज्यों के स्वायत्त अधिकारों का उदाहरण है।
- समयबद्ध संवाद और सहयोग:
- केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच समय-समय पर संवाद और सहयोग का आयोजन करना चाहिए ताकि समस्याओं का समाधान मिल सके।
- उदाहरण: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार के बीच संवाद के माध्यम से कई राज्यों की समस्याओं का समाधान किया गया है, जैसे कि रेल कनेक्टिविटी और सड़क परियोजनाओं के संबंध में।
सहकारी संघवाद के अनुरूप समस्या का रचनात्मक समाधान
- आर्थिक सहयोग और वित्तीय संसाधनों का वितरण:
- बिहार जैसे राज्यों के लिए केन्द्र को अधिक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। सहकारी संघवाद का सिद्धांत यह सिखाता है कि केंद्र और राज्य मिलकर देश के समग्र विकास के लिए कार्य करें।
- उदाहरण: केंद्र द्वारा बिहार को विशेष पैकेज और वित्तीय सहायता देने से राज्य के विकास को गति मिल सकती है।
- राज्यों की प्राथमिकताओं का सम्मान:
- राज्यों की अपनी विशेष प्राथमिकताएँ होती हैं, जिनका सम्मान करना चाहिए। केंद्र को राज्य सरकारों के साथ मिलकर योजनाओं का निर्माण करना चाहिए, ताकि वे राज्य की वास्तविक जरूरतों को पूरा कर सकें।
- उदाहरण: बिहार सरकार को कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष योजनाओं की आवश्यकता है, जो केंद्र द्वारा राज्यों के साथ समन्वय से तैयार की जा सकती हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) का सीमित उपयोग:
- केंद्र द्वारा अनुच्छेद 356 का उपयोग केवल अत्यंत आवश्यक स्थिति में किया जाना चाहिए। राज्यों को अपनी सरकारें बनाए रखने और विकास की दिशा में स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अवसर मिलना चाहिए।
निष्कर्ष
बिहार के संदर्भ में भारत में केन्द्र-राज्य संबंधों की समस्या मुख्यतः वित्तीय असंतुलन, राज्यों के अधिकारों की सीमाएँ और केंद्र सरकार की योजनाओं में राज्य की भूमिका के कारण उत्पन्न होती है। भविष्य में इन समस्याओं का समाधान सहकारी संघवाद के सिद्धांत के अनुरूप किया जा सकता है, जहाँ केंद्र और राज्य एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करें। राज्यों को अधिक स्वायत्तता, अधिक वित्तीय संसाधन, और उनकी प्राथमिकताओं का सम्मान देने से इस संबंध में सुधार हो सकता है। बिहार जैसे राज्यों के लिए यह आवश्यक है कि केंद्र और राज्य मिलकर देश के समग्र विकास के लिए कार्य करें।
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Centre-State relations in India have been a key concern since the country’s independence. The Constitution of India provides a framework for federal governance, distributing powers between the central government and states. However, the balance of power has often led to tensions, especially in termsRead more
Centre-State relations in India have been a key concern since the country’s independence. The Constitution of India provides a framework for federal governance, distributing powers between the central government and states. However, the balance of power has often led to tensions, especially in terms of governance, fiscal issues, and political autonomy. In this context, states like Bihar face unique challenges in managing their relationship with the Centre. This essay discusses the problems in Centre-State relations, particularly in Bihar, and examines how these issues can be resolved in line with cooperative federalism.
Problems in Centre-State Relations
Centre-State relations in India face several challenges that have implications for governance and policy implementation. These problems can be categorized as follows:
1. Centralization of Power
2. Financial Dependence of States
3. Political and Administrative Interference
Prospects for Centre-State Relations
While challenges exist, there is a growing recognition of the need for better coordination and cooperation between the Centre and states. This can be achieved through:
1. Cooperative Federalism
2. Increased Financial Autonomy for States
3. Decentralization of Governance
Constructive Handling of Centre-State Issues in Line with Cooperative Federalism
The challenges in Centre-State relations can be constructively addressed by adopting the following strategies:
1. Greater Consultation and Dialogue
2. Reforming the Finance Commission
3. Enhancing Legislative Autonomy