समुद्री हीटवेव की उत्पति के लिए उत्तरदायी कारणों की व्याख्या कीजिए। उन तरीकों पर चर्चा कीजिए जिनसे वे समुद्री पारितंत्र को प्रभावित कर सकती हैं और आर्थिक तक पहुंचा सकती हैं।(250 शब्दों में उत्तर दें)
जलवायु परिवर्तन भारत में भुखमरी और कुपोषण की समस्याओं को गहराता जा रहा है, जिससे 2030 तक शून्य भुखमरी प्राप्त करने की प्रतिबद्धता पर गंभीर चुनौती उत्पन्न हो रही है। कृषि उत्पादन पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के पैटर्न में अनिश्चितता, सूखा, बाढ़, और अनियमित मानसून जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रRead more
जलवायु परिवर्तन भारत में भुखमरी और कुपोषण की समस्याओं को गहराता जा रहा है, जिससे 2030 तक शून्य भुखमरी प्राप्त करने की प्रतिबद्धता पर गंभीर चुनौती उत्पन्न हो रही है।
कृषि उत्पादन पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के पैटर्न में अनिश्चितता, सूखा, बाढ़, और अनियमित मानसून जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। ये समस्याएं कृषि उत्पादन को सीधे प्रभावित करती हैं, जिससे फसल की पैदावार घटती है। भारत की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, और जब उत्पादन घटता है तो खाद्य सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।
पोषण गुणवत्ता में गिरावट: जलवायु परिवर्तन से मिट्टी की गुणवत्ता में कमी, जल की कमी और तापमान में वृद्धि होती है, जिससे फसलों की पोषण गुणवत्ता प्रभावित होती है। पोषक तत्वों की कमी से बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
आर्थिक असमानता और खाद्य पहुंच: जलवायु परिवर्तन के चलते किसानों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है, जिससे वे कर्ज और गरीबी के दलदल में फंस रहे हैं। इस आर्थिक असमानता से गरीब और हाशिये पर खड़े लोग पोषणयुक्त खाद्य सामग्री तक पहुंच नहीं बना पाते, जिससे भुखमरी और कुपोषण की समस्या और बढ़ जाती है।
सरकार की प्रतिबद्धता पर असर: भारत ने 2030 तक शून्य भुखमरी प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन जलवायु परिवर्तन इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधा बन रहा है। इसके लिए आवश्यक है कि भारत जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाए, खाद्य वितरण प्रणालियों को मजबूत करे और कुपोषण से लड़ने के लिए नए नीतिगत प्रयास करे।
समग्र रूप से, जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियां भारत के लिए खाद्य सुरक्षा और पोषण को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण बाधा हैं, जिनका समाधान किए बिना शून्य भुखमरी का लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
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समुद्री हीटवेव (Marine Heatwaves) तब उत्पन्न होती हैं जब समुद्र के सतही तापमान में असामान्य और निरंतर वृद्धि होती है, जो दिनों से लेकर महीनों तक बनी रह सकती है। इसके उत्पत्ति के लिए कई कारक उत्तरदायी होते हैं: कारण: जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे समुद्रीRead more
समुद्री हीटवेव (Marine Heatwaves) तब उत्पन्न होती हैं जब समुद्र के सतही तापमान में असामान्य और निरंतर वृद्धि होती है, जो दिनों से लेकर महीनों तक बनी रह सकती है। इसके उत्पत्ति के लिए कई कारक उत्तरदायी होते हैं:
कारण:
जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे समुद्री हीटवेव अधिक सामान्य और तीव्र हो रही हैं।
स्थानीय मौसम पैटर्न: अल नीनो जैसी मौसमी घटनाएं समुद्री जल के तापमान में वृद्धि का कारण बनती हैं। इन घटनाओं के दौरान, गर्म पानी समुद्र की सतह पर इकट्ठा हो जाता है, जिससे हीटवेव की स्थिति उत्पन्न होती है।
समुद्री धाराओं में परिवर्तन: समुद्री धाराओं में परिवर्तन के कारण गर्म पानी का संचलन समुद्र की सतह पर बढ़ सकता है, जिससे तापमान में वृद्धि होती है।
प्राकृतिक घटनाएं: ज्वालामुखीय विस्फोट या अन्य प्राकृतिक घटनाएं समुद्री तापमान को अस्थायी रूप से बढ़ा सकती हैं।
प्रभाव:
समुद्री पारितंत्र पर प्रभाव: समुद्री हीटवेव कोरल रीफ्स के लिए विनाशकारी हो सकती हैं, जिससे कोरल ब्लीचिंग होती है और उनकी मृत्यु हो सकती है। यह मछलियों और अन्य समुद्री जीवों की आबादी को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे जैव विविधता में कमी आ सकती है।
मत्स्य पालन पर प्रभाव: समुद्री जीवों की मृत्यु और आबादी में कमी से मछली पकड़ने की उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह आर्थिक रूप से उन समुदायों को प्रभावित करता है जो मत्स्य पालन पर निर्भर होते हैं।
समुद्री पर्यटन पर प्रभाव: कोरल रीफ्स और अन्य समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों के नुकसान से पर्यटन प्रभावित होता है, जिससे संबंधित क्षेत्रों में रोजगार और आय में कमी आ सकती है।
इस प्रकार, समुद्री हीटवेव न केवल पर्यावरणीय बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी गंभीर चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं, जो स्थानीय और वैश्विक स्तर पर प्रभावित कर सकती हैं।
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