भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी कीजिए और रामसर स्थलों में शामिल अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की भारत की कुछ आर्द्रभूमियों के नाम लिखिए। (250 words) [UPSC 2023]
तटीय बालू खनन के प्रभाव 1. पर्यावरणीय क्षति: बालू कटाव और आवास हानि: तटीय बालू खनन के कारण बालू कटाव और कोस्टल हैबिटेट की हानि होती है। केरल के कोल्लम में बालू खनन से तटीय क्षति और पर्यावरणीय असंतुलन देखा गया है। 2. मरीन जीवन पर प्रभाव: मरीन पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश: बालू खनन से मरीन पारिस्थितिकीRead more
तटीय बालू खनन के प्रभाव
1. पर्यावरणीय क्षति:
- बालू कटाव और आवास हानि: तटीय बालू खनन के कारण बालू कटाव और कोस्टल हैबिटेट की हानि होती है। केरल के कोल्लम में बालू खनन से तटीय क्षति और पर्यावरणीय असंतुलन देखा गया है।
2. मरीन जीवन पर प्रभाव:
- मरीन पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश: बालू खनन से मरीन पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है। गुजरात के सौराष्ट्र तट पर खनन गतिविधियों से समुद्री प्रजातियाँ और प्रजनन स्थल प्रभावित हुए हैं।
3. जल गुणवत्ता में गिरावट:
- प्रदूषण और अवसादन: बालू खनन से जल प्रदूषण और अवसादन बढ़ता है। तमिलनाडु में खनन ने जल गुणवत्ता में गिरावट और स्थानीय मछली पालन को प्रभावित किया है।
4. वैध और अवैध खनन:
- नियमित चुनौतियाँ: भारत में वैध और अवैध दोनों प्रकार के खनन कार्य होते हैं। गोवा में अवैध खनन ने पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचाया है।
5. सुधारात्मक उपाय:
- नियामक कार्रवाई: कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन (CRZ) नियम और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देश अवैध खनन को नियंत्रित करने और स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए लागू किए गए हैं।
इन प्रभावों से सभी तटीय क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और स्थायी प्रबंधन की आवश्यकता स्पष्ट होती है।
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भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP): भारत सरकार ने 1985 में राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में आर्द्रभूमियों की सुरक्षा और संरक्षण करना है। यह कार्यक्रम आर्द्रभRead more
भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी
राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP):
भारत सरकार ने 1985 में राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में आर्द्रभूमियों की सुरक्षा और संरक्षण करना है। यह कार्यक्रम आर्द्रभूमियों के महत्व को मान्यता देते हुए उनकी रक्षा और प्रबंधन के लिए विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
मुख्य उद्देश्य:
रामसर स्थलों में शामिल भारत की आर्द्रभूमियाँ:
भारत ने कई आर्द्रभूमियों को रामसर स्थलों के रूप में मान्यता दी है, जो अंतर्राष्ट्रीय महत्व की होती हैं। इनमें शामिल हैं:
हाल की पहल:
हाल ही में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय आर्द्रभूमि सूची और मूल्यांकन परियोजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों की सूची को अद्यतन और सुधारना है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्ययोजना आर्द्रभूमि प्रबंधन को व्यापक पर्यावरणीय नीतियों और कार्यक्रमों के साथ एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
संक्षेप में, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम भारत की आर्द्रभूमियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और रामसर स्थलों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियाँ भारत के प्राकृतिक संसाधनों की अमूल्य धरोहर हैं।
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