बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। व्याख्या कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश में स्थापित प्रथम आयुष विश्वविद्यालय के स्वरूप और उद्देश्यों की विवेचना परिचय उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय 2021 में गोरखपुर में स्थापित किया गया, जिसका नाम महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, आयुष विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, औRead more
उत्तर प्रदेश में स्थापित प्रथम आयुष विश्वविद्यालय के स्वरूप और उद्देश्यों की विवेचना
परिचय
उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय 2021 में गोरखपुर में स्थापित किया गया, जिसका नाम महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, आयुष विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी (AYUSH) चिकित्सा प्रणालियों के शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
आयुष विश्वविद्यालय का स्वरूप
- पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित: यह विश्वविद्यालय AYUSH चिकित्सा प्रणालियों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करता है। यह आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी में शिक्षा के साथ-साथ योग और प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है। इसका उद्देश्य आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान के साथ प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों का समन्वय करना है।
- अंतरविषयी शिक्षा: विश्वविद्यालय का लक्ष्य पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों को जोड़ते हुए समग्र स्वास्थ्य समाधान प्रदान करना है। यह विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।
आयुष विश्वविद्यालय के उद्देश्य
- अनुसंधान और विकास: विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य आयुष चिकित्सा प्रणालियों में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। यह आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा पद्धतियों के वैज्ञानिक सत्यापन पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे कि कोविड-19 के उपचार पर हालिया अनुसंधान।
- स्वास्थ्य देखभाल में समन्वय: यह संस्थान आयुष प्रणालियों को मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल के साथ एकीकृत करने का प्रयास कर रहा है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ती और सुलभ चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना राज्य की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देने, अनुसंधान को प्रोत्साहन देने और आधुनिक चिकित्सा के साथ समन्वय करके स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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उत्तर प्रदेश का बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण स्थान 1. ऐतिहासिक महत्त्व: उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक दृष्टि से बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में एक केंद्रीय स्थान है। सारनाथ, जो आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है, बौद्ध धर्म के प्रारंभिक और महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था। यहाँ गौRead more
उत्तर प्रदेश का बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण स्थान
1. ऐतिहासिक महत्त्व: उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक दृष्टि से बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में एक केंद्रीय स्थान है। सारनाथ, जो आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है, बौद्ध धर्म के प्रारंभिक और महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था। यहाँ गौतम बुद्ध ने अपने पहले उपदेश, जिसे धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है, दिया था। इस घटना ने बौद्ध धर्म के विकास की दिशा तय की।
2. बौद्ध स्थल और स्तूप: उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म से संबंधित कई महत्वपूर्ण स्थल हैं, जैसे सारनाथ में धर्मराजिका स्तूप, मगध के नालंदा विश्वविद्यालय, और कुशीनगर में बुद्ध की महापरिनिर्वाण की जगह। इन स्थलों पर बौद्ध धर्म के अनुयायी और अध्ययनार्थी विश्वभर से आते हैं।
3. ऐतिहासिक अनुसंधान और उत्खनन: 19वीं और 20वीं सदी में उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म से संबंधित महत्त्वपूर्ण उत्खनन और अनुसंधान किए गए। जैसे कि अलेक्जेंडर कनिंघम और फ्रांसिस बुकानन के प्रयासों ने बौद्ध स्थलों और स्तूपों की खोज को प्रोत्साहित किया।
4. बौद्ध धर्म के प्रसार में योगदान: उत्तर प्रदेश ने बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1950 के दशक में बौद्ध धर्म को अपनाया और इसके प्रति लोगों को जागरूक किया। उनके प्रयासों से विशेष रूप से दलित समुदाय में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रसार हुआ।
5. पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व: उत्तर प्रदेश में बौद्ध स्थलों का पर्यटन भी महत्वपूर्ण है। सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा इन स्थलों के संरक्षण और विकास के प्रयास किए गए हैं, जिससे बौद्ध धर्म के प्रचार में योगदान मिला है।
संक्षेप में, उत्तर प्रदेश का बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। इसके प्रमुख स्थलों और ऐतिहासिक अनुसंधानों ने बौद्ध धर्म को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया है।
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