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केस स्टडी
घरेलू महिला हिंसा की स्पष्टता घरेलू हिंसा महिलाओं के खिलाफ शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मौखिक, यौन और आर्थिक हिंसा को संदर्भित करती है। यह घरेलू जीवन में महिलाओं को हिंसा और अपमान का शिकार बनाती है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति प्रभावित होती है। शिक्षा और महिला हिंसा का संबंध अशिक्षा घरेलू हिंRead more
घरेलू महिला हिंसा की स्पष्टता
घरेलू हिंसा महिलाओं के खिलाफ शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मौखिक, यौन और आर्थिक हिंसा को संदर्भित करती है। यह घरेलू जीवन में महिलाओं को हिंसा और अपमान का शिकार बनाती है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति प्रभावित होती है।
शिक्षा और महिला हिंसा का संबंध
अशिक्षा घरेलू हिंसा को बढ़ावा देती है। शिक्षा के अभाव में महिलाएँ अपने अधिकारों और घरेलू हिंसा के खिलाफ कदम उठाने के तरीके नहीं जान पातीं। अगर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया जाए, तो वे हिंसा को स्वीकारने के बजाय विरोध कर सकती हैं।
समाज में महिला हिंसा के समाधान
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005
यह अधिनियम घरेलू हिंसा को रोकने और महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए बनाया गया है। इसके तहत महिलाओं को कानूनी सुरक्षा, आर्थिक सहायता और शारीरिक हिंसा से बचाव की सुविधा दी जाती है।
लॉकडाउन के दौरान महिला हिंसा में वृद्धि
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को उनके अभ्यूक्तों के साथ घर में बंद रहना पड़ा, जिससे हिंसा की घटनाएँ बढ़ गई। आर्थिक तनाव, मानसिक दबाव, और सामाजिक अलगाव इसके प्रमुख कारण थे।
See lessलोकपाल की नियुक्ति कैसे की जाती है और लोकपाल के कार्यों का दायरा क्या हैं ?
लोकपाल की नियुक्ति कैसे की जाती है? लोकपाल की नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा की जाती है, जिसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं: प्रधानमंत्री लोकसभा में विपक्ष के नेता भारत के मुख्य न्यायाधीश (या सुप्रीम कोर्ट का कोई न्यायाधीश) एक प्रसिद्ध कानून विशेषज्ञ इस समिति की सिफारिश पर, राष्ट्रपति लोकपाल और उसके सदसRead more
लोकपाल की नियुक्ति कैसे की जाती है?
लोकपाल की नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा की जाती है, जिसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं:
इस समिति की सिफारिश पर, राष्ट्रपति लोकपाल और उसके सदस्यों को नियुक्त करते हैं। चयन प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि चुने गए व्यक्ति भ्रष्टाचार से निपटने में सक्षम और ईमानदार हों।
लोकपाल के कार्यों का दायरा:
लोकपाल के कार्यों में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ हैं:
निष्कर्ष
See lessलोकपाल एक महत्वपूर्ण संस्था है जो सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करती है और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाती है।
सुशासन की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए ।
सुशासन की प्रमुख विशेषताएँ सुशासन का अर्थ है एक ऐसे प्रशासनिक व्यवस्था का होना, जिसमें पारदर्शिता, जिम्मेदारी और समावेशिता प्रमुखता से काम करती है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर शासन करने का एक तरीका है। 1. पारदर्शिता (Transparency) सरकार के निर्णयों और नीतियों में स्पष्टता होनी चाहिए, ताकि जनताRead more
सुशासन की प्रमुख विशेषताएँ
सुशासन का अर्थ है एक ऐसे प्रशासनिक व्यवस्था का होना, जिसमें पारदर्शिता, जिम्मेदारी और समावेशिता प्रमुखता से काम करती है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर शासन करने का एक तरीका है।
1. पारदर्शिता (Transparency)
2. जवाबदेही (Accountability)
3. न्यायसंगत (Equity)
4. समान नागरिक अधिकार (Equal Rights)
5. प्रभावी प्रशासन (Effective Administration)
निष्कर्ष:
See lessसुशासन सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि सभी सरकारी कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही, और समानता हो। इससे जनता का विश्वास बढ़ता है और एक सशक्त लोकतंत्र का निर्माण होता है।
अभिवृत्तियों (मनोवृत्तियों) का निर्माण कैसे होता हैं? अभिवृत्ति (मनोवृत्ति) परिवर्तन के हाइडर और फेस्टिंगर के सिद्धान्तों को समझाइये ।
अभिवृत्तियों का निर्माण अभिवृत्तियाँ (मनोवृत्तियाँ) अनुभवों, सामाजिक प्रभावों, और मानसिक प्रक्रियाओं के आधार पर बनती हैं। यह प्रक्रिया व्यक्ति की सोच, भावना, और व्यवहार को प्रभावित करती है, जो किसी व्यक्ति, वस्तु, या घटना के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण करती हैं। हाइडर का संतुलनRead more
अभिवृत्तियों का निर्माण
अभिवृत्तियाँ (मनोवृत्तियाँ) अनुभवों, सामाजिक प्रभावों, और मानसिक प्रक्रियाओं के आधार पर बनती हैं। यह प्रक्रिया व्यक्ति की सोच, भावना, और व्यवहार को प्रभावित करती है, जो किसी व्यक्ति, वस्तु, या घटना के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण करती हैं।
हाइडर का संतुलन सिद्धान्त (Balance Theory)
हाइडर का सिद्धान्त यह मानता है कि लोग अपने दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखना पसंद करते हैं। यदि किसी व्यक्ति को किसी वस्तु या व्यक्ति से जुड़ा अच्छा अनुभव होता है, तो वे उसे पसंद करेंगे। उदाहरण के लिए, यदि किसी को किसी विशेष ब्रांड का उत्पाद पसंद है और उसका प्रिय मित्र भी उसे पसंद करता है, तो वे उस उत्पाद को और अधिक पसंद करेंगे।
फेस्टिंगर का संज्ञानात्मक असंतुलन सिद्धान्त (Cognitive Dissonance Theory)
फेस्टिंगर का सिद्धान्त बताता है कि जब किसी व्यक्ति के विचार और कार्यों में असंतुलन होता है, तो यह असंतुलन मानसिक तनाव उत्पन्न करता है। इसे दूर करने के लिए व्यक्ति अपने दृष्टिकोणों में परिवर्तन कर लेता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति स्वास्थ्य के लिए सचेत है लेकिन धूम्रपान करता है, तो वह या तो धूम्रपान को छोड़ देगा या इसके हानिकारक प्रभावों को कम करके देखेगा।
निष्कर्ष
इन सिद्धान्तों से यह स्पष्ट होता है कि अभिवृत्तियाँ व्यक्तिगत अनुभवों, सामाजिक सम्बन्धों और मानसिक असंतुलन के आधार पर विकसित और परिवर्तित होती हैं।
See lessजनजातीय क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव की समस्या स्पष्ट कीजिए ।
जनजातीय क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव की समस्या परिचय: जनजातीय क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव की समस्या गंभीर है, जो स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच और सांस्कृतिक बाधाओं के कारण उत्पन्न होती है। समस्याएँ: सुविधाओं की कमी: कई जनजातीय क्षेत्रों में प्रसव के लिए अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र नहीं होते, जिससRead more
जनजातीय क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव की समस्या
परिचय: जनजातीय क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव की समस्या गंभीर है, जो स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच और सांस्कृतिक बाधाओं के कारण उत्पन्न होती है।
समस्याएँ:
किशोरी शक्ति योजना क्या है? मध्य प्रदेश में इस योजना की स्थिति स्पष्ट कीजिए ।
किशोरी शक्ति योजना क्या है? उद्देश्य: किशोरी शक्ति योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जो किशोरियों (10-19 वर्ष) के विकास और सशक्तिकरण पर केंद्रित है। इसका मुख्य उद्देश्य किशोरियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के लिए सहायता प्रदान करना है। मध्य प्रदेश में स्थिति: स्वास्थ्य और पोषण: मध्य प्रदRead more
किशोरी शक्ति योजना क्या है?
उद्देश्य: किशोरी शक्ति योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जो किशोरियों (10-19 वर्ष) के विकास और सशक्तिकरण पर केंद्रित है। इसका मुख्य उद्देश्य किशोरियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के लिए सहायता प्रदान करना है।
मध्य प्रदेश में स्थिति:
विस्थापन विकास का परिणाम है।' स्पष्ट कीजिए ।
विस्थापन विकास का परिणाम है विस्थापन का अर्थ है लोगों का अपने स्थान से हटना, जो अक्सर विकास परियोजनाओं के कारण होता है। विकास के तहत नए बांध, सड़कें और औद्योगिक क्षेत्र बनते हैं। मुख्य बिंदु: संवेदनशीलता: कई बार विकास के लिए आवासों को तोड़ना पड़ता है, जिससे लोग बेघर हो जाते हैं। आर्थिक प्रभाव: विस्थRead more
विस्थापन विकास का परिणाम है
विस्थापन का अर्थ है लोगों का अपने स्थान से हटना, जो अक्सर विकास परियोजनाओं के कारण होता है। विकास के तहत नए बांध, सड़कें और औद्योगिक क्षेत्र बनते हैं।
मुख्य बिंदु:
विस्थापन का सही प्रबंधन आवश्यक है ताकि विकास से प्रभावित लोगों की जरूरतों का ध्यान रखा जा सके।
See lessभारत में वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या के सामाजिक कारणों की चर्चा कीजिए ।
वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या के सामाजिक कारण भारत में वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ने के कई सामाजिक कारण हैं: परिवार संरचना में बदलाव पारंपरिक joint family प्रणाली का क्षय हो रहा है। अब युवा पीढ़ी नौकरी के कारण शहरों में रहने लगी है, जिससे बुजुर्गों की देखभाल में कमी आई है। आर्थिक दबाव बढ़ती महंगाई औरRead more
वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या के सामाजिक कारण
भारत में वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ने के कई सामाजिक कारण हैं:
पारंपरिक joint family प्रणाली का क्षय हो रहा है। अब युवा पीढ़ी नौकरी के कारण शहरों में रहने लगी है, जिससे बुजुर्गों की देखभाल में कमी आई है।
बढ़ती महंगाई और आर्थिक कठिनाइयों के कारण, कई परिवार बुजुर्गों को आश्रय गृह में भेजने को मजबूर हैं।
वृद्धावस्था में स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ती हैं, जिससे बुजुर्गों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है, जो परिवार में हमेशा संभव नहीं होती।
इन कारणों से वृद्धाश्रमों का प्रचलन बढ़ रहा है।
See lessवैश्विक परिप्रेक्ष्य में उच्च शिक्षा संस्थानों में मूल्य शिक्षा की आवश्यकता पर एक टिप्पणी लिखिए ।
उच्च शिक्षा संस्थानों में मूल्य शिक्षा की आवश्यकता वैश्विक परिप्रेक्ष्य उच्च शिक्षा में मूल्य शिक्षा की आवश्यकता आज की तेजी से बदलती दुनिया में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह छात्रों को नैतिकता, जिम्मेदारी और सहानुभूति सिखाती है। महत्वपूर्ण बिंदु सामाजिक एकता: मूल्य शिक्षा से विभिन्न पृष्ठभूमियों के छात्रRead more
उच्च शिक्षा संस्थानों में मूल्य शिक्षा की आवश्यकता
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
उच्च शिक्षा में मूल्य शिक्षा की आवश्यकता आज की तेजी से बदलती दुनिया में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह छात्रों को नैतिकता, जिम्मेदारी और सहानुभूति सिखाती है।
महत्वपूर्ण बिंदु
उदाहरण
उदाहरण के लिए, जब छात्र सामुदायिक सेवा में भाग लेते हैं, तो वे न केवल ज्ञान अर्जित करते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित होते हैं।
इस प्रकार, उच्च शिक्षा संस्थानों में मूल्य शिक्षा एक सशक्त और जिम्मेदार नागरिक बनाने में सहायक होती है।
See lessअति निर्धन बच्चों के शैक्षिक विकास में आर.टी.ई. अधिनियम की भूमिका स्पष्ट कीजिए ।
आर.टी.ई. अधिनियम की भूमिका परिचय आर.टी.ई. अधिनियम, यानी 'शिक्षा का अधिकार अधिनियम', 2009 में लागू हुआ। इसका उद्देश्य सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है, विशेष रूप से अति निर्धन बच्चों के लिए। भूमिका समानता: यह अधिनियम सभी बच्चों को समान शैक्षिक अवसर प्रदान करता है, जिससे निर्धन बचRead more
आर.टी.ई. अधिनियम की भूमिका
परिचय
आर.टी.ई. अधिनियम, यानी ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’, 2009 में लागू हुआ। इसका उद्देश्य सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है, विशेष रूप से अति निर्धन बच्चों के लिए।
भूमिका
इस प्रकार, आर.टी.ई. अधिनियम अति निर्धन बच्चों के शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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