- अनौपचारिक क्षेत्र की भूमिका: भारत का अनौपचारिक क्षेत्र 93% कार्यबल को रोजगार देता है।
- हालिया विकास: 2023-24 में प्रतिष्ठानों में 12.84%, कार्यबल में 10.01% और GVA में 16.52% की वृद्धि की संभावना।
औपचारिकीकरण की वर्तमान स्थिति
- परिभाषा: अनौपचारिक आर्थिक गतिविधियों को सरकार के नियामक ढाँचे में लाना।
- GDP में औपचारिक हिस्सेदारी: 2024 में औपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 56% तक बढ़ी।
- करदाता वृद्धि: 2013 में 51 मिलियन से 2022 में 90 मिलियन तक।
श्रम बाजार में औपचारिकीकरण
- EPFO पंजीकरण: सितंबर 2017 से जुलाई 2024 में 6.91 करोड़ नए सदस्य जुड़े।
- महिलाओं की भागीदारी: बढ़ती हुई महिला भागीदारी और युवाओं का प्रवेश।
अनौपचारिक क्षेत्र की चुनौतियाँ
- सूक्ष्म और लघु उद्यमों का प्रभुत्व: अनुपालन की लागत और कराधान के डर से औपचारिकीकरण में रुचि कम।
- कठोर श्रम कानून: कर्मचारी सीमा पार करने पर अनुपालन का डर, जिससे औपचारिकता में रुकावट।
- बुनियादी अवसंरचना की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी की कमी।
- औपचारिक रोजगार योजनाओं की अपवर्जन डिजाइन: ELI योजनाओं में अनौपचारिक नियोक्ताओं के लिए बाधाएँ।
- लिंग आधारित बाधाएँ: महिलाओं का औपचारिक श्रम बाजार में प्रवेश कठिन।
उपाय
- अनुपालन कार्यढाँचे को युक्तिसंगत बनाना: सूक्ष्म उद्यमों के लिए सरल प्रक्रिया।
- ELI योजनाओं का विस्तार: अनौपचारिक क्षेत्र के नियोक्ताओं को शामिल करना।
- स्थानीयकृत क्लस्टर-आधारित रणनीति: क्षेत्र विशेष पैकेजों की पेशकश।
- लिंग-संवेदनशील औपचारिकीकरण: महिला उद्यमियों के लिए विशेष कार्यक्रम।
- डिजिटल और वित्तीय पता लगाने को प्रोत्साहित करना: GST छूट और अन्य प्रोत्साहनों के माध्यम से।
आगे की राह
- समावेशी विकास की आवश्यकता: भारत को औपचारिकीकरण में तेजी लाने के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
- लास्ट-माइल कनेक्टिविटी: लाखों श्रमिकों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने के लिए महत्वपूर्ण।