- केंद्रीय बजट 2025-26 में जनजातीय कल्याण के लिए 46% की वृद्धि।
- प्रमुख पहलों में पीएम जनमन, DA-JGUA, और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय शामिल हैं।
जनजातीय समुदायों का महत्त्व
- जैव विविधता और वन संरक्षण
- आदिवासी समुदाय पारंपरिक ज्ञान के माध्यम से वन और जैव विविधता की रक्षा करते हैं।
- ISFR 2019 के अनुसार, लगभग 60% वन क्षेत्र आदिवासी जिलों में स्थित है।
- सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर
- जनजातीय समुदाय विभिन्न भाषाओं, कला रूपों और लोककथाओं को संरक्षित करते हैं।
- कई आदिवासी कला रूपों को GI (भौगोलिक संकेत) का दर्जा मिला है।
- आर्थिक योगदान
- आदिवासी लोग कृषि, लघु वनोपज (MFP) संग्रहण और पारंपरिक शिल्प में महत्वपूर्ण हैं।
- TRIFED के अनुसार, आदिवासी लोग अपनी वार्षिक आय का 20-40% लघु वनोपज से प्राप्त करते हैं।
- राजनीतिक प्रभाव
- 104 मिलियन से अधिक जनजातीय लोग महत्वपूर्ण मतदाता समूह हैं।
- द्रौपदी मुर्मू की राष्ट्रपति के रूप में नियुक्ति आदिवासी प्रतिनिधित्व को दर्शाती है।
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन
- आदिवासियों के पास जलवायु अनुकूलन और जल संरक्षण का गहरा ज्ञान है।
जनजातीय समुदायों के सामने प्रमुख चुनौतियाँ
- भूमि हस्तांतरण और विस्थापन
- औद्योगिक परियोजनाओं और संरक्षण के कारण विस्थापन।
- FRA 2006 के तहत केवल 50% दावे स्वीकृत हुए हैं।
- स्वास्थ्य और कुपोषण
- जनजातीय आबादी उच्च मृत्यु दर और कुपोषण से पीड़ित है।
- 30.8% आदिवासी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव
- एकलव्य मॉडल विद्यालयों में निर्माण में देरी और शिक्षकों की कमी।
- भाषा की बाधाएँ और उच्च dropout दर।
- आजीविका संकट
- पारंपरिक व्यवसायों में गिरावट और ऋण प्राप्त करने में कठिनाई।
- केवल 12.3% अनुसूचित जनजातियों के लोग वेतन रोजगार में हैं।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण से जनजातीय समुदाय प्रभावित हैं।
सरकारी पहल
- वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006: आदिवासियों को भूमि और संसाधनों का प्रबंधन करने का अधिकार।
- PESA, 1996: जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासन को सशक्त बनाता है।
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय: आदिवासी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
- वन धन विकास योजना: लघु वनोपज के मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देती है।
सुधार के उपाय
- FRA का प्रभावी कार्यान्वयन: भूमि अधिकारों की पहचान।
- EMRS का विस्तार और सुदृढ़ीकरण: गुणात्मक शिक्षा के लिए संसाधनों का आवंटन।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों की तैनाती।
- स्थायी आजीविका सुनिश्चित करना: MSP का विस्तार।
- महिलाओं को सशक्त बनाना: स्वयं सहायता समूहों और माइक्रोफाइनेंस के माध्यम से।
आगे की राह
भारत ने जनजातीय कल्याण पर बजट बढ़ाकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्वास्थ्य, शिक्षा और भूमि विस्थापन जैसे मुद्दों का समाधान आवश्यक है। समुदाय-संचालित परियोजनाएँ और कुशल कार्यान्वयन से जनजातीय समुदायों का सशक्तीकरण संभव है।