- संदर्भ: यह संपादकीय “Subsidy reforms need a fresh push, open-ended sops are irrational” पर आधारित है।
- मुख्य बिंदु: भारत में सब्सिडी परिदृश्य में सुधार की आवश्यकता, जैसे कि ईंधन मूल्य विनियमन और लक्षित LPG सब्सिडी।
वर्तमान स्थिति
- बजट डेटा: वित्त वर्ष 2024 में स्पष्ट सब्सिडी 9.3% तक गिर गई, जो वित्त वर्ष 2023 में 12.7% थी।
- लक्ष्य: जीडीपी के 1% से नीचे सब्सिडी लाने के लिए और अधिक युक्तिकरण की आवश्यकता।
सब्सिडी की परिभाषा
- सब्सिडी: सरकारी वित्तीय सहायता जो सार्वजनिक कल्याण और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदान की जाती है।
- प्रकार:
- प्रत्यक्ष (नकद भुगतान)
- अप्रत्यक्ष (कर छूट या मूल्य समर्थन)
प्रमुख प्रकार की सब्सिडी
- प्रत्यक्ष सब्सिडी: लाभार्थियों को सीधे वित्तीय सहायता।
- अप्रत्यक्ष सब्सिडी: कर छूट या शुल्क में कमी।
- उत्पादन-संबंधी सब्सिडी: आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए।
सब्सिडी के लाभ
- खाद्य सुरक्षा: PMGKAY के तहत 810 मिलियन लाभार्थियों को मुफ्त अनाज।
- किसानों का समर्थन: उर्वरक और सिंचाई पर सब्सिडी से कृषि उत्पादकता बढ़ी।
- स्वच्छ ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा में सब्सिडी से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम।
चुनौतियाँ
- राजकोषीय बोझ: सार्वजनिक वित्त पर भारी प्रभाव।
- खराब लक्ष्य निर्धारण: कई लाभार्थियों को वास्तविक समर्थन नहीं मिल रहा।
- संसाधनों का अपव्यय: सब्सिडी से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग।
सुधार के सुझाव
- DBT का कार्यान्वयन: सब्सिडी को सही लाभार्थियों तक पहुँचाने के लिए।
- गतिशील लक्ष्य निर्धारण: गरीबी डेटा के आधार पर लाभार्थियों की सूची का अद्यतन।
- संधारणीय विकल्पों को बढ़ावा देना: जैविक उर्वरकों और नैनो उर्वरकों का उपयोग।
निष्कर्ष
- भारत की सब्सिडी प्रणाली सामाजिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण है, लेकिन सुधार और युक्तिकरण की आवश्यकता है।
- लक्षित उपायों और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सब्सिडी वितरण में सुधार संभव है।