भारत में राज्य की राजनीति में राज्यपाल की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये, विशेष रूप से बिहार के संदर्भ में। क्या वह केवल एक कठपुतली है? [64वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2018]
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भारत में राज्यपाल की भूमिका:
भारत में राज्यपाल की भूमिका संविधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन इस भूमिका का प्रभाव और कार्यक्षेत्र कई बार विवादास्पद रहा है। राज्यपाल, भारतीय संविधान के अनुसार, राज्य के प्रमुख होते हैं, जो केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालाँकि, राज्यपाल की शक्तियाँ और कार्यक्षेत्र राज्य सरकारों के साथ किस हद तक तालमेल रखते हैं, यह एक जटिल मुद्दा है। विशेष रूप से बिहार के संदर्भ में राज्यपाल की भूमिका पर विचार करते हुए यह सवाल उठता है कि क्या राज्यपाल केवल एक “कठपुतली” की तरह काम करता है, या उसकी अपनी एक निर्णायक भूमिका है।
1. राज्यपाल की संवैधानिक भूमिका
भारतीय संविधान के तहत, राज्यपाल को राज्य का शासक और केंद्र का प्रतिनिधि माना जाता है। राज्यपाल के पास निम्नलिखित प्रमुख शक्तियाँ होती हैं:
हालाँकि, राज्यपाल के पास संवैधानिक रूप से इन शक्तियों का प्रयोग करने की पूरी स्वतंत्रता नहीं होती है। राज्यपाल का कार्य काफी हद तक केंद्रीय सरकार के निर्देशों और राजनीति से प्रभावित होता है।
2. बिहार के संदर्भ में राज्यपाल की भूमिका
बिहार में राज्यपाल की भूमिका ने कई बार विवादों को जन्म दिया है। पिछले कुछ वर्षों में बिहार के राज्यपालों ने राज्य सरकार के साथ कई बार तनावपूर्ण संबंध बनाए। उदाहरण के लिए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रिमंडल के खिलाफ राज्यपाल द्वारा उठाए गए कदमों ने यह सवाल खड़ा किया कि राज्यपाल क्या सच में अपनी संवैधानिक भूमिका निभा रहे हैं, या फिर उन्हें केंद्र सरकार के दबाव में काम करने को मजबूर किया जा रहा है।
3. क्या राज्यपाल केवल एक कठपुतली हैं?
राज्यपाल की भूमिका को लेकर यह विचार कभी-कभी उठता है कि वह केवल केंद्र सरकार के आदेशों का पालन करते हैं और उनकी अपनी कोई स्वतंत्र भूमिका नहीं होती। हालांकि, यह भी सच है कि राज्यपाल के पास कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार होता है, लेकिन उनकी कार्यशैली आमतौर पर केंद्र सरकार की इच्छाओं से प्रभावित होती है।
4. निष्कर्ष
राज्यपाल की भूमिका की आलोचना कई बार इसलिए होती है, क्योंकि वह अक्सर केंद्र सरकार के पक्ष में काम करते हैं और राज्य सरकार के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं। बिहार जैसे राज्यों में जहां राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक मतभेद होते हैं, वहाँ राज्यपाल की भूमिका और भी विवादास्पद हो जाती है।