उपयुक्त उदाहरण सहित 19वीं सदी में जनजातीय प्रतिरोध की विशेषताओं की समीक्षा कीजिये। उनकी असफलता के कारण बताइए। [64वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2018]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
19वीं सदी में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ कई जनजातीय प्रतिरोध आंदोलन उठे थे। इन आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य भारतीय जनजातियों की अपनी पारंपरिक आज़ादी और भूस्वामित्व की रक्षा करना था। हालांकि इन आंदोलनों की असफलता के कई कारण थे, लेकिन इनकी विशेषताएँ और संघर्ष भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
जनजातीय प्रतिरोध की विशेषताएँ
असफलता के कारण
निष्कर्ष
19वीं सदी में जनजातीय प्रतिरोध आंदोलनों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया, लेकिन इनकी असफलता के प्रमुख कारण थे संगठन की कमी, आर्थिक शोषण, और ब्रिटिश साम्राज्य की सैन्य ताकत। हालांकि, इन आंदोलनों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए आधार तैयार किया और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा दी।