मनरेगा (MNREGA) क्या है? पहले की नीतियों से यह किस प्रकार भिन्न है? क्या यह उत्तराखण्ड राज्य में अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर पायी है? यदि नहीं, तो क्यों? समझाइये। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
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मनरेगा (MNREGA) या महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 में लागू किया गया एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में निवासियों को न्यूनतम 100 दिन का निश्चित रोजगार प्रदान करना है। यह एक कानूनी अधिकार है, जो ग्रामीण गरीबों को सामाजिक सुरक्षा का आश्वासन देता है।
पूर्व की नीतियों से भिन्नता
1. सामाजिक सुरक्षा: पहले की नीतियाँ रोजगार सृजन पर केंद्रित थीं, लेकिन MNREGA ने इसे एक कानूनी अधिकार में परिवर्तित कर दिया है, जिससे मजदूरों को स्थायी रोजगार का आश्वासन मिलता है।
2. जन सहभागिता: MNREGA में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है, जिससे कामों का चयन और कार्यान्वयन स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार होता है।
3. विभिन्न कार्य: पहले की नीतियों में सीमित प्रकार के कार्य थे, जबकि MNREGA के तहत जल संरक्षण, भूमि विकास, और बागवानी जैसे विभिन्न कार्य किए जा सकते हैं।
उत्तराखण्ड में स्थिति
उत्तराखण्ड में MNREGA ने रोजगार सृजन में मदद की है, लेकिन कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने में चुनौतियाँ हैं।
1. अनुपालन की कमी: कुछ क्षेत्रों में काम का सही रिकॉर्ड और पारदर्शिता की कमी है, जिससे लाभार्थियों को वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता।
2. अवसंरचना: उचित अवसंरचना की कमी और संसाधनों की उपलब्धता में बाधाएँ कार्यों के समय पर पूरा होने में रुकावट डालती हैं।
3. स्थानीय राजनीतिक मुद्दे: स्थानीय राजनीतिक विवादों के कारण भी योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन नहीं हो पाता।
इन चुनौतियों के समाधान के लिए बेहतर योजना, कार्यान्वयन और निगरानी की आवश्यकता है ताकि MNREGA अपने उद्देश्यों को पूर्ण रूप से हासिल कर सके।