भारतीय मार्शल आर्ट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गई प्रतिस्पर्धाओं में कैसे प्रतिस्पर्धा की जा रही है? इसके लिए क्या तैयारी और चुनौतियाँ हैं?
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भारतीय मार्शल आर्ट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा
भारतीय मार्शल आर्ट जैसे कलारीपयट्टु, गटका, मल्लखंब और थांग-टा का समृद्ध इतिहास है। हालांकि, हाल के वर्षों में इन्हें वैश्विक पहचान और प्रतिस्पर्धाओं में जगह बनाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। फिर भी, कुछ भारतीय खिलाड़ी इन परंपरागत कलाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित कर रहे हैं।
1. भारतीय मार्शल आर्ट्स की वैश्विक प्रतिस्पर्धाओं में भूमिका
पारंपरिक भारतीय मार्शल आर्ट्स अब यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहे हैं। 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में मल्लखंब का प्रदर्शन किया गया था, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित हुआ। इसी तरह, भारतीय कलाकारों ने मलेशिया में आयोजित वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स चैंपियनशिप में कलारीपयट्टु का प्रतिनिधित्व किया।
2. अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में चुनौतियाँ
भारतीय मार्शल आर्ट्स को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में मान्यता दिलाने के लिए कई चुनौतियाँ हैं:
3. तैयारी और रणनीतियाँ
निष्कर्ष
भारतीय मार्शल आर्ट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन संगठनात्मक समर्थन, वैज्ञानिक प्रशिक्षण, और वैश्विक पहचान के साथ यह मार्शल आर्ट्स खेलों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।