प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023]
जैन दर्शन में अनेकान्तपाद की व्याख्या कीजिए।
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जैन दर्शन में अनेकान्तपाद की व्याख्या
परिचय
अनेकान्तपाद जैन दर्शन का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो सत्य और वास्तविकता की जटिलता को समझने में मदद करता है। यह सिद्धांत जैन तात्त्विकता और नैतिकता में गहरे अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, और इसके माध्यम से विभिन्न दृष्टिकोणों को समझा जा सकता है।
1. अनेकान्तपाद का अर्थ
2. स्याद्वाद का सिद्धांत
3. गैर-नैतिकता
4. नैतिक निहितार्थ
5. व्यावहारिक अनुप्रयोग
निष्कर्ष
अनेकान्तपाद जैन दर्शन का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो वास्तविकता और सत्य की जटिलता को समझने में मदद करता है। इसके सिद्धांत जैसे कि स्याद्वाद, गैर-नैतिकता, नैतिक सहिष्णुता और व्यावहारिक अनुप्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में इसकी प्रासंगिकता को दर्शाते हैं। यह सिद्धांत विविध दृष्टिकोणों को समझने और सच्चाई के एक व्यापक चित्र को प्राप्त करने में सहायक होता है।