एक विचार यह है कि शासकीय गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2019]
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गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम
सहमति का आधार:
**1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति
a. उद्देश्य और सीमाएँ:
गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनाओं को सार्वजनिक रूप से साझा करने पर रोक लगाता है।
b. सूचना के अधिकार पर प्रभाव:
सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) 2005 के तहत नागरिकों को सरकारी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। गुप्त बात अधिनियम की रोकथामें RTI के उद्देश्यों के विपरीत हो सकती हैं, क्योंकि यह सार्वजनिक प्रवाह और पारदर्शिता को बाधित करती है।
**2. विवेचना
a. आवश्यक संतुलन:
हालांकि गुप्त बात अधिनियम सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, सूचना के अधिकार अधिनियम के लक्ष्यों के साथ एक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। हाल ही में, 2022 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि RTI के तहत मांगी गई जानकारी को गुप्त बात अधिनियम के तहत छुपाया नहीं जा सकता जब तक यह वास्तव में सुरक्षा से संबंधित न हो।
b. उदाहरण:
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में RTI आवेदन के तहत कुछ गुप्त दस्तावेज़ों की सूचना को लेकर विवाद हुआ था, जहाँ गुप्त बात अधिनियम ने पारदर्शिता की प्रक्रिया को प्रभावित किया।
निष्कर्ष:
हाँ, गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा हो सकता है, क्योंकि यह पारदर्शिता और सार्वजनिक नियंत्रण को सीमित करता है। आवश्यक है कि एक संतुलन बनाए रखा जाए, जहाँ सुरक्षा और सार्वजनिक जानकारी दोनों की रक्षा हो सके।