भारत में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में अंतर-राज्यीय परिषद की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
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भारत में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में अंतर-राज्यीय परिषद की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण
1. अंतर-राज्यीय परिषद की भूमिका:
अंतर-राज्यीय परिषद का गठन 1990 में संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत किया गया। इसका उद्देश्य राज्यों और केंद्र के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय सुनिश्चित करना है। यह परिषद राज्यों के प्रतिनिधियों, केंद्रीय मंत्रियों, और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करती है।
2. सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना:
3. चुनौतियाँ:
निष्कर्ष:
अंतर-राज्यीय परिषद सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन और सिफारिशों की अनिवार्यता में सुधार की आवश्यकता है।