क्या कमज़ोर और पिछड़े समुदायों के लिए आवश्यक सामाजिक संसाधनों को सुरक्षित करने के द्वारा, उनकी उन्नति के लिए सरकारी योजनाएं, शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसायों की स्थापना करने में उनको बहिष्कृत कर देती हैं ? (200 words) [UPSC 2014]
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परिचय
सरकारी योजनाएं, जो कमज़ोर और पिछड़े समुदायों की उन्नति के लिए आवश्यक सामाजिक संसाधनों को सुरक्षित करती हैं, अक्सर वित्तीय सहायता, कौशल प्रशिक्षण और अन्य समर्थन प्रदान करती हैं। हालांकि, ये योजनाएं कभी-कभी इन समुदायों के शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसाय स्थापित करने में बाधा डाल सकती हैं।
उद्यमिता कौशल पर ध्यान की कमी
अधिकांश सरकारी योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) और दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) तात्कालिक वित्तीय सहायता और मूलभूत संसाधन प्रदान करती हैं, लेकिन उद्यमिता कौशल और व्यवसाय प्रबंधन पर पर्याप्त ध्यान नहीं देतीं। उदाहरण के लिए, स्टार्ट-अप इंडिया योजना ने स्टार्टअप्स को समर्थन दिया है, लेकिन इसके जटिल आवेदन प्रक्रिया के कारण पिछड़े समुदायों तक इसका लाभ पहुंचने में समस्याएं रही हैं।
प्रशासनिक बाधाएं
मुद्रा योजना जैसी योजनाओं के अंतर्गत प्राप्त लाभ के लिए जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाओं की वजह से छोटे व्यवसायी अक्सर ब्यूरोक्रेटिक अड़चनों का सामना करते हैं। इस प्रक्रिया की जटिलता संभावित उद्यमियों को परेशान कर सकती है और उनका समर्थन कम कर सकती है।
सामाजिक पूर्वाग्रह और भेदभाव
वित्तीय सहायता के बावजूद, पिछड़े समुदायों के उद्यमियों को सामाजिक पूर्वाग्रह और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इस तरह की बाधाएं उन्हें शहरी व्यापारिक नेटवर्क में एकीकृत होने और व्यवसाय स्थापित करने में मुश्किलें पैदा कर सकती हैं।
निष्कर्ष
सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए, इनमें उद्यमिता प्रशिक्षण, सरल पहुँच प्रक्रियाएं, और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ उपाय शामिल करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पिछड़े समुदाय शहरी अर्थव्यवस्थाओं में सफलतापूर्वक स्थापित हो सकें, एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है।