जातीय गठजोड़ धर्मनिरपेक्ष तथा राजनीतिक कारकों से उत्पन्न होते हैं न कि आदिम पहचान से। चर्चा कीजिये । (200 Words) [UPPSC 2022]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
जातीय गठजोड़: धर्मनिरपेक्ष तथा राजनीतिक कारकों से उत्पन्न
प्रारंभ
भारतीय राजनीति में जातीय गठजोड़ का सिद्धान्त है। कुछ लोगों का मानना है कि जातीय पहचान आदिम तथा अपरिवर्तनशील है, जबकि अन्य लोग मानते हैं कि जातीय गठजोड़ धर्मनिरपेक्ष तथा राजनीतिक कारकों से उत्पन्न होते हैं। इस चर्चा में हम देखेंगे कि जातीय गठजोड़ धर्मनिरपेक्ष तथा राजनीतिक कारकों से उत्पन्न होते हैं, न कि आदिम पहचान से।
धर्मनिरपेक्ष तथा राजनीतिक कारक
आरक्षण तथा प्रतिनिधित्व: ब्रिटिश साम्राज्य की अवधि में जातियों के लिए आरक्षण तथा प्रतिनिधित्व की नीति ने जातिय आधारित राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई। यह नीति ने जातिय आधारित दलों और गठजोड़ों की स्थापना में सहायता की, जिनकी política पावर और लाभ प्राप्त करने में अधिक रुचि थी न कि आदिम पहचान से।
recent example
2019 लोक सभा चुनावों में कई राज्यों में जातीय गठजोड़ों की स्थापना देखी गई। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी तथा राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठजोड़ा बनाया। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल ने कांग्रेस तथा अन्य दलों के साथ गठजोड़ा बनाया।
समाप्ति