हालांकि रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के अनेक लाभ हैं, लेकिन यह जोखिम रहित भी नहीं है। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
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रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण व्यापक लाभ भी प्रदान करता है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी समाहित हैं। पहले, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में रुपये की मौजूदगी भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्वासी बनाती है और नवाचारिकता को प्रोत्साहित करती है। इसके साथ ही, विदेशी निवेशकों के लिए भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हालांकि, रुपये के मूल्य में तेजी से परिवर्तन भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर बना सकता है और निरंतरता को खतरे में डाल सकता है। इसके अतिरिक्त, अन्य देशों के आर्थिक परिवर्तनों का अस्वास्थ्यकरण भी रुपये को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, सरकार को चाहिए कि वह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों को समझकर संज्ञान में रखे और रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को संतुलित रखने के लिए सजग रहे।