रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं द्वारा तर्क को दबाने से प्रगतिविरोध उत्पन्न हुआ है। क्या आप इससे सहमत हैं ? (250 words) [UPSC 2020]
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रीति-रिवाजों और परम्पराओं द्वारा तर्क को दबाने से प्रगतिविरोध: विश्लेषण
परिचय
रीति-रिवाजों और परम्पराओं का समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। ये सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संरचना को बनाए रखते हैं। हालांकि, कभी-कभी ये परम्पराएँ और रीति-रिवाज तर्क और प्रगति के खिलाफ एक बाधा बन सकते हैं। इस प्रश्न का विश्लेषण करने के लिए, यह समझना आवश्यक है कि कैसे परम्पराएँ और रीति-रिवाज तर्क को दबा सकती हैं और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
रीति-रिवाजों द्वारा तर्क को दबाने के उदाहरण
प्रगतिविरोध का प्रभाव
निष्कर्ष
रीति-रिवाजों और परम्पराओं द्वारा तर्क को दबाना प्रगतिविरोध उत्पन्न कर सकता है। जबकि ये परम्पराएँ सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, उनका अंधानुकरण समाज के विकास और प्रगति में बाधा उत्पन्न कर सकता है। एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए परम्पराओं का सम्मान करते हुए, लेकिन साथ ही तर्क और विज्ञान पर आधारित निर्णय लेना आवश्यक है ताकि समाज में प्रगति और समरसता को बढ़ावा दिया जा सके।