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'सांप्रदायिकता या तो शक्ति संघर्ष के कारण उभर कर आती है या आपेक्षिक बंचन के कारण उभरती है।' उपयुक्त उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुए तर्क दीजिए । (250 words) [UPSC 2018]
सांप्रदायिकता और उसके उद्भव के कारण परिचय: सांप्रदायिकता समाज में धार्मिक, जातीय, या सांस्कृतिक समूहों के बीच संघर्ष और विभाजन को दर्शाती है। यह अक्सर शक्ति संघर्ष या आपेक्षिक बंचन (relative deprivation) के कारण उभरती है। ये दो कारण सांप्रदायिकता के उभार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शक्ति संघर्Read more
सांप्रदायिकता और उसके उद्भव के कारण
परिचय: सांप्रदायिकता समाज में धार्मिक, जातीय, या सांस्कृतिक समूहों के बीच संघर्ष और विभाजन को दर्शाती है। यह अक्सर शक्ति संघर्ष या आपेक्षिक बंचन (relative deprivation) के कारण उभरती है। ये दो कारण सांप्रदायिकता के उभार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शक्ति संघर्ष:
आपेक्षिक बंचन (Relative Deprivation):
निष्कर्ष: सांप्रदायिकता का उभार अक्सर शक्ति संघर्ष और आपेक्षिक बंचन के कारण होता है। राजनीतिक और सामाजिक असमानताएँ, आर्थिक असमानताएँ, और धार्मिक पहचान के लिए संघर्ष सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते हैं। इन तत्वों को समझने से सांप्रदायिकता के उभार के कारणों को स्पष्ट किया जा सकता है और समाज में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के उपाय किए जा सकते हैं।
See lessसंजातीय पहचान एवं सांप्रदायिकता पर उत्तर-उदारवादी अर्थव्यवस्था के प्रभाव की विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत में जातीय अस्मिता (ethnic identity) गतिशील (dynamic) और स्थिर (static) दोनों रूपों में प्रकट होती है, और इसके पीछे कई कारण हैं: गतिशीलता के कारण: आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन: वैश्वीकरण, औद्योगिकीकरण, और शहरीकरण के साथ, जातीय अस्मिता की पहचान और अनुभव में परिवर्तन आया है। आर्थिक अवसरों और सामाजिकRead more
भारत में जातीय अस्मिता (ethnic identity) गतिशील (dynamic) और स्थिर (static) दोनों रूपों में प्रकट होती है, और इसके पीछे कई कारण हैं:
गतिशीलता के कारण:
स्थिरता के कारण:
इस प्रकार, जातीय अस्मिता भारत में गतिशीलता और स्थिरता दोनों को दर्शाती है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के साथ बदलती है, जबकि पारंपरिक मान्यताएँ और सामाजिक संरचनाएँ इसे स्थिर बनाए रखने में योगदान करती हैं।
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