पर्यावरण प्रभाव आकलन (ई० आइ० ए०) अधिसूचना, 2020 प्रारूप मौजूदा ई० आइ० ए० अधिसूचना, 2006 से कैसे भिन्न है? (150 words) [UPSC 2020]
परिचय: सरकार द्वारा किसी परियोजना को मंजूरी देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अध्ययन आवश्यक होते हैं। कोयला गर्त-शिखरी (पिटहेड्स) पर स्थित कोयला आधारित तापीय संयंत्रों के पर्यावरणीय प्रभाव महत्वपूर्ण हैं और इन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है। कोयला पिटहेड्स पर स्थित कोयला आधारित तापीय संयंत्रोंRead more
परिचय: सरकार द्वारा किसी परियोजना को मंजूरी देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अध्ययन आवश्यक होते हैं। कोयला गर्त-शिखरी (पिटहेड्स) पर स्थित कोयला आधारित तापीय संयंत्रों के पर्यावरणीय प्रभाव महत्वपूर्ण हैं और इन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है।
कोयला पिटहेड्स पर स्थित कोयला आधारित तापीय संयंत्रों के पर्यावरणीय प्रभाव:
- वायु प्रदूषण: कोयला आधारित तापीय संयंत्रों से बड़ी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOₓ), और कणिका पदार्थ (PM) उत्सर्जित होते हैं। ये प्रदूषक वायु गुणवत्ता को खराब करते हैं और श्वसन समस्याओं को जन्म देते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के हरदोई में स्थित तापीय संयंत्र के उच्च SO₂ और NOₓ उत्सर्जन ने स्थानीय वायु गुणवत्ता को प्रभावित किया है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: कोयला संयंत्र CO₂ जैसे ग्रीनहाउस गैसों के प्रमुख स्रोत होते हैं, जो वैश्विक तापन और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं। जैसे, मध्य प्रदेश के सिंगरौली क्षेत्र में स्थित कोयला संयंत्रों के कारण CO₂ उत्सर्जन ने जलवायु परिवर्तन को योगदान दिया है।
- जल उपयोग और प्रदूषण: इन संयंत्रों को ठंडा करने के लिए बड़े पैमाने पर जल की आवश्यकता होती है, जिससे थर्मल और रासायनिक प्रदूषण उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ के कोरबा तापीय संयंत्र द्वारा जल के अत्यधिक उपयोग और जल bodies में गर्म जल के डिस्चार्ज ने स्थानीय जल स्रोतों को प्रभावित किया है।
- भूमि अवनति: पिटहेड्स से कोयला निकालने से वनस्पति, मृदा अपरदन, और आवासीय क्षेत्रों का विनाश होता है। जैसे, झरिया कोलफील्ड्स में कोयला खनन से भूमि अवनति और स्थानीय समुदायों के विस्थापन की समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।
- स्वास्थ्य प्रभाव: कोयला संयंत्रों से निकलने वाले प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन रोग, हृदय रोग, और कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। कोयला संयंत्रों के आसपास रहने वाले लोगों में उच्चतर स्वास्थ्य समस्याएँ देखी गई हैं।
हाल के उदाहरण:
- झरिया कोलफील्ड्स: झरिया में कोयला खनन की गतिविधियों के कारण भूमि का धंसना और वायु प्रदूषण की समस्याएँ बढ़ गई हैं। इस क्षेत्र में पर्यावरणीय क्षति और स्थानीय निवासियों पर प्रभाव स्पष्ट है।
- कोरबा तापीय संयंत्र: कोरबा तापीय संयंत्र छत्तीसगढ़ में जल संसाधनों पर प्रभाव डालते हैं, जिससे स्थानीय जल स्रोतों में थर्मल प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।
निष्कर्ष: कोयला पिटहेड्स पर स्थित कोयला आधारित तापीय संयंत्रों के पर्यावरणीय प्रभाव गंभीर हैं, जिसमें वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जल प्रदूषण, भूमि अवनति, और स्वास्थ्य समस्याएँ शामिल हैं। पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययन इन प्रभावों की पहचान और उन्हें कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ताकि विकास परियोजनाएँ पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप हों और सतत विकास को प्रोत्साहित किया जा सके।
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ई.आई.ए. अधिसूचना 2020 और 2006 के बीच भिन्नताएँ 1. सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया: ई.आई.ए. 2020: परियोजनाओं की श्रेणी के आधार पर सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया को सरल बनाता है, कुछ मामलों में केवल ऑनलाइन टिप्पणियाँ आवश्यक होती हैं। उदाहरण: बड़े पैमाने पर औद्योगिक परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक सुनवाई कीRead more
ई.आई.ए. अधिसूचना 2020 और 2006 के बीच भिन्नताएँ
1. सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया:
2. परियोजना वर्गीकरण:
3. पूर्व-स्वीकृति की अनुमति:
4. अनुपालन निगरानी:
ये बदलाव ई.आई.ए. के तहत परियोजनाओं की स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाते हैं और प्रक्रियात्मक बाधाओं को कम करते हैं।
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