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नीतिशास्त्र केस स्टडी
परिस्थितिगत विश्लेषण आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। विकास की गतिविधियाँ अक्सर पर्यावरणीय क्षरण को बढ़ावा देती हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से रोकना भी संभव नहीं है। इसलिए, एक धारणीय विकास दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जो आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षRead more
परिस्थितिगत विश्लेषण
आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। विकास की गतिविधियाँ अक्सर पर्यावरणीय क्षरण को बढ़ावा देती हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से रोकना भी संभव नहीं है। इसलिए, एक धारणीय विकास दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जो आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण दोनों को साकार कर सके।
साध्य रणनीतियाँ
1. पर्यावरणीय नीतियों का एकीकरण
2. हरी प्रौद्योगिकियों का प्रयोग
3. सतत संसाधन प्रबंधन
4. सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता
निष्कर्ष
आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए पर्यावरणीय नीतियों का एकीकरण, हरी प्रौद्योगिकियों का प्रयोग, सतत संसाधन प्रबंधन, और सामुदायिक भागीदारी आवश्यक है। इन रणनीतियों को अपनाकर हम धारणीय विकास की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं, जो न केवल हमारे वर्तमान की सुरक्षा करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करता है।
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परिस्थितिगत विश्लेषण सरस्वती के अनुभव से स्पष्ट है कि सरकारी नियंत्रण के बावजूद, नियमों की अस्पष्टता, अनावश्यक देरी, और भ्रष्टाचार ईमानदार गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के प्रयासों में बाधक हो सकते हैं। इसके लिए प्रभावी और सकारात्मक उपायों की आवश्यकता है, जो आवश्यक नियंत्रण को सुनिश्चित करें और साथ ही NRead more
परिस्थितिगत विश्लेषण
सरस्वती के अनुभव से स्पष्ट है कि सरकारी नियंत्रण के बावजूद, नियमों की अस्पष्टता, अनावश्यक देरी, और भ्रष्टाचार ईमानदार गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के प्रयासों में बाधक हो सकते हैं। इसके लिए प्रभावी और सकारात्मक उपायों की आवश्यकता है, जो आवश्यक नियंत्रण को सुनिश्चित करें और साथ ही NGO प्रयासों को बाधित न करें।
सुझाए गए उपाय
1. नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाना
2. भ्रष्टाचार और देरी पर नियंत्रण
3. समावेशी और सहयोगी दृष्टिकोण
4. मानक और पारदर्शिता
निष्कर्ष
सरकारी नियंत्रण के साथ-साथ स्पष्ट नियम, भ्रष्टाचार विरोधी उपाय, सहयोगात्मक दृष्टिकोण, और पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाले उपायों को लागू करने से नेक इरादों वाले NGOs के प्रयासों को बाधित किए बिना प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। इन उपायों के माध्यम से NGOs को सकारात्मक तरीके से सहयोग और समर्थन प्रदान किया जा सकता है, जो समाज की प्रगति और विकास में सहायक सिद्ध होगा।
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परिस्थितिगत विश्लेषण ए.बी.सी. लिमिटेड द्वारा विकासपुरी में नया संयंत्र स्थापित करने का निर्णय आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के दृष्टिकोण से सकारात्मक है। यह ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकी अपनाने के कारण उत्पादन लागत में 20% की कमी करेगा और सरकारी नीति के अनुसार करों में छूट भी प्राप्त करेगा। हालांकि, संयंत्Read more
परिस्थितिगत विश्लेषण
ए.बी.सी. लिमिटेड द्वारा विकासपुरी में नया संयंत्र स्थापित करने का निर्णय आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के दृष्टिकोण से सकारात्मक है। यह ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकी अपनाने के कारण उत्पादन लागत में 20% की कमी करेगा और सरकारी नीति के अनुसार करों में छूट भी प्राप्त करेगा। हालांकि, संयंत्र की स्थापना से स्थानीय निवासियों को जीवनयापन की लागत में वृद्धि, सामाजिक और आर्थिक असंतुलन, और विदेशी प्रवासन जैसे नकारात्मक प्रभाव होंगे।
संभावित विरोध और न्यायपालिका में याचिका
स्थानीय निवासियों ने विरोध शुरू कर दिया है और न्यायपालिका में जाने का निर्णय लिया है, क्योंकि सरकारी तर्क उनके समस्या समाधान में अपर्याप्त लगे हैं। यह स्थिति न्यायिक हस्तक्षेप और स्थानीय विरोध को उजागर करती है।
समाधान और सुझाव
निष्कर्ष
विकासपुरी क्षेत्र में संयंत्र की स्थापना से आर्थिक लाभ हो सकता है, लेकिन स्थानीय समाज पर इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए समावेशी निर्णय-निर्माण, सामाजिक योजनाएँ, CSR नीतियों की मजबूती, संवाद, और मुआवजा योजनाएँ आवश्यक हैं। इन उपायों के माध्यम से कम्पनी स्थानीय निवासियों के साथ एक सकारात्मक संबंध बना सकती है और विरोध को कम कर सकती है।
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पारदर्शिता और जवाबदेही बनाम निर्णय लेने में चुनौतियाँ: विश्लेषण और समाधान प्रगतियाँ और उनके लाभ सूचना का अधिकार (आर० टी० आइ०) अधिनियम, मीडिया, और न्यायिक सक्रियता ने सरकार के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाई है। उदाहरण के लिए, 2018 में दिल्ली के सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को RTIRead more
पारदर्शिता और जवाबदेही बनाम निर्णय लेने में चुनौतियाँ: विश्लेषण और समाधान
प्रगतियाँ और उनके लाभ
सूचना का अधिकार (आर० टी० आइ०) अधिनियम, मीडिया, और न्यायिक सक्रियता ने सरकार के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाई है। उदाहरण के लिए, 2018 में दिल्ली के सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को RTI के माध्यम से उजागर किया गया।
चुनौतियाँ और नकारात्मक प्रभाव
समाधान
निष्कर्ष
See lessपारदर्शिता और जवाबदेही के साथ प्रभावी निर्णय को सुनिश्चित करने के लिए, दुरुपयोग को रोकना और अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करना अनिवार्य है।
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परिस्थितिगत विश्लेषण आपदा के दौरान भूस्खलन, दावानल, मेघ विस्फोट और आकस्मिक बाढ़ जैसी घटनाएँ बुनियादी संरचना को बृहत् क्षति पहुँचाती हैं, जिससे आपातकालीन स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। इसमें फँसे हुए लोग वरिष्ठ नागरिक, अस्पतालों में मरीज, महिलाएँ, बच्चे, पदयात्री, पर्यटक, शासक पार्टी के प्रादेशिक अध्यक्Read more
परिस्थितिगत विश्लेषण
आपदा के दौरान भूस्खलन, दावानल, मेघ विस्फोट और आकस्मिक बाढ़ जैसी घटनाएँ बुनियादी संरचना को बृहत् क्षति पहुँचाती हैं, जिससे आपातकालीन स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। इसमें फँसे हुए लोग वरिष्ठ नागरिक, अस्पतालों में मरीज, महिलाएँ, बच्चे, पदयात्री, पर्यटक, शासक पार्टी के प्रादेशिक अध्यक्ष, पड़ोसी राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव, और जेल में कैदी हैं।
प्राथमिकता तय करने के सिद्धांत
हालिया उदाहरण
हाल ही में, 2023 के हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति ने गंभीर चुनौतियाँ प्रस्तुत की थीं। वहाँ, सरकारी अधिकारियों ने प्राथमिकता से अस्थायी आश्रयों और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की, जिससे जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकी।
निष्कर्ष
See lessआपदा के समय जीवन की सुरक्षा और स्वास्थ्य की प्राथमिकता सबसे महत्वपूर्ण होती है। इसके बाद, प्रशासनिक और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए।
नीतिशास्त्र केस स्टडी
जब एक नव-सेवा में नियुक्त अधिकारी को भ्रष्टाचार और अनाचार का सामना करना पड़ता है, तो यह एक महत्वपूर्ण नैतिक संकट पैदा करता है। रामेश्वर की स्थिति में, यह आवश्यक है कि उचित निर्णय लिया जाए जो न केवल उसकी व्यक्तिगत अखंडता को बनाए रखे, बल्कि विभाग की व्यवस्था में सुधार भी सुनिश्चित करे। विकल्पों का मूलRead more
जब एक नव-सेवा में नियुक्त अधिकारी को भ्रष्टाचार और अनाचार का सामना करना पड़ता है, तो यह एक महत्वपूर्ण नैतिक संकट पैदा करता है। रामेश्वर की स्थिति में, यह आवश्यक है कि उचित निर्णय लिया जाए जो न केवल उसकी व्यक्तिगत अखंडता को बनाए रखे, बल्कि विभाग की व्यवस्था में सुधार भी सुनिश्चित करे।
विकल्पों का मूल्यांकन
सर्वोत्तम विकल्प
भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग और ईमानदारी से सुधार के प्रयास सबसे उपयुक्त विकल्प हैं। रामेश्वर को:
इस दृष्टिकोण की अच्छाइयाँ
निष्कर्ष
रामेश्वर को नैतिकता और सुधारात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग और आंतरिक सुधार का प्रयास करना चाहिए। यह उसे व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों दृष्टिकोण से स्थिरता और सम्मान प्रदान करेगा।
See lessमान लीजिए कि आप ऐसी कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी० ई० ओ०) हैं, जो एक सरकारी विभाग के द्वारा • प्रयुक्त विशेषीकृत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाती है। आपने विभाग को उपस्कर की पूर्ति के लिए अपनी बोली पेश कर दी है। आपके ऑफर की गुणता और लागत दोनों आपके प्रतिस्पर्धियों से बेहतर हैं। इस पर भी सम्बन्धित अधिकारी टेंडर पास करने के लिए मोटी रिश्वत की माँग कर रहा है। ऑर्डर की प्राप्ति आपके और आपकी कम्पनी, दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है। ऑर्डर न मिलने का अर्थ होगा उत्पादन रेखा का बन्द कर देना। यह आपके स्वयं के कैरियर को भी प्रभावित कर सकता है। फिर भी, मूल्य-सचेत व्यक्ति के रूप में आप रिश्वत देना नहीं चाहते हैं। रिश्वत देने और ऑर्डर प्राप्त कर लेने, तथा रिश्वत देने से इनकार करने और ऑर्डर को हाथ से निकल जाने-दोनों के लिए वैध तर्क दिए जा सकते हैं। ये तर्क क्या हो सकते हैं? क्या इस धर्मसंकट से बाहर निकलने का कोई बेहतर रास्ता हो सकता है? यदि हाँ, तो इस तीसरे रास्ते की अच्छाइयों की ओर इंगित करते हुए उसकी रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए। (250 words)[UPSC 2014]
जब एक CEO के रूप में रिश्वत देने की मांग का सामना किया जाए, तो यह एक गंभीर नैतिक और व्यावसायिक दुविधा होती है। इस स्थिति में, रिश्वत देने और न देने के दोनों ही विकल्पों के तर्कों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। रिश्वत देने के तर्क ऑर्डर की प्राप्ति: तत्काल लाभ: रिश्वत देने से आप ऑर्डर प्राप्त कर सकते हRead more
जब एक CEO के रूप में रिश्वत देने की मांग का सामना किया जाए, तो यह एक गंभीर नैतिक और व्यावसायिक दुविधा होती है। इस स्थिति में, रिश्वत देने और न देने के दोनों ही विकल्पों के तर्कों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
रिश्वत देने के तर्क
रिश्वत न देने के तर्क
तीसरा विकल्प: वैध और पारदर्शी समाधान
1. मामला दर्ज करें:
2. आंतरिक सुधार प्रस्तावित करें:
3. मीडिया और सार्वजनिक दबाव:
इस दृष्टिकोण की अच्छाइयाँ
निष्कर्ष
रिश्वत देने के विकल्प से बचना और वैध और पारदर्शी तरीके से समस्या का समाधान करना सबसे अच्छा मार्ग है। यह कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, नैतिक मानदंडों को बनाए रखता है, और कंपनी की दीर्घकालिक प्रतिष्ठा को मजबूत करता है।
See lessनीतिशास्त्र केस स्टडी
एक ईमानदार अधिकारी के रूप में, जब आप अनुशासनहीनता और अन्य गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं और आपके खिलाफ प्रतिशोधात्मक आरोप लगाए गए हैं, तो सही रणनीति अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ इस स्थिति में उपलब्ध विकल्पों का विश्लेषण और सबसे उचित मार्गदर्शन प्रदान किया गया है। विकल्पों का मूल्यांकन आयोग को अपRead more
एक ईमानदार अधिकारी के रूप में, जब आप अनुशासनहीनता और अन्य गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं और आपके खिलाफ प्रतिशोधात्मक आरोप लगाए गए हैं, तो सही रणनीति अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ इस स्थिति में उपलब्ध विकल्पों का विश्लेषण और सबसे उचित मार्गदर्शन प्रदान किया गया है।
विकल्पों का मूल्यांकन
सर्वोत्तम विकल्प
उच्च अधिकारियों को संक्षेप में अवगत कराना और एक निष्पक्ष जांच शुरू करना सबसे उपयुक्त विकल्प है। यह रणनीति निम्नलिखित लाभ प्रदान करती है:
निष्कर्ष
सही और प्रभावी समाधान के लिए, उच्च अधिकारियों को सूचित करना और निष्पक्ष जांच शुरू करना सबसे उपयुक्त मार्ग है। इससे आप विभाग की समस्याओं को ठीक से हल कर सकेंगे और अपनी ईमानदारी और पेशेवरता को बनाए रख सकेंगे।
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समालोचनात्मक विश्लेषण और सलाह a. नैतिक सिद्धान्तों की रक्षा और व्यावहारिकता जब अनैतिक वातावरण व्यापक हो, तो नैतिक सिद्धान्तों के प्रति समर्पण कठिन हो सकता है, और इससे करियर, परिवार, और जीवन पर जोखिम पैदा हो सकते हैं। हालांकि, नैतिकता से समझौता करने से दीर्घकालिक परिणाम और भी गंभीर हो सकते हैं। अमिताRead more
समालोचनात्मक विश्लेषण और सलाह
a. नैतिक सिद्धान्तों की रक्षा और व्यावहारिकता
जब अनैतिक वातावरण व्यापक हो, तो नैतिक सिद्धान्तों के प्रति समर्पण कठिन हो सकता है, और इससे करियर, परिवार, और जीवन पर जोखिम पैदा हो सकते हैं। हालांकि, नैतिकता से समझौता करने से दीर्घकालिक परिणाम और भी गंभीर हो सकते हैं। अमिताभ कांत, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक उदाहरण हैं, ने विभिन्न चुनौतियों का सामना किया लेकिन अपनी नैतिकता को बनाए रखा और प्रभावी ढंग से कार्य किया। नैतिक सिद्धान्तों के प्रति प्रतिबद्धता अंततः सम्मान और स्थायी सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है।
b. नैतिकता की प्रभावशीलता
हालांकि कुछ लोग ही नैतिकता का पालन करें, उनका प्रयास दीर्घकालिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण होता है। डॉ. वीरगोस कुरियन, जो दूध क्रांति के जनक हैं, ने अकेले भी बड़ी बदलाव लाने में योगदान दिया। एक व्यक्ति या कुछ लोगों का नैतिक प्रयास व्यापक बदलाव का प्रेरणास्त्रोत बन सकता है।
c. नैतिकता और आर्थिक उन्नति
नैतिकता आर्थिक विकास के विपरीत नहीं है। उच्च नैतिक मानक और पारदर्शिता आर्थिक स्थिरता और विकास में सहायक होते हैं। डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश, जो उच्च नैतिक मानकों को अपनाते हैं, ने आर्थिक विकास और प्रतिस्पर्धा में उत्कृष्टता प्राप्त की है। नैतिकता की उपेक्षा से भ्रष्टाचार और दीर्घकालिक आर्थिक नुकसान हो सकता है।
d. छोटे उपहार और इधर-उधर की तरफ़दारियाँ
छोटे उपहार और छोटे फायदे तात्कालिक लाभ प्रदान कर सकते हैं, लेकिन यह एक सड़ी-गली प्रक्रिया की शुरुआत कर सकते हैं। 2016 का पनामा पेपर्स लीक इस बात का प्रमाण है कि छोटी-मोटी अनैतिकता बड़ी समस्याओं का रूप ले सकती है। इससे सार्वजनिक विश्वास और प्रणाली की दक्षता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सलाह
आपके मित्र को सलाह दें कि नैतिकता की दिशा में坚定 रहें, क्योंकि यह व्यक्तिगत और संस्थागत प्रभावशीलता के लिए महत्वपूर्ण है।
See lessनीतिशास्त्र केस स्टडी
नीतिशास्त्र केस स्टडी: ग्रामीण से शहरी प्रवासन a. शिक्षित ग्रामीण युवा शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित होने की कोशिश कर रहे हैं आर्थिक अवसरों की खोज: शिक्षित ग्रामीण युवा बेहतर रोजगार के अवसरों की तलाश में शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण यRead more
नीतिशास्त्र केस स्टडी: ग्रामीण से शहरी प्रवासन
a. शिक्षित ग्रामीण युवा शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित होने की कोशिश कर रहे हैं
आर्थिक अवसरों की खोज: शिक्षित ग्रामीण युवा बेहतर रोजगार के अवसरों की तलाश में शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण युवा दिल्ली और बंगलुरु जैसे शहरों में IT और सेवा क्षेत्रों में काम करने के लिए जाते हैं। ये शहरी क्षेत्र उनकी शिक्षा के अनुसार उच्च वेतन और करियर की बेहतर संभावनाएँ प्रदान करते हैं।
अधोसंरचना की कमी: ग्रामीण इलाकों में आधुनिक शिक्षा और कौशल विकास की कमी के कारण युवा शहरी क्षेत्रों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
b. भूमिहीन निर्धन लोग नगरीय मलिन बस्तियों में प्रवसन कर रहे हैं
आर्थिक असमानता: भूमिहीन निर्धन लोग रोजगार के लिए नगरीय मलिन बस्तियों की ओर प्रवास कर रहे हैं, जहाँ वे कम वेतन वाली अनौपचारिक नौकरियों में काम करते हैं। उदाहरण के लिए, झारखंड और ओडिशा के ग्रामीण मजदूर मुंबई और दिल्ली के स्लम क्षेत्रों में काम करने के लिए पहुँच रहे हैं।
सार्वजनिक सेवाओं की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की कमी के कारण ये लोग शहरी क्षेत्रों में बेहतर जीवन की उम्मीद में आ रहे हैं।
c. यहाँ तक कि कुछ किसान अपनी ज़मीन बेच रहे हैं और शहरी क्षेत्रों में छोटी-मोटी नौकरियाँ लेकर बसने की कोशिश कर रहे हैं
कृषि में संकट: कई किसान अपनी ज़मीन बेचकर शहरी क्षेत्रों में प्रवास कर रहे हैं क्योंकि कृषि में गिरावट और अत्यधिक ऋण के कारण उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती है। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में किसान अपनी भूमि बेचकर पुणे और नागपुर जैसे शहरों में छोटे-मोटे रोजगार की तलाश में आ रहे हैं।
सामाजिक और आर्थिक दबाव: कृषि से जुड़े संकटों के चलते किसान शहरी जीवन की ओर रुख कर रहे हैं, जहाँ वे भिन्न-भिन्न प्रकार की श्रम-संबंधी नौकरियाँ कर सकते हैं।
d. प्रभावी कदम और समाधान
ग्रामीण विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना आवश्यक है। जैसे कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) ने ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास किया है, लेकिन इन्हें और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
कृषि सुधार: कृषि में सुधार के लिए योजनाएँ जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) और फसल बीमा योजना को मजबूती प्रदान करनी चाहिए ताकि किसानों की आय में स्थिरता आए और वे अपनी ज़मीन को न बेचें।
ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहन: ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, डेयरी विकास और ग्रामीण उद्योगों को समर्थन देकर स्थिर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
शहरी योजना में सुधार: शहरी क्षेत्रों में किफायती आवास और बेहतर बुनियादी ढाँचे के विकास से मलिन बस्तियों की समस्या को कम किया जा सकता है। स्लम सुधार योजनाओं और उचित शहरी नियोजन के माध्यम से शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
इन उपायों को अपनाकर ग्रामीण से शहरी प्रवासन की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है और सामाजिक और आर्थिक संतुलन को बनाए रखा जा सकता है।
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