“महिला सशक्तिकरण जनसंख्या संवृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है ।” चर्चा कीजिए । (250 words) [UPSC 2019]
भारत में एक मध्यम-वर्गीय कामकाजी महिला की अवस्थिति को पितृतंत्र (पेट्रिआर्की) कई तरीकों से प्रभावित करता है: सामाजिक संरचना: पारंपरिक भूमिकाएँ: पितृतंत्र में महिलाओं की भूमिकाएँ पारंपरिक होती हैं, जैसे घरेलू जिम्मेदारियाँ और परिवार की देखभाल। कामकाजी महिलाओं को अक्सर नौकरी और घर के काम के बीच संतुलनRead more
भारत में एक मध्यम-वर्गीय कामकाजी महिला की अवस्थिति को पितृतंत्र (पेट्रिआर्की) कई तरीकों से प्रभावित करता है:
सामाजिक संरचना:
पारंपरिक भूमिकाएँ: पितृतंत्र में महिलाओं की भूमिकाएँ पारंपरिक होती हैं, जैसे घरेलू जिम्मेदारियाँ और परिवार की देखभाल। कामकाजी महिलाओं को अक्सर नौकरी और घर के काम के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई होती है, जिससे उनकी पेशेवर उन्नति प्रभावित होती है।
सामाजिक मानदंड: पितृतंत्र समाज में महिलाओं की स्वतंत्रता और करियर विकास पर सामाजिक मानदंडों का दबाव रहता है। कार्यस्थल पर भेदभाव और घरेलू दबाव उनकी आत्म-संप्रभुता को सीमित कर सकते हैं।
आर्थिक प्रभाव:
वेतन अंतर: पितृतंत्र के कारण कामकाजी महिलाओं को समान कार्य के लिए पुरुषों के मुकाबले कम वेतन मिल सकता है।
उन्नति के अवसर: करियर में उन्नति के अवसरों पर पितृतंत्र के प्रभाव के कारण कामकाजी महिलाओं को अक्सर बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि पदोन्नति और नेतृत्व की भूमिकाओं में कमी।
इन पहलुओं के कारण, मध्यम-वर्गीय कामकाजी महिलाओं की अवस्थिति पितृतंत्र के प्रभाव में होती है, जिससे उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में असंतुलन और चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
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"महिला सशक्तिकरण जनसंख्या संवृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है" - यह कथन बहुत हद तक सत्य है। महिला सशक्तिकरण और जनसंख्या नियंत्रण में घनिष्ठ संबंध है, जिसे निम्नलिखित तरीकों से समझा जा सकता है: शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता: महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता उनके जनन क्षमता पर प्रत्यक्ष प्रभावRead more
“महिला सशक्तिकरण जनसंख्या संवृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है” – यह कथन बहुत हद तक सत्य है। महिला सशक्तिकरण और जनसंख्या नियंत्रण में घनिष्ठ संबंध है, जिसे निम्नलिखित तरीकों से समझा जा सकता है:
समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार और उनके सशक्तिकरण से जनसंख्या नियंत्रण में मदद मिलती है। यह एक परस्पर संबंधित प्रक्रिया है जिसमें एक दूसरे को बढ़ावा देते हुए एक संतुलित और सतत् विकास हासिल किया जा सकता है।
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