सिंधु घाटी सभ्यता की नगरीय आयोजना और संस्कृति ने किस सीमा तक वर्तमान युगीन नगरीकरण को निवेश (इनपुट) प्रदान किए हैं? चर्चा कीजिए । (150 words) [UPSC 2014]
भारत में मुद्राशास्त्र (Numismatics) का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक विविध और समृद्ध रहा है। प्राचीन काल में भारतीय मुद्राओं की शुरुआत सिक्कों के रूप में हुई, जो लगभग 6वीं सदी ई.पू. के आसपास ईरान और मैसोपोटामिया से प्रभावित थे। मौर्य साम्राज्य के समय, चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक के सिक्कोंRead more
भारत में मुद्राशास्त्र (Numismatics) का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक विविध और समृद्ध रहा है।
प्राचीन काल में भारतीय मुद्राओं की शुरुआत सिक्कों के रूप में हुई, जो लगभग 6वीं सदी ई.पू. के आसपास ईरान और मैसोपोटामिया से प्रभावित थे। मौर्य साम्राज्य के समय, चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक के सिक्कों में विविधता आई, जिसमें चांदी, तांबा और स्वर्ण सिक्के शामिल थे। गुप्त काल में, सिक्कों का स्वर्ण प्रयोग प्रमुख था, और गुप्त साम्राज्य की समृद्धि को दर्शाने वाले सुंदर और सुव्यवस्थित सिक्के प्रचलित थे।
मुस्लिम शासकों के आगमन के साथ, तांबे और चांदी के सिक्कों की नई श्रृंखलाएँ प्रचलित हुईं। मुघल साम्राज्य में सिक्कों का अत्यधिक कला और कलात्मकता में उन्नति हुई। अकबर के समय, सिक्कों पर नाम, तारीख और शाही प्रतीक उकेरे जाते थे।
ब्रिटिश काल में, भारतीय मुद्रा प्रणाली को एकीकृत किया गया और रुपये का प्रयोग सामान्य हुआ। भारतीय सिक्कों पर ब्रिटिश और स्थानीय प्रतीकों का मिश्रण देखा गया।
आधुनिक काल में, स्वतंत्रता के बाद भारतीय मुद्रा में रूपांतर हुए, और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सिक्कों की देखरेख की गई। आजकल, भारतीय सिक्के विभिन्न रूपों और मानकों में उपलब्ध हैं।
सिक्कों का अध्ययन इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि सिक्के समय की सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों का प्रत्यक्ष प्रमाण होते हैं। सिक्कों पर अंकित चित्र और लेखन सामाजिक संरचनाओं, शासकों की नीतियों, व्यापारिक संबंधों और सामाजिक आस्थाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। इसके माध्यम से ऐतिहासिक घटनाओं और कालखंडों की विस्तृत और सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है, जो अन्य ऐतिहासिक स्रोतों में उपलब्ध नहीं हो सकती।
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सिंधु घाटी सभ्यता की नगरीय आयोजना और संस्कृति ने आधुनिक नगरीकरण को कई महत्वपूर्ण निवेश (इनपुट) प्रदान किए हैं। नगरीय आयोजना: विकसित ढाँचा: सिंधु घाटी सभ्यता में शहरों का सुव्यवस्थित ग्रिड लेआउट, चौड़ी सड़कों और नियमित प्लानिंग ने आधुनिक नगरीकरण के लिए योजनाबद्ध और संरचित विकास की दिशा निर्धारित की।Read more
सिंधु घाटी सभ्यता की नगरीय आयोजना और संस्कृति ने आधुनिक नगरीकरण को कई महत्वपूर्ण निवेश (इनपुट) प्रदान किए हैं।
नगरीय आयोजना:
See lessविकसित ढाँचा: सिंधु घाटी सभ्यता में शहरों का सुव्यवस्थित ग्रिड लेआउट, चौड़ी सड़कों और नियमित प्लानिंग ने आधुनिक नगरीकरण के लिए योजनाबद्ध और संरचित विकास की दिशा निर्धारित की।
जल प्रबंधन: उन्नत जल निकासी और सिंचाई प्रणाली, जैसे सिवेज सिस्टम और जलाशय, ने आज के नगरीकरण में प्रभावी जल प्रबंधन की अवधारणा को प्रेरित किया।
संस्कृति:
शहरी केंद्र: व्यापारी केंद्र और बाजारों की अवधारणा ने व्यावसायिक क्षेत्रों के विकास की दिशा को प्रभावित किया।
सामाजिक संरचना: विभाजन और कार्य विशेषज्ञता की प्रणाली ने आधुनिक शहरी समाज की जटिल सामाजिक संरचनाओं को प्रेरित किया।
इन तत्वों ने वर्तमान युग के नगरीकरण में संगठनात्मक दक्षता और शहरी सुविधाओं के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया है।