आचार-सिद्धांत के किन पाँच सिद्धांतों को आप प्राथमिकता प्रदान करेंगे और क्यों? विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
a. सदाचार-संहिता और आचार संहिता सदाचार-संहिता (Code of Ethics) परिभाषा: सदाचार-संहिता व्यक्तिगत या पेशेवर नैतिक मानदंडों का समूह है, जो सही और गलत के बीच अंतर बताता है। उदाहरण: सिविल सेवकों के लिए नैतिक संहिता में भ्रष्टाचार, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ दिशानिर्देश होते हैं। आचार संहिता (Code of ConduRead more
a. सदाचार-संहिता और आचार संहिता
- सदाचार-संहिता (Code of Ethics)
- परिभाषा: सदाचार-संहिता व्यक्तिगत या पेशेवर नैतिक मानदंडों का समूह है, जो सही और गलत के बीच अंतर बताता है।
- उदाहरण: सिविल सेवकों के लिए नैतिक संहिता में भ्रष्टाचार, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ दिशानिर्देश होते हैं।
- आचार संहिता (Code of Conduct)
- परिभाषा: आचार संहिता विशिष्ट नियम और निर्देश हैं जो सार्वजनिक या पेशेवर व्यवहार को नियंत्रित करते हैं।
- उदाहरण: चुनाव आयोग द्वारा जारी आचार संहिता चुनाव के दौरान उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के व्यवहार को निर्दिष्ट करती है।
b. सहिष्णुता और करुणा
- सहिष्णुता (Tolerance)
- परिभाषा: सहिष्णुता विभिन्न दृष्टिकोणों और विश्वासों को स्वीकार करने की क्षमता है, बिना किसी संघर्ष के।
- उदाहरण: धार्मिक सहिष्णुता की पहल, जैसे कि ‘अंतरधार्मिक संवाद’, विभिन्न धर्मों के बीच समझ और शांति को बढ़ावा देती है।
- करुणा (Compassion)
- परिभाषा: करुणा दूसरों के दुखों को समझने और उनकी मदद करने की इच्छा है।
- उदाहरण: COVID-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों और सेवा संगठनों ने अत्यधिक करुणा और सहायता प्रदान की, जिससे प्रभावित लोगों को राहत मिली।
निष्कर्ष
सदाचार-संहिता और आचार संहिता में नैतिक मानदंडों और व्यवहारिक नियमों का अंतर है, जबकि सहिष्णुता और करुणा में सामाजिक समरसता और मानवता के प्रति दृष्टिकोण का अंतर है।
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आचार-सिद्धांत के पाँच प्रमुख सिद्धांत और उनकी प्राथमिकता 1. ईमानदारी: ईमानदारी हर कार्य में सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने का आदर्श है। यह सिद्धांत लोक सेवा में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता के विश्वास को मजबूत करता है। उदाहरण के लिए, लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाRead more
आचार-सिद्धांत के पाँच प्रमुख सिद्धांत और उनकी प्राथमिकता
1. ईमानदारी: ईमानदारी हर कार्य में सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने का आदर्श है। यह सिद्धांत लोक सेवा में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता के विश्वास को मजबूत करता है। उदाहरण के लिए, लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई ने ईमानदारी की आवश्यकता को प्रमुखता दी है।
2. नैतिकता: नैतिकता का तात्पर्य है कि सभी निर्णय सही और उचित आधार पर किए जाएं। नैतिकता सुनिश्चित करती है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों को नैतिक नियमों के अनुसार निभाएं। मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ई-गवर्नेंस के तहत नैतिकता को प्रोत्साहित किया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी।
3. उचितता: उचितता का सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि सभी निर्णय समानता और निष्पक्षता के आधार पर लिए जाएं। स्वच्छ भारत मिशन में, अधिकारियों ने सभी वर्गों के लोगों को स्वच्छता सुविधाओं का समान लाभ देने के लिए उचितता को प्राथमिकता दी।
4. प्रोफेशनलिज़्म: प्रोफेशनलिज़्म का मतलब है कि कार्यों को उच्च मानकों और प्रोफेशनल व्यवहार के अनुसार किया जाए। कोविड-19 टीकाकरण अभियान में, अधिकारियों ने पेशेवर तरीके से टीकाकरण प्रक्रिया को संचालित किया, जिससे कि मिशन की सफलता सुनिश्चित हो सकी।
5. जवाबदेही: जवाबदेही का तात्पर्य है कि अधिकारी अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी हों और जनता के सामने जवाब दें। मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत, स्वास्थ्य विभाग ने सभी टीकाकरण गतिविधियों की जवाबदेही सुनिश्चित की।
निष्कर्ष: इन पाँच सिद्धांतों – ईमानदारी, नैतिकता, उचितता, प्रोफेशनलिज़्म, और जवाबदेही – को प्राथमिकता देने से लोक सेवा में सच्ची सेवा और जनता के विश्वास को बढ़ाया जा सकता है। इन सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करता है कि सरकारी कार्य समाज के हित में और उच्च मानकों के अनुसार किए जाएं।
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