लघु एवं सीमान्त किसानों पर हरित क्रांति के प्रभावों की व्याख्या करें। (125 Words) [UPPSC 2019]
भारत में कृषि उत्पादकता की कमी के कारण 1. सिंचाई की कमी: असंतुलित सिंचाई सुविधाएं और मॉनसून पर निर्भरता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, Vidarbha में सूखा की समस्याएं कृषि उत्पादन को प्रभावित करती हैं। 2. प्रौद्योगिकी की कमी: पुरानी कृषि तकनीकें और मशीनरी की कमी से उत्पादकता में कRead more
भारत में कृषि उत्पादकता की कमी के कारण
1. सिंचाई की कमी: असंतुलित सिंचाई सुविधाएं और मॉनसून पर निर्भरता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, Vidarbha में सूखा की समस्याएं कृषि उत्पादन को प्रभावित करती हैं।
2. प्रौद्योगिकी की कमी: पुरानी कृषि तकनीकें और मशीनरी की कमी से उत्पादकता में कमी होती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सुधार प्रयास जारी हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी का प्रयोग कम है।
3. मिट्टी की गुणवत्ता: अधिक उर्वरक उपयोग और मिट्टी की गुणवत्ता में कमी के कारण, उत्पादकता में गिरावट आती है। स्वस्थ मिट्टी प्रबंधन योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कृष्ण सिंचाई योजना का ध्यान इस पर है।
4. छोटे और बंटे हुए खेत: छोटे खेत और भूमि का विभाजन फसलों के मात्रात्मक लाभ और प्रबंधन में कठिनाइयाँ उत्पन्न करता है।
सारांश: सिंचाई की कमी, प्रौद्योगिकी की कमी, मिट्टी की गुणवत्ता और भूमि का विभाजन मुख्य कारण हैं जो भारत में कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।
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लघु एवं सीमान्त किसानों पर हरित क्रांति के प्रभाव **1. सकारात्मक प्रभाव: उत्पादकता में वृद्धि: हरित क्रांति ने उच्च-उपज वाली फसलों और आधुनिक कृषि तकनीकों को पेश किया, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ी। इससे कुछ लघु किसान भी लाभान्वित हुए, जिन्होंने नई किस्मों और बेहतर सिंचाई सुविधाओं का उपयोग किया। आर्थिकRead more
लघु एवं सीमान्त किसानों पर हरित क्रांति के प्रभाव
**1. सकारात्मक प्रभाव:
**2. नकारात्मक प्रभाव:
**3. हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: हरित क्रांति ने कुछ लघु किसानों के लिए लाभकारी परिणाम दिए, लेकिन असमान संसाधनों के कारण कई सीमान्त किसान पर्यावरणीय और आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
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