‘मनी लॉन्ड्रिंग’ एवं ‘मानव तस्करी’ की गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियों के रूप में समीक्षा कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
आंतरिक सुरक्षा के प्रति खतरे के रूप में भ्रष्टाचार 1. प्रशासनिक अक्षमता: भ्रष्टाचार कानून प्रवर्तन एजेंसियों और प्रशासनिक कार्यप्रणाली की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। इससे सुरक्षा बलों और सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता कम होती है, जिससे आंतरिक सुरक्षा में कमी आती है। 2. संस्थानिक क्षति: भ्रष्टाचारRead more
आंतरिक सुरक्षा के प्रति खतरे के रूप में भ्रष्टाचार
1. प्रशासनिक अक्षमता: भ्रष्टाचार कानून प्रवर्तन एजेंसियों और प्रशासनिक कार्यप्रणाली की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। इससे सुरक्षा बलों और सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता कम होती है, जिससे आंतरिक सुरक्षा में कमी आती है।
2. संस्थानिक क्षति: भ्रष्टाचार संस्थानों की विश्वसनीयता और अधिकारी की ईमानदारी को कमजोर करता है। इससे मामलों की रिपोर्टिंग और जांच में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
3. आतंकवाद और अपराध: भ्रष्टाचार आतंकवादी और आपराधिक समूहों को वित्तीय और प्रशासनिक समर्थन प्रदान करता है। यह संविधानिक और कानूनी ढांचे को कमजोर करता है।
उदाहरण: आतंकवादी वित्तपोषण के मामलों में भ्रष्टाचार की भूमिका, जैसे पैसे की तस्करी और वेतन घोटाले, जो आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं।
निष्कर्ष: भ्रष्टाचार आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है, क्योंकि यह प्रशासनिक अक्षमता, संस्थानिक क्षति और आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम करता है। इससे निपटने के लिए कठोर नीतियाँ और सुधारात्मक उपाय आवश्यक हैं।
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मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी: गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियाँ मनी लॉन्ड्रिंग: आर्थिक प्रभाव: यह अवैध धन को वैधता प्रदान करता है, जिससे काले धन की अर्थव्यवस्था में घुसपैठ होती है। इससे आर्थिक अस्थिरता और वित्तीय प्रणाली में भ्रष्टाचार बढ़ता है। जटिलता: यह वित्तीय प्रणाली का दुरुपयोग करके जटिल लेन-देनRead more
मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी: गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियाँ
निष्कर्ष: मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियाँ हैं जो आर्थिक, सामाजिक, और मानवाधिकार के दृष्टिकोण से गंभीर समस्याएँ उत्पन्न करती हैं। इनसे निपटने के लिए प्रभावी कानूनी और सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता है।
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