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"हिमालय भूस्खलनों के प्रति अत्यधिक प्रवण हैं।" कारणों की विवेचना कीजिए तथा अल्पीकरण के उपयुक्त उपाय सुझाइए। (200 words) [UPSC 2016]
हिमालय में भूस्खलनों की प्रवृत्ति: कारण और अल्पीकरण के उपाय भूस्खलनों के कारण भौगोलिक कारक हिमालय एक युवा और भूगर्भिक दृष्टि से अस्थिर क्षेत्र है। यहाँ की तीव्र ढलानें और ढीले अवसादी चट्टानें भूस्खलनों के लिए अत्यधिक प्रवण बनाती हैं। भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव के कारण लगातार टेक्टोनिक गतिविRead more
हिमालय में भूस्खलनों की प्रवृत्ति: कारण और अल्पीकरण के उपाय
भूस्खलनों के कारण
हिमालय एक युवा और भूगर्भिक दृष्टि से अस्थिर क्षेत्र है। यहाँ की तीव्र ढलानें और ढीले अवसादी चट्टानें भूस्खलनों के लिए अत्यधिक प्रवण बनाती हैं। भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव के कारण लगातार टेक्टोनिक गतिविधि भी इस क्षेत्र को अस्थिर बनाती है।
मौसम की अत्यधिक वर्षा मिट्टी को संतृप्त कर देती है, जिससे उसकी स्थिरता कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, 2013 की उत्तराखंड बाढ़ ने दर्शाया कि अत्यधिक वर्षा किस प्रकार विशाल भूस्खलनों को उत्पन्न कर सकती है।
निर्माण गतिविधियाँ जैसे सड़क निर्माण और वनरोपण, प्राकृतिक ढलानों को बाधित करती हैं और भूस्खलन के जोखिम को बढ़ाती हैं। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में अव्यवस्थित ढंग से निर्माण इस समस्या को और बढ़ाता है।
अल्पीकरण के उपाय
बेहतर भूमि उपयोग प्रथाएँ लागू करना और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में निर्माण को सीमित करना भूस्खलन के जोखिम को कम कर सकता है। उदाहरण के लिए, भारत की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने पहाड़ी क्षेत्रों में सुरक्षित निर्माण प्रथाओं के लिए दिशानिर्देश विकसित किए हैं।
वनरोपण और ढलान स्थिरीकरण तकनीकें जैसे पौधे लगाना और दीवारें बनाना मिट्टी को मजबूती प्रदान करती हैं और कटाव को रोकती हैं। हिमालयन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट हाल ही में पुनर्वनीकरण परियोजनाओं में सक्रिय रहा है।
प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और रियल-टाइम निगरानी विकसित करना संभावित भूस्खलनों के लिए पूर्व सूचना प्रदान कर सकता है, जिससे समय पर निकासी और आपदा तैयारियों में मदद मिलती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली हाल ही में लागू की गई है।
स्थानीय समुदायों को भूस्खलन के जोखिम और आपातकालीन तैयारियों के बारे में शिक्षित करना प्रभावी ढंग से भूस्खलनों के प्रभाव को कम कर सकता है। समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन कार्यक्रम स्थानीय संजीवनी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इन कारणों की विवेचना और उपायों को लागू करके हिमालय क्षेत्र में भूस्खलनों की प्रवृत्ति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
See lessक्या कारण है कि संसार का वलित पर्वत (फोल्डेड माउन्टेन) तंत्र महाद्वीपों के सीमांतों के साथ-साथ अवस्थित है ? वलित पर्वतों के वैश्विक वितरण और भूकंपों एवं ज्वालामुखियों के बीच साहचर्य को उजागर कीजिए । (150 words) [UPSC 2014]
वलित पर्वत तंत्र का महाद्वीपीय सीमांतों पर अवस्थित होना महाद्वीपीय सीमांतों पर स्थिति वलित पर्वत तंत्र महाद्वीपों के सीमांतों पर स्थित होते हैं क्योंकि ये स्थान टेक्टोनिक प्लेट सीमाओं पर होते हैं। जब दो टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक दूसरे के ऊपर जाती हैं, तो पृथ्वी की सतह पर दबाव बनता हRead more
वलित पर्वत तंत्र का महाद्वीपीय सीमांतों पर अवस्थित होना
महाद्वीपीय सीमांतों पर स्थिति
वलित पर्वत तंत्र महाद्वीपों के सीमांतों पर स्थित होते हैं क्योंकि ये स्थान टेक्टोनिक प्लेट सीमाओं पर होते हैं। जब दो टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक दूसरे के ऊपर जाती हैं, तो पृथ्वी की सतह पर दबाव बनता है, जिससे वलन (folding) और पर्वत निर्माण होता है। उदाहरणस्वरूप, हिमालय महाद्वीपीय प्लेटों के टकराने का परिणाम है।
भूकंपों और ज्वालामुखियों के साथ साहचर्य
वलित पर्वत तंत्र भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों से गहरे जुड़े हुए हैं। टेक्टोनिक सीमाओं पर अत्यधिक भूगर्भीय गतिविधि होती है, जिससे भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं। हाल के उदाहरणों में, नेपाल में 2015 का भूकंप और चिली का 2010 का भूकंप शामिल हैं, जो कि हिमालय और एंडीज जैसे वलित पर्वतों के निकट हुआ। इसके अतिरिक्त, जापान में ज्वालामुखी गतिविधि, जैसे कि कुमामोटो ज्वालामुखी, इस साहचर्य को दर्शाती है।
निष्कर्ष
See lessवलित पर्वत तंत्र महाद्वीपीय सीमांतों पर स्थित होते हैं क्योंकि ये स्थान टेक्टोनिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र होते हैं, जिससे भूकंप और ज्वालामुखियों की घटनाएँ सामान्य होती हैं।
ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी आपस में कैसी संबंधित हैं? ज्वालामुखी उद्गार के संभावित सभी कारणों पर प्रकाश डालिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी आपस में कैसी संबंधित हैं? ज्वालामुखी उद्गार के संभावित सभी कारणों पर प्रकाश डालिये ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी का आपसी संबंध: 1. भौगोलिक संबंध: ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी सभी भूगर्भीय गतिविधियों के परिणाम हैं। भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ अक्सर टेकटोनिक प्लेटों की गतिRead more
ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी आपस में कैसी संबंधित हैं? ज्वालामुखी उद्गार के संभावित सभी कारणों पर प्रकाश डालिये
ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी का आपसी संबंध:
1. भौगोलिक संबंध: ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी सभी भूगर्भीय गतिविधियों के परिणाम हैं। भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ अक्सर टेकटोनिक प्लेटों की गतिविधियों से संबंधित होती हैं, जहाँ प्लेटों की टकराहट या घिसाई से तनाव उत्पन्न होता है। जब यह तनाव अत्यधिक हो जाता है, तो यह भूकंप का कारण बनता है और ज्वालामुखी में लावा का उद्गार होता है।
2. ज्वालामुखी और भूकंप: ज्वालामुखी उद्गार और भूकंप एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। ज्वालामुखी के भीतर मग्मा का संचित होना और दबाव में वृद्धि से भूकंप उत्पन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2010 में आइसलैंड का एयाफजाल्लाजोकुल ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान कई भूकंपों का कारण बना।
3. ज्वालामुखी और सुनामी: सुनामी ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद उत्पन्न हो सकती है, विशेषकर जब ज्वालामुखी समुद्र में होता है और इसके विस्फोट से मासिक तरंगें उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, 1883 का क्राकाटोआ विस्फोट ने एक विशाल सुनामी उत्पन्न की थी, जिससे आसपास के तटों पर भारी तबाही हुई।
ज्वालामुखी उद्गार के संभावित कारण:
1. मग्मा का संचित होना: जब मग्मा (पिघला हुआ चट्टान) पृथ्वी की आंतरिक परतों में संचित होता है, तो इसका दबाव बढ़ता है और ज्वालामुखी उद्गार हो सकता है।
2. टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियाँ: टेक्टोनिक प्लेटों की टकराहट और उनके रिड़ना से मग्मा की रचना और उसकी सतह पर चढ़ाई होती है, जो ज्वालामुखी के उद्गार का कारण बनती है।
3. गैस का संचित होना: ज्वालामुखी के भीतर गैसों का संचित होना (जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड) भी दबाव उत्पन्न करता है, जो अंततः विस्फोट का कारण बनता है।
4. पृथ्वी की आंतरिक संरचना में परिवर्तन: आंतरिक दबाव और संरचनात्मक परिवर्तन भी ज्वालामुखी विस्फोट को प्रेरित कर सकते हैं, जैसे कि सुपरवॉल्कानो विस्फोट जो अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।
निष्कर्ष: ज्वालामुखी, भूकंप, और सुनामी भूगर्भीय प्रक्रियाओं के परिणाम हैं और आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। ज्वालामुखी उद्गार के लिए मग्मा का संचित होना, टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियाँ, गैस संचित होना, और आंतरिक संरचनात्मक परिवर्तन प्रमुख कारण हैं। इन प्रक्रियाओं की समझ प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और प्रबंधन में सहायक होती है।
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