क्या कारण था कि उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक आते-आते ‘नरमदलीय’ अपनी घोषित विचारधारा एवं राजनीतिक लक्ष्यों के प्रति राष्ट्र के विश्वास को जगाने में असफल हो गए थे ? (150 words) [UPSC 2017]
लॉर्ड कर्जन की नीतियों और राष्ट्रीय आंदोलन पर उनके दूरगामी प्रभाव लॉर्ड कर्जन की नीतियाँ: शैक्षिक नीतियाँ: लॉर्ड कर्जन (1899-1905) ने शैक्षिक नीतियों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए, विशेषकर उच्च शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने यूनिवर्सिटी एक्ट 1904 के माध्यम से भारतीय विश्वविद्यालयों को सरकार कRead more
लॉर्ड कर्जन की नीतियों और राष्ट्रीय आंदोलन पर उनके दूरगामी प्रभाव
लॉर्ड कर्जन की नीतियाँ:
- शैक्षिक नीतियाँ: लॉर्ड कर्जन (1899-1905) ने शैक्षिक नीतियों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए, विशेषकर उच्च शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने यूनिवर्सिटी एक्ट 1904 के माध्यम से भारतीय विश्वविद्यालयों को सरकार के प्रति अधिक जिम्मेदार बना दिया, जिससे समान शिक्षा मानक और प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ा।
- विभाजन की नीति: कर्जन की विभाजन की नीति ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया, जिसे उन्होंने मुस्लिम और हिंदू समुदायों के बीच भिन्नता और तनाव को बढ़ावा देने के लिए लागू किया। इस नीति ने सामाजिक और राजनीतिक तनाव को उत्पन्न किया।
राष्ट्रीय आंदोलन पर प्रभाव:
- राजनीतिक जागरूकता और एकता: कर्जन की नीतियों ने भारतीयों में राजनीतिक जागरूकता और संगठित विरोध को प्रेरित किया। कांग्रस पार्टी ने विभाजन के विरोध में एक सशक्त अभियान शुरू किया, जिससे राष्ट्रवाद की भावना को बल मिला।
- स्वतंत्रता आंदोलन की तेज़ी: कर्जन की नीतियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। लोकप्रिय आंदोलन जैसे कि बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन ने भारतीयों को स्वतंत्रता की ओर और अधिक प्रेरित किया।
हाल के उदाहरण:
- स्वतंत्रता संग्राम के पुनरावलोकन: हाल के वर्षों में, स्वतंत्रता संग्राम पर विभिन्न इतिहासकारों और शोधकर्ताओं ने कर्जन की नीतियों के प्रभाव का पुनरावलोकन किया है, और उनके प्रभाव को व्यापक रूप से समझा है।
- सांस्कृतिक पुनर्निर्माण: कर्जन के समय की नीतियों और उनके प्रभावों की समीक्षा राष्ट्रीय अभिलेखागार और संग्रहालयों द्वारा की जाती है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की संघर्षशीलता और धरोहर को उजागर करती हैं।
निष्कर्ष:
लॉर्ड कर्जन की नीतियाँ भारतीय समाज और राजनीति पर गहरे प्रभाव छोड़ गईं। उनकी शैक्षिक और प्रशासनिक नीतियाँ और विभाजन की नीति ने राष्ट्रीय आंदोलन को नई ऊर्जा दी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया। इन नीतियों ने राजनीतिक जागरूकता, संगठनात्मक शक्ति, और स्वतंत्रता संघर्ष की दिशा को स्पष्ट किया।
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उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक 'नरमदलीय' (Moderates) भारतीय राजनीति में अपेक्षित प्रभाव और समर्थन प्राप्त करने में असफल रहे। इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित थे: आत्मसंतोषी दृष्टिकोण: नरमदलीय नेताओं का आत्मसंतोषी दृष्टिकोण और ब्रिटिश शासन के साथ समझौता करने की नीति ने उन्हें राष्ट्रवादी जनसमर्थन से वंचिRead more
उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक ‘नरमदलीय’ (Moderates) भारतीय राजनीति में अपेक्षित प्रभाव और समर्थन प्राप्त करने में असफल रहे। इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित थे:
इन कारणों से, नरमदलीय अपने लक्ष्यों और विचारधारा के प्रति व्यापक राष्ट्र विश्वास जगाने में विफल रहे।
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