अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।(125 Words) [UPPSC 2018]
भारत की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए दावे की समीक्षा **1. भारत का वैश्विक प्रभाव भारत अपनी वृद्धि होती आर्थिक शक्ति और वैश्विक रणनीतिक भूमिका के कारण सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। वर्तमान में, भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनोRead more
भारत की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए दावे की समीक्षा
**1. भारत का वैश्विक प्रभाव
भारत अपनी वृद्धि होती आर्थिक शक्ति और वैश्विक रणनीतिक भूमिका के कारण सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। वर्तमान में, भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत की सक्रियता संयुक्त राष्ट्र शांति-रक्षा मिशनों में और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। उदाहरण के लिए, भारत ने “वन प्लानेट समिट” में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
**2. अन्य देशों का समर्थन
भारत के स्थायी सदस्यता के दावे को कई देशों और क्षेत्रीय समूहों का समर्थन प्राप्त है। G4 समूह (भारत, जर्मनी, ब्राज़ील, और जापान) ने UNSC के सुधार और स्थायी सदस्यता के विस्तार के लिए एकजुट प्रयास किए हैं। इसके अलावा, अफ्रीकी संघ ने भी भारत की सदस्यता के समर्थन में प्रस्ताव पेश किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कई प्रमुख देशों और समूहों ने भारत के दावे को स्वीकार किया है।
**3. चुनौतियाँ और विरोध
**a. P5 सदस्य देशों का प्रतिरोध
सभी P5 सदस्य देशों ने UNSC में स्थायी सदस्यता के विस्तार के प्रति सतर्कता दिखाई है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे शक्ति संतुलन में परिवर्तन हो सकता है।
**b. क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों का विरोध
भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का विरोध पाकिस्तान जैसे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों द्वारा किया जाता है, जो मानते हैं कि भारत की सदस्यता से निर्णय प्रक्रियाओं में पक्षपात हो सकता है।
**4. हाल की घटनाएँ
हाल के वर्षों में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने UNSC के सुधार पर चर्चा की है, लेकिन स्थायी सदस्यता के विस्तार पर एक सामान्य सहमति अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता की बात की है, लेकिन ठोस निर्णय अभी तक नहीं हुआ है।
निष्कर्ष
भारत का सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का दावे को उसके वैश्विक प्रभाव, अंतरराष्ट्रीय योगदान, और कई देशों के समर्थन द्वारा मजबूती मिली है। हालांकि, P5 सदस्यों की सतर्कता और क्षेत्रीय विरोधी ताकतें इस दावे के रास्ते में बाधा बनी हुई हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का आलोचनात्मक परीक्षण 1. विवादात्मक अधिकार क्षेत्र: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) राज्यों के बीच विवाद सुलझाता है, लेकिन सहमति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, 2019 में मलेशिया और सिंगापुर के बीच समुद्री सीमा विवाद का निपटारा न्यायालय द्वारा किया गया। 2. परRead more
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का आलोचनात्मक परीक्षण
1. विवादात्मक अधिकार क्षेत्र: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) राज्यों के बीच विवाद सुलझाता है, लेकिन सहमति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, 2019 में मलेशिया और सिंगापुर के बीच समुद्री सीमा विवाद का निपटारा न्यायालय द्वारा किया गया।
2. परामर्शी अधिकार क्षेत्र: ICJ संयुक्त राष्ट्र और उसके विशेष एजेंसियों द्वारा पूछे गए कानूनी प्रश्नों पर परामर्शी राय प्रदान करता है। 2019 में कोसोवो के स्वतंत्रता की वैधता पर परामर्शी राय एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
3. सीमाएँ:
निष्कर्ष: ICJ का अधिकार क्षेत्र महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका प्रभाव और पहुंच सीमित हैं, खासकर जब यह राज्यों की सहमति और कार्यान्वयन की कमी पर निर्भर करता है।
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