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भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन की समस्याओं एवं सम्भावनाओं को गिनाइए। (200 words) [UPSC 2016]
भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन (Inland Water Transport) की अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन यह क्षेत्र कई समस्याओं का सामना कर रहा है, जो इसके विकास को बाधित करती हैं। समस्याएँ: अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: अधिकांश नदियों में जलमार्ग के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना, जैसे कि बंदरगाह, टर्मिनल, और नेविगेशन सुविधाएँ,Read more
भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन (Inland Water Transport) की अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन यह क्षेत्र कई समस्याओं का सामना कर रहा है, जो इसके विकास को बाधित करती हैं।
समस्याएँ:
अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: अधिकांश नदियों में जलमार्ग के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना, जैसे कि बंदरगाह, टर्मिनल, और नेविगेशन सुविधाएँ, की कमी है। यह वाहनों के निर्बाध संचालन में बाधा उत्पन्न करता है।
सभी मौसमों में नेविगेशन की कमी: कई नदियों में जलस्तर का उतार-चढ़ाव वर्ष भर बना रहता है, जिससे जलमार्ग का उपयोग सीमित हो जाता है। मानसून के दौरान जलस्तर अधिक होता है, जबकि गर्मियों में जलस्तर गिर जाता है।
धीमी गति: अंतर्देशीय जल परिवहन की गति धीमी होती है, जिससे यह समय-संवेदनशील वस्तुओं के परिवहन के लिए कम उपयुक्त होता है।
प्रदूषण और अतिक्रमण: नदियों में प्रदूषण और अवैध निर्माण से जलमार्ग संकीर्ण हो जाते हैं, जिससे नेविगेशन कठिन हो जाता है।
कम निवेश और सरकारी समर्थन: इस क्षेत्र में निवेश की कमी और सरकारी नीतियों में प्राथमिकता की कमी भी इसके विकास को बाधित करती है।
सम्भावनाएँ:
पर्यावरण के अनुकूल: जल परिवहन ईंधन-कुशल और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक है, जिससे यह एक हरित (ग्रीन) विकल्प है।
कम लागत: सड़क और रेल परिवहन की तुलना में जल परिवहन की परिचालन लागत कम होती है, जिससे भारी और बल्क वस्तुओं के परिवहन के लिए यह एक सस्ता विकल्प है।
कनेक्टिविटी में सुधार: भारत की प्रमुख नदियाँ बड़े शहरों, बंदरगाहों और ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ती हैं। जलमार्गों के विकास से इन क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी और व्यापार में वृद्धि हो सकती है।
पर्यटन विकास: नदियों और जलमार्गों के बेहतर उपयोग से पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट: जलमार्गों को सड़कों और रेल नेटवर्क से जोड़कर मल्टीमॉडल परिवहन प्रणाली विकसित की जा सकती है, जिससे भारत के परिवहन क्षेत्र की दक्षता में वृद्धि होगी।
समग्र रूप से, अगर समस्याओं का समाधान किया जाए और बुनियादी ढाँचे में सुधार हो, तो अंतर्देशीय जल परिवहन भारत के परिवहन नेटवर्क में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
See lessतेल और गैस पाइपलाइन को अर्थव्यवस्था की धमनी माना जाता है। इस संदर्भ में, भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति पर प्रकाश डालिए। साथ ही, पाइपलाइन परिवहन के लाभ और हानियों को भी सूचीबद्ध कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
तेल और गैस पाइपलाइन को अर्थव्यवस्था की धमनी माना जाता है, क्योंकि ये ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति और वितरण की रीढ़ होती हैं। भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति तेजी से विकसित हो रही है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। **भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति:** 1. **विRead more
तेल और गैस पाइपलाइन को अर्थव्यवस्था की धमनी माना जाता है, क्योंकि ये ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति और वितरण की रीढ़ होती हैं। भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति तेजी से विकसित हो रही है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
**भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति:**
1. **विस्तार और नेटवर्क**: भारत में तेल और गैस पाइपलाइन नेटवर्क की लंबाई 20,000 किलोमीटर से अधिक है। इसमें प्रमुख पाइपलाइनों में क्रूड पाइपलाइन, गैस पाइपलाइन और उत्पाद पाइपलाइन शामिल हैं। प्रमुख पाइपलाइन नेटवर्कों में जामनगर-दीव, सिलीगुड़ी-बारपेटा, और धुबरी-नवगांव शामिल हैं।
2. **भौगोलिक विस्तार**: पाइपलाइनों का नेटवर्क देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है, जैसे कि उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम, जिससे ऊर्जा संसाधनों का वितरण सुगम होता है।
3. **निवेश और परियोजनाएँ**: भारत सरकार ने नई पाइपलाइन परियोजनाओं के लिए निवेश किया है, जैसे कि पूर्वी भारत में तेल और गैस पाइपलाइन नेटवर्क का विस्तार और सीमा क्षेत्रों में नई पाइपलाइनों की स्थापना।
**पाइपलाइन परिवहन के लाभ:**
1. **स्थिर और विश्वसनीय आपूर्ति**: पाइपलाइन परिवहन ऊर्जा संसाधनों की निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करता है, जो ऊर्जा की स्थिरता के लिए आवश्यक है।
2. **निम्न लागत**: एक बार स्थापित होने के बाद, पाइपलाइन परिवहन की लागत अपेक्षाकृत कम होती है, क्योंकि इसमें परिवहन के लिए कम ऑपरेशनल लागत होती है।
3. **कम पर्यावरणीय प्रभाव**: अन्य परिवहन तरीकों की तुलना में, पाइपलाइन से कम ऊर्जा की खपत और प्रदूषण होता है।
**पाइपलाइन परिवहन की हानियाँ:**
1. **उच्च प्रारंभिक निवेश**: पाइपलाइन निर्माण में अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता होती है, जो परियोजनाओं की लागत को बढ़ा सकती है।
2. **पर्यावरणीय जोखिम**: पाइपलाइन लीकेज या दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप पर्यावरणीय क्षति हो सकती है, जैसे कि तेल रिसाव या गैस विस्फोट।
3. **सामाजिक और भूमि उपयोग संघर्ष**: पाइपलाइन निर्माण से भूमि अधिग्रहण और स्थानीय समुदायों के साथ संघर्ष हो सकते हैं, जो परियोजनाओं में देरी का कारण बन सकते हैं।
4. **आत्मनिर्भरता की कमी**: एक बार स्थापित होने के बाद, पाइपलाइन नेटवर्क की उपयोगिता बदलने में कठिनाई हो सकती है, जिससे नई ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में लचीलापन कम हो सकता है।
इन लाभों और हानियों को ध्यान में रखते हुए, भारत में तेल और गैस पाइपलाइन नेटवर्क का विकास और प्रबंधन निरंतर संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
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