पारिस्थितिक तंत्र के लिए मृदा द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, भारत में संधारणीय मृदा प्रबंधन के महत्व पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में प्रमुख प्रकार की मृदाएँ और उनकी विशेषताएँ अलसीय मिट्टी (Alluvial Soil) विशेषताएँ: यह मृदा अधिकतर उपजाऊ होती है और नदियों के किनारे पाई जाती है। इसमें पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा होती है। स्थान: गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र और अन्य प्रमुख नदियों के मैदानी इलाकों में। रेतीली मिट्टी (Desert Soil)Read more
भारत में प्रमुख प्रकार की मृदाएँ और उनकी विशेषताएँ
- अलसीय मिट्टी (Alluvial Soil)
- विशेषताएँ: यह मृदा अधिकतर उपजाऊ होती है और नदियों के किनारे पाई जाती है। इसमें पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा होती है।
- स्थान: गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र और अन्य प्रमुख नदियों के मैदानी इलाकों में।
- रेतीली मिट्टी (Desert Soil)
- विशेषताएँ: सूखी और कम पोषक तत्वों वाली होती है, लेकिन जलधारण क्षमता कम होती है।
- स्थान: राजस्थान और गुजरात के रेगिस्तानी क्षेत्र।
- काला मिट्टी (Black Soil)
- विशेषताएँ: इसमें जलधारण क्षमता अच्छी होती है और यह कृषि के लिए उपयुक्त है। इसे ‘रेगुर’ भी कहा जाता है।
- स्थान: महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के भागों में।
- लाल मिट्टी (Red Soil)
- विशेषताएँ: आयरन की अधिकता के कारण लाल रंग की होती है और इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है।
- स्थान: तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में।
- उपोष्णीय मिट्टी (Laterite Soil)
- विशेषताएँ: यह मिट्टी वनों के क्षेत्रों में पाई जाती है और इसमें अम्लीयता अधिक होती है।
- स्थान: पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्वी भारत और कुछ अन्य ट्रॉपिकल क्षेत्रों में।
भारत में मृदाओं का स्थानिक वितरण भौगोलिक विशेषताओं, जलवायु और वेदरिक प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है, जिससे विभिन्न प्रकार की मृदाएँ अलग-अलग क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
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मृदा पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसका संधारणीय प्रबंधन पारिस्थितिक संतुलन और कृषि उत्पादकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में, जहां बड़ी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, संधारणीय मृदा प्रबंधन का महत्व और भी बढ़ जाता है। मृदा का महत्व: आर्थिक दृष्टिकोण: मृदा कृषि उत्पादकता में केंद्रीRead more
मृदा पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसका संधारणीय प्रबंधन पारिस्थितिक संतुलन और कृषि उत्पादकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में, जहां बड़ी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, संधारणीय मृदा प्रबंधन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
मृदा का महत्व:
भारत में संधारणीय मृदा प्रबंधन के प्रमुख पहलू:
समाप्ति: भारत में संधारणीय मृदा प्रबंधन न केवल कृषि उत्पादकता और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है। इसके लिए एक समन्वित दृष्टिकोण और सभी स्तरों पर जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है।
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