“विभिन्न स्तरों पर सरकारी तंत्र की प्रभाविता तथा शासकीय तंत्र में जन-सहभागिता अन्योन्याश्रित होती हैं।” भारत के संदर्भ में इनके बीच सम्बन्ध पर चर्चा कीजिए । (200 words) [UPSC 2016]
चुनावी बांड और राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता 1. चुनावी बांड की परिभाषा: चुनावी बांड ऐसे वित्तीय उपकरण हैं जो भारत में गोपनीय राजनीतिक दान की सुविधा प्रदान करते हैं। दानकर्ता बांड खरीदते हैं और उन्हें राजनीतिक पार्टियों को दान करते हैं। 2. लाभ: गोपनीयता: बांड दानकर्ता की पहचान को गोपनीय रखता है,Read more
चुनावी बांड और राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता
1. चुनावी बांड की परिभाषा: चुनावी बांड ऐसे वित्तीय उपकरण हैं जो भारत में गोपनीय राजनीतिक दान की सुविधा प्रदान करते हैं। दानकर्ता बांड खरीदते हैं और उन्हें राजनीतिक पार्टियों को दान करते हैं।
2. लाभ:
- गोपनीयता: बांड दानकर्ता की पहचान को गोपनीय रखता है, जिससे दबाव और प्रभाव से बचाव होता है।
- सहजता: बांड को खरीदना और दान करना सरल है, जिससे राजनीतिक वित्त पोषण प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है।
3. पारदर्शिता की सीमाएँ:
- गोपनीयता की कमी: दानकर्ता और राशि की जानकारी सार्वजनिक नहीं होती, जिससे पारदर्शिता प्रभावित होती है।
- हाल की चिंताएँ: 2022 में यह सामने आया कि अधिकांश राजनीतिक वित्त पोषण चुनावी बांड से आता है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्न उठते हैं।
निष्कर्ष: चुनावी बांड राजनीतिक दान को सरल बनाने का उद्देश्य रखते हैं, लेकिन दानकर्ता की पहचान और राशि की गोपनीयता की वजह से पारदर्शिता में कमी बनी रहती है।
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सत्यम् कलंकपूर्ण कार्य और कॉर्पोरेट शासन में परिवर्तन परिचय: सत्यम् कंप्यूटर सर्विसेज का मामला, जिसने 2009 में एक वित्तीय धोखाधड़ी का खुलासा किया, भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र में एक बड़ा संकट उत्पन्न किया। इस घटना ने स्पष्ट रूप से कॉर्पोरेट शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर किया। सतRead more
सत्यम् कलंकपूर्ण कार्य और कॉर्पोरेट शासन में परिवर्तन
परिचय: सत्यम् कंप्यूटर सर्विसेज का मामला, जिसने 2009 में एक वित्तीय धोखाधड़ी का खुलासा किया, भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र में एक बड़ा संकट उत्पन्न किया। इस घटना ने स्पष्ट रूप से कॉर्पोरेट शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर किया।
सत्यम का संकट: सत्यम कंप्यूटर ने 7000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी, जिसने केवल कंपनी को ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय वित्तीय बाजार को हिलाकर रख दिया। इस धोखाधड़ी में कंपनी के CEO रामलिंगराजू ने अपने फर्जी लेखों के माध्यम से वित्तीय विवरण में हेरफेर किया।
परिवर्तन और सुधार:
निष्कर्ष: सत्यम निवेश घोटाले ने भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में आवश्यकता को स्पष्ट किया कि पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। सरकार और नियामक संस्थाओं ने सुधारों के माध्यम से कॉर्पोरेट governance में विश्वास को फिर से स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। लड़ाई अभी जारी है, लेकिन हालिया कदमों से रहन-सहन और प्रशासकीय प्रक्रियाओं में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं।
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