वे कौन सी परिस्थितियाँ है जो अधिकारी की सत्यनिष्ठा के बारे में संदेह उत्पन्न करती है ? (125 Words) [UPPSC 2022]
आचार-सिद्धांत के पाँच प्रमुख सिद्धांत और उनकी प्राथमिकता 1. ईमानदारी: ईमानदारी हर कार्य में सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने का आदर्श है। यह सिद्धांत लोक सेवा में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता के विश्वास को मजबूत करता है। उदाहरण के लिए, लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाRead more
आचार-सिद्धांत के पाँच प्रमुख सिद्धांत और उनकी प्राथमिकता
1. ईमानदारी: ईमानदारी हर कार्य में सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने का आदर्श है। यह सिद्धांत लोक सेवा में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता के विश्वास को मजबूत करता है। उदाहरण के लिए, लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई ने ईमानदारी की आवश्यकता को प्रमुखता दी है।
2. नैतिकता: नैतिकता का तात्पर्य है कि सभी निर्णय सही और उचित आधार पर किए जाएं। नैतिकता सुनिश्चित करती है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों को नैतिक नियमों के अनुसार निभाएं। मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ई-गवर्नेंस के तहत नैतिकता को प्रोत्साहित किया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी।
3. उचितता: उचितता का सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि सभी निर्णय समानता और निष्पक्षता के आधार पर लिए जाएं। स्वच्छ भारत मिशन में, अधिकारियों ने सभी वर्गों के लोगों को स्वच्छता सुविधाओं का समान लाभ देने के लिए उचितता को प्राथमिकता दी।
4. प्रोफेशनलिज़्म: प्रोफेशनलिज़्म का मतलब है कि कार्यों को उच्च मानकों और प्रोफेशनल व्यवहार के अनुसार किया जाए। कोविड-19 टीकाकरण अभियान में, अधिकारियों ने पेशेवर तरीके से टीकाकरण प्रक्रिया को संचालित किया, जिससे कि मिशन की सफलता सुनिश्चित हो सकी।
5. जवाबदेही: जवाबदेही का तात्पर्य है कि अधिकारी अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी हों और जनता के सामने जवाब दें। मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत, स्वास्थ्य विभाग ने सभी टीकाकरण गतिविधियों की जवाबदेही सुनिश्चित की।
निष्कर्ष: इन पाँच सिद्धांतों – ईमानदारी, नैतिकता, उचितता, प्रोफेशनलिज़्म, और जवाबदेही – को प्राथमिकता देने से लोक सेवा में सच्ची सेवा और जनता के विश्वास को बढ़ाया जा सकता है। इन सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करता है कि सरकारी कार्य समाज के हित में और उच्च मानकों के अनुसार किए जाएं।
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अधिकारी की सत्यनिष्ठा पर संदेह उत्पन्न करने वाली परिस्थितियाँ 1. भ्रष्टाचार में संलिप्तता: जब अधिकारी आर्थिक भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी में शामिल होते हैं, तो उनकी सत्यनिष्ठा पर संदेह उत्पन्न होता है। हाल ही में, दिल्ली पुलिस रिश्वतखोरी मामला ने कई अधिकारियों की ईमानदारी पर सवाल उठाए हैं। 2. हितों काRead more
अधिकारी की सत्यनिष्ठा पर संदेह उत्पन्न करने वाली परिस्थितियाँ
1. भ्रष्टाचार में संलिप्तता: जब अधिकारी आर्थिक भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी में शामिल होते हैं, तो उनकी सत्यनिष्ठा पर संदेह उत्पन्न होता है। हाल ही में, दिल्ली पुलिस रिश्वतखोरी मामला ने कई अधिकारियों की ईमानदारी पर सवाल उठाए हैं।
2. हितों का टकराव: जब अधिकारियों के व्यक्तिगत या वित्तीय हित उनके आधिकारिक कर्तव्यों के साथ टकराते हैं, तो उनकी निष्पक्षता पर संदेह होता है। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाला में शामिल अधिकारियों की यह स्थिति इसी प्रकार की थी।
3. पारदर्शिता की कमी: आय की असामान्य वृद्धि या संपत्ति का खुलासा न करना संदेह उत्पन्न करता है। नीरव मोदी मामले में कई अधिकारियों की संपत्तियों और लेनदेन ने ऐसा संदेह पैदा किया।
4. संदिग्ध संबंध: यदि अधिकारी के संदिग्ध व्यक्तियों या संस्थाओं के साथ संबंध होते हैं, तो उनकी निष्पक्षता पर प्रश्न उठते हैं। हाल के कॉर्पोरेट धोखाधड़ी मामलों में अधिकारियों के संदिग्ध संबंधों ने संदेह पैदा किया है।
निष्कर्ष: इन परिस्थितियों से अधिकारी की सत्यनिष्ठा पर संदेह उत्पन्न होता है, जिससे ईमानदारी और जवाबदेही की महत्वपूर्णता उजागर होती है।
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