एक विचार यह है कि शासकीय गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2019]
नागरिकों के अधिकारपत्र (चार्टर) आंदोलन के सिद्धांत नागरिकों के अधिकारपत्र (Citizens' Charter) आंदोलन का उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को बढ़ाना है। इसके मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं: पारदर्शिता: सेवाओं की प्रक्रिया, अधिकार, और समयसीमा स्पष्ट रूप से बताई जाती है। उदाहरण के लिएRead more
नागरिकों के अधिकारपत्र (चार्टर) आंदोलन के सिद्धांत
नागरिकों के अधिकारपत्र (Citizens’ Charter) आंदोलन का उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को बढ़ाना है। इसके मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
- पारदर्शिता: सेवाओं की प्रक्रिया, अधिकार, और समयसीमा स्पष्ट रूप से बताई जाती है। उदाहरण के लिए, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत, सफाई मानकों और शिकायत निवारण की प्रक्रिया को सार्वजनिक किया गया है।
- जवाबदेही: सरकारी संस्थान अपने प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार होते हैं। राजस्थान अधिकार सेवा अधिनियम (RTS Act) के तहत, समयबद्ध सेवा वितरण की गारंटी दी जाती है, और अधिकारियों को देरी के लिए जवाबदेह ठहराया जाता है।
- नागरिक सहभागिता: सेवाओं की योजना और वितरण में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। MyGov प्लेटफॉर्म के माध्यम से, नागरिक नीतियों पर प्रतिक्रिया और सुझाव दे सकते हैं, जिससे सेवाएं जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप बनती हैं।
- शिकायत निवारण तंत्र: शिकायतों और समस्याओं को सुलझाने के लिए एक प्रणाली होती है। आधार के शिकायत निवारण प्रणाली ने बायोमेट्रिक डेटा और पहचान सत्यापन से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से सुलझाया है।
महत्त्व
- नागरिक सशक्तिकरण: सेवाओं के मानक और प्रक्रिया की स्पष्टता नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाती है।
- सेवा वितरण में सुधार: समय पर और प्रभावी सेवा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी संस्थानों को प्रेरित करती है।
- सार्वजनिक विश्वास में वृद्धि: पारदर्शिता और जवाबदेही से सरकार पर जनता का विश्वास बढ़ता है।
निष्कर्ष
नागरिकों के अधिकारपत्र आंदोलन, पारदर्शिता, जवाबदेही, नागरिक सहभागिता, और शिकायत निवारण के सिद्धांतों के माध्यम से, सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और सरकारी संस्थानों पर जनता के विश्वास को बढ़ाता है।
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गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम सहमति का आधार: **1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति a. उद्देश्य और सीमाएँ: गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनRead more
गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम
सहमति का आधार:
**1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति
a. उद्देश्य और सीमाएँ:
गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनाओं को सार्वजनिक रूप से साझा करने पर रोक लगाता है।
b. सूचना के अधिकार पर प्रभाव:
सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) 2005 के तहत नागरिकों को सरकारी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। गुप्त बात अधिनियम की रोकथामें RTI के उद्देश्यों के विपरीत हो सकती हैं, क्योंकि यह सार्वजनिक प्रवाह और पारदर्शिता को बाधित करती है।
**2. विवेचना
a. आवश्यक संतुलन:
हालांकि गुप्त बात अधिनियम सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, सूचना के अधिकार अधिनियम के लक्ष्यों के साथ एक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। हाल ही में, 2022 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि RTI के तहत मांगी गई जानकारी को गुप्त बात अधिनियम के तहत छुपाया नहीं जा सकता जब तक यह वास्तव में सुरक्षा से संबंधित न हो।
b. उदाहरण:
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में RTI आवेदन के तहत कुछ गुप्त दस्तावेज़ों की सूचना को लेकर विवाद हुआ था, जहाँ गुप्त बात अधिनियम ने पारदर्शिता की प्रक्रिया को प्रभावित किया।
निष्कर्ष:
See lessहाँ, गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा हो सकता है, क्योंकि यह पारदर्शिता और सार्वजनिक नियंत्रण को सीमित करता है। आवश्यक है कि एक संतुलन बनाए रखा जाए, जहाँ सुरक्षा और सार्वजनिक जानकारी दोनों की रक्षा हो सके।