लोक-सेवकों पर भारी नैतिक उत्तरदायित्व होता है, क्योंकि वे सत्ता के पदों पर आसीन होते हैं, लोक-निधियों की विशाल राशियों पर कार्रवाई करते हैं, और उनके निर्णयों का समाज और पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। ऐसे उत्तरदायित्व को निभाने ...
वर्धित राष्ट्रीय संपत्ति और इसका असमान वितरण वर्धित राष्ट्रीय संपत्ति ने न्यायोचित वितरण के बजाय “छोटी अल्पसंख्या के लिए आधुनिकता और वैभव के एन्क्लेव” निर्मित किए हैं, जिसका औचित्य कुछ प्रमुख बिंदुओं से सिद्ध किया जा सकता है। धन का संकेन्द्रण: देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के बावजूद, संपत्ति का अधिRead more
वर्धित राष्ट्रीय संपत्ति और इसका असमान वितरण
वर्धित राष्ट्रीय संपत्ति ने न्यायोचित वितरण के बजाय “छोटी अल्पसंख्या के लिए आधुनिकता और वैभव के एन्क्लेव” निर्मित किए हैं, जिसका औचित्य कुछ प्रमुख बिंदुओं से सिद्ध किया जा सकता है।
धन का संकेन्द्रण: देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के बावजूद, संपत्ति का अधिकांश भाग अल्पसंख्यक वर्ग के हाथों में सिमटकर रह गया है। उदाहरण के लिए, भारत में उच्च-तकनीकी क्षेत्रों जैसे बंगलुरू और गुड़गांव में अत्यधिक समृद्धि देखी जाती है, जबकि ग्रामीण इलाकों में गरीबी और अविकसितता बनी रहती है।
आधुनिकता के एन्क्लेव: मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स या दिल्ली के कनॉट प्लेस जैसे क्षेत्र आधुनिक सुविधाओं और वैभव का प्रतीक हैं, लेकिन ये क्षेत्र विकसित नहीं और अविकसित इलाकों से घिरे हुए हैं। इन क्षेत्रों के चारों ओर आय असमानता और आधारभूत सेवाओं की कमी देखी जाती है।
बहुमत पर प्रभाव: अधिकांश जनसंख्या, विशेषकर ग्रामीण और वंचित समुदाय, आर्थिक विकास से बहुत कम लाभान्वित होते हैं। उदाहरण के लिए, ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य और शिक्षा की कमी बनी रहती है, जो संपत्ति के असमान वितरण को दर्शाता है।
इस प्रकार, वर्धित राष्ट्रीय संपत्ति ने छोटी अल्पसंख्या के लिए आधुनिकता और वैभव के एन्क्लेव बनाए हैं, जबकि बहुमत को इससे न्यूनतम लाभ प्राप्त हुआ है।
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लोक-सेवकों का नैतिक उत्तरदायित्व लोक-सेवकों पर भारी नैतिक उत्तरदायित्व होता है क्योंकि वे समाज के लिए निर्णय लेते हैं जो व्यापक और दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। वे लोक-निधियों का प्रबंधन करते हैं और सत्ता के पदों पर आसीन होते हैं, जिससे उनकी हर कार्रवाई का समाज और पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए,Read more
लोक-सेवकों का नैतिक उत्तरदायित्व
लोक-सेवकों पर भारी नैतिक उत्तरदायित्व होता है क्योंकि वे समाज के लिए निर्णय लेते हैं जो व्यापक और दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। वे लोक-निधियों का प्रबंधन करते हैं और सत्ता के पदों पर आसीन होते हैं, जिससे उनकी हर कार्रवाई का समाज और पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए, नैतिक सक्षमता सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
नैतिक सक्षमता पुष्ट करने के लिए उठाए गए कदम
इन कदमों से लोक-सेवक अपने नैतिक उत्तरदायित्व को प्रभावी ढंग से निभा सकते हैं, जिससे समाज और पर्यावरण को लाभ होता है।
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