“लोक सेवक द्वारा अपने कर्तव्य का अनिष्पादन भ्रष्टाचार का एक रूप है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं ? अपने उत्तर की तर्कसंगत व्याख्या करें। (150 words) [UPSC 2019]
लोक सेवकों की लोकतंत्रीय और अधिकारीतंत्रीय अभिवृति में विभेद लोकतंत्रीय अभिवृति: जन भागीदारी: लोकतंत्रीय अभिवृति वाले लोक सेवक जनता के साथ सक्रिय सहभागिता को प्राथमिकता देते हैं, जैसे शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों में भागीदारी के माध्यम से। पारदर्शिता और उत्तरदायित्व: ये लोक सेवक पारदर्शिता और उत्Read more
लोक सेवकों की लोकतंत्रीय और अधिकारीतंत्रीय अभिवृति में विभेद
लोकतंत्रीय अभिवृति:
- जन भागीदारी: लोकतंत्रीय अभिवृति वाले लोक सेवक जनता के साथ सक्रिय सहभागिता को प्राथमिकता देते हैं, जैसे शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों में भागीदारी के माध्यम से।
- पारदर्शिता और उत्तरदायित्व: ये लोक सेवक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर जोर देते हैं, जैसे मूल्यांकन और निगरानी प्रणालियों के माध्यम से।
- लचीला दृष्टिकोण: जनता की फीडबैक के आधार पर लचीला और प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाते हैं।
अधिकारीतंत्रीय अभिवृति:
- संबंधित प्रक्रियाएँ: अधिकारीतंत्रीय अभिवृति वाले लोक सेवक कठोर नियम और प्रक्रियाओं का पालन करते हैं, जैसे पारंपरिक प्रशासनिक नियम और ब्यूक्रेटिक प्रक्रियाएँ।
- औपचारिकता: इनकी औपचारिकता और प्रणालीगत दृष्टिकोण अधिक होता है, जैसे विभागीय रिपोर्टिंग और लंबी प्रक्रियाएँ।
- ऊर्ध्वाधर निर्णय प्रक्रिया: ऊर्ध्वाधर और शीर्ष-डाउन निर्णय प्रक्रियाओं को अपनाते हैं, जैसे नियामक निर्णय केवल उच्च अधिकारियों द्वारा लिए जाते हैं।
हालिया उदाहरण: प्रधानमंत्री जन धन योजना और स्वच्छ भारत मिशन लोकतंत्रीय दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिसमें नागरिकों की भागीदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया गया है।
निष्कर्ष: लोकतंत्रीय अभिवृति जन सहभागिता, पारदर्शिता, और लचीलेपन पर आधारित होती है, जबकि अधिकारीतंत्रीय अभिवृति औपचारिकता, प्रक्रियागत कठोरता, और ऊर्ध्वाधर निर्णय प्रक्रिया पर केंद्रित होती है।
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लोक सेवक द्वारा कर्तव्य का अनिष्पादन और भ्रष्टाचार सहमति का आधार: **1. भ्रष्टाचार की परिभाषा और प्रभाव a. भ्रष्टाचार की परिभाषा: भ्रष्टाचार को सामान्यतः शक्ति का दुरुपयोग माना जाता है। यदि लोक सेवक अपने कर्तव्यों का अनिष्पादन करता है, तो यह भ्रष्टाचार का एक रूप हो सकता है, यदि यह व्यक्तिगत या राजनीतRead more
लोक सेवक द्वारा कर्तव्य का अनिष्पादन और भ्रष्टाचार
सहमति का आधार:
**1. भ्रष्टाचार की परिभाषा और प्रभाव
a. भ्रष्टाचार की परिभाषा:
भ्रष्टाचार को सामान्यतः शक्ति का दुरुपयोग माना जाता है। यदि लोक सेवक अपने कर्तव्यों का अनिष्पादन करता है, तो यह भ्रष्टाचार का एक रूप हो सकता है, यदि यह व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए किया जाता है या जनता की जरूरतों की अनदेखी करता है।
b. शासन पर प्रभाव:
लोक सेवक का कर्तव्य का अनिष्पादन शासन और जनता के विश्वास को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, Bihar में 2019 के बाढ़ राहत कार्य में अधिकारियों की विफलता ने प्रभावित लोगों के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न की, जिससे यह कर्तव्य की अनदेखी का उदाहरण बन गया।
**2. जवाबदेही और परिणाम
a. जवाबदेही की कमी:
कर्तव्य का अनिष्पादन जवाबदेही की कमी को दर्शाता है, जो भ्रष्टाचार के समान है। COVID-19 टीकाकरण अभियान में कुछ राज्यों में प्रबंधन की कमी ने टीकाकरण की प्रभावशीलता को प्रभावित किया।
b. सार्वजनिक कल्याण पर प्रभाव:
इससे सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति प्रभावित होती है और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन होता है, जिसे भ्रष्टाचार के रूप में देखा जा सकता है। यह सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी और सेवा प्रणाली की अखंडता को नुकसान पहुंचाता है।
निष्कर्ष:
See lessहां, लोक सेवक द्वारा कर्तव्य का अनिष्पादन भ्रष्टाचार के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि यह सौंपी गई शक्ति का दुरुपयोग करता है और जनता के कल्याण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।