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नीतिशास्त्र केस स्टडी
(a) अधिकारी का कृत्य उचित था? रूपा के कृत्य पर विचार करते हुए, यह कहना उचित होगा कि यह मामला निहायत व्यक्तिगत और संदर्भ पर निर्भर करता है। एक लोक सेवक के रूप में, उसे अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देना आवश्यक है, और साथ ही उसकी व्यक्तिगत परिस्थितियों का भी सम्मान होना चाहिए। यदि उसका कार्यRead more
(a) अधिकारी का कृत्य उचित था?
रूपा के कृत्य पर विचार करते हुए, यह कहना उचित होगा कि यह मामला निहायत व्यक्तिगत और संदर्भ पर निर्भर करता है। एक लोक सेवक के रूप में, उसे अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देना आवश्यक है, और साथ ही उसकी व्यक्तिगत परिस्थितियों का भी सम्मान होना चाहिए। यदि उसका कार्य प्रदर्शन प्रभावित नहीं हो रहा है और उसे मातृत्व अवकाश के समय में पर्याप्त सहायता प्राप्त हो रही है, तो उसके कृत्य को पूरी तरह से अनुचित मानना मुश्किल है।
हालांकि, एक लोक सेवक को अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। सार्वजनिक सेवा की भूमिका में, कर्मचारी को पेशेवरता बनाए रखते हुए व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। यदि बच्चे को कार्यालय में लाना और बैठकें करना कार्य की प्रभावशीलता को प्रभावित नहीं करता, तो यह कृत्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सीमा में आ सकता है। लेकिन यदि इसका प्रभाव पेशेवर वातावरण पर पड़ रहा है या कार्य के लिए समर्पण पर सवाल उठ रहा है, तो इसे पुनः विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
(b) भारत में कार्य संस्कृति और कार्यशील माताओं
भारत में कार्य संस्कृति अक्सर कार्यशील माताओं के लिए चुनौतियों का सामना करती है, जिससे उनकी दोहरी भूमिका निभाना कठिन हो सकता है। पारंपरिक दृष्टिकोण में, कार्यस्थल पर मातृत्व अवकाश के बावजूद, महिला कर्मचारियों से अपेक्षाएँ होती हैं कि वे अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक कर्तव्यों का संतुलन बनाए रखें।
मुख्य समस्याएँ:
उपाय:
इन उपायों को लागू करके, कार्यस्थल पर मातृत्व से जुड़ी चुनौतियों को कम किया जा सकता है और कार्यशील माताओं के लिए एक अधिक सहायक वातावरण सुनिश्चित किया जा सकता है।
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(a) हितधारकों और नैतिक मुद्दों नई युग के स्टार्ट-अप्स में छंटनी से कई हितधारक प्रभावित होते हैं। इनमें कर्मचारी, निवेशक, ग्राहक, और समाज शामिल हैं। कर्मचारियों की छंटनी से उनके जीवनयापन, मानसिक स्वास्थ्य, और करियर की संभावनाएँ प्रभावित होती हैं। निवेशक और शेयरधारक लाभप्रदता की दिशा में गंभीरता से चिRead more
(a) हितधारकों और नैतिक मुद्दों
नई युग के स्टार्ट-अप्स में छंटनी से कई हितधारक प्रभावित होते हैं। इनमें कर्मचारी, निवेशक, ग्राहक, और समाज शामिल हैं। कर्मचारियों की छंटनी से उनके जीवनयापन, मानसिक स्वास्थ्य, और करियर की संभावनाएँ प्रभावित होती हैं। निवेशक और शेयरधारक लाभप्रदता की दिशा में गंभीरता से चिंतित होते हैं, जबकि ग्राहक और समाज इन कंपनियों की स्थिरता और सामाजिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाते हैं। नैतिक दृष्टिकोण से, यह छंटनी कभी-कभी बिना उचित पूर्वसूचना, निष्पक्ष प्रक्रिया, या उचित मुआवजे के की जाती है, जिससे कार्यस्थल की सुरक्षा और कर्मचारी भलाई का उल्लंघन होता है।
(b) उत्तरदायी कारण
भारत में स्टार्ट-अप्स में इस तरह के गैर-जिम्मेदार आचरण के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण जिम्मेदार हो सकते हैं:
(c) उपाय
इन उपायों को अपनाकर, स्टार्ट-अप्स न केवल अपने कर्मचारियों की भलाई सुनिश्चित कर सकते हैं, बल्कि दीर्घकालिक स्थिरता और विकास की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं।
See lessजलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, हरित ऊर्जा को सबसे अच्छे समाधानों में से एक माना जाता है। देश अब कोयले की जगह जलविद्युत्, जीवाश्म ईंधन के स्थान पर सौर ऊर्जा, पेट्रोल और डीजल से संचालित कारों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों (EVS) को अपना रहे हैं। EVs को एक स्वच्छ, हरित और टिकाऊ विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक कारें बैटरी का उपयोग करती हैं तथा इन बैटरियों के निर्माण हेतु प्रयुक्त लिथियम और कोबाल्ट दुर्लभ धातुएं हैं। बैटरी में कोबाल्ट इसे स्थिर रखता है और इसके सुरक्षित संचालन में मदद करता है। कोबाल्ट का उपयोग लगभग आधी इलेक्ट्रिक कारों में किया जाता है, जो एक बैटरी में लगभग चार से 30 किलोग्राम तक उपयोग होता है। आप उस जिले के जिलाधिकारी हैं जहां कोबाल्ट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ऐसी ही एक कोबाल्ट साइट में जाने पर आपको पता चलता है कि खदानों में बच्चों को काम पर रखा गया है और ये बच्चे रोजाना अपने जीवन को संकट में डालकर कार्य करते हैं। वे ऊर्ध्वाधर सुरंगों में प्रवेश करते हैं जो वयस्कों हेतु प्रवेश करने के लिए बहुत संकीर्ण हैं और भट्टी जैसे वातावरण की अमानवीय परिस्थितियों में कोबाल्ट की खुदाई करते हैं। हालांकि, वे केवल कभी-कभी ही फावड़े का उपयोग करते हैं और सामान्यतः अपने हाथों से ही खुदाई करते हैं। उन्हें मास्क, दस्ताने, कार्य हेतु उचित कपड़े नहीं दिए जाते हैं और एक बार में केवल 20 मिनट तक की ही ऑक्सीजन दी जाती है। फिर भी ये छोटे बच्चे घंटों खुदाई करते हैं। कोबाल्ट के पत्थरों को खोदने के पश्चात्, वे उन्हें तोड़ते हैं, उन्हें धोते हैं और फिर उन्हें बेचने के लिए बाजार में ले जाते हैं। इस संबंध में, निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (a) उपर्युक्त प्रकरण में शामिल नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिए। (b) कानूनी और संस्थागत उपायों के बावजूद, भारत में बाल श्रम के जारी रहने के कारणों पर चर्चा कीजिए। (C) दी गई स्थिति के संदर्भ में, जिले में बाल श्रम की समस्या के समाधान के लिए आप क्या कदम उठाएंगे?(250 शब्दों में उत्तर दें)
(a) नैतिक मुद्दे उपरोक्त प्रकरण में कई गंभीर नैतिक मुद्दे हैं। सबसे प्रमुख मुद्दा बच्चों का श्रम है, विशेषकर उन परिस्थितियों में जहां उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। बच्चों को खतरनाक और अमानवीय परिस्थितियों में काम पर रखना, जहाँ वे स्वास्थ्य जोखिम और शारीरिक क्षति कRead more
(a) नैतिक मुद्दे
उपरोक्त प्रकरण में कई गंभीर नैतिक मुद्दे हैं। सबसे प्रमुख मुद्दा बच्चों का श्रम है, विशेषकर उन परिस्थितियों में जहां उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। बच्चों को खतरनाक और अमानवीय परिस्थितियों में काम पर रखना, जहाँ वे स्वास्थ्य जोखिम और शारीरिक क्षति का सामना कर रहे हैं, एक गंभीर नैतिक दायित्व का उल्लंघन है। उन्हें सुरक्षा गियर, जैसे मास्क और दस्ताने के बिना काम करने के लिए मजबूर करना, और सीमित ऑक्सीजन की आपूर्ति देना उनकी जीवन की गुणवत्ता और सुरक्षा को खतरे में डालता है। इसके अलावा, इन बच्चों की शिक्षा और विकास के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी किया जा रहा है, जो कि उनके भविष्य के लिए हानिकारक है।
(b) कानूनी और संस्थागत उपायों के बावजूद बाल श्रम के जारी रहने के कारण
भारत में बाल श्रम के जारी रहने के पीछे कई कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण गरीबी है, जो परिवारों को अपने बच्चों को काम पर लगाने के लिए मजबूर करती है ताकि वे जीविकोपार्जन कर सकें। समाजिक सुरक्षा नेटवर्क की कमी, जैसे कि सामाजिक कल्याण योजनाओं की अपर्याप्तता, और शिक्षा प्रणाली की अक्षमता भी योगदान करती है। कई बार, कानूनी ढांचे की कमी और स्थानीय प्रशासन की नाकामी भी बाल श्रम के प्रचलन को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, बाल श्रमिकों के बारे में जागरूकता की कमी और श्रम प्रवर्तन तंत्र की कमजोरियां भी समस्याओं को बढ़ाती हैं।
(c) समस्या के समाधान के लिए कदम
बाल श्रम की समस्या के समाधान के लिए कई ठोस कदम उठाए जा सकते हैं:
त्वरित निरीक्षण और कानूनी कार्रवाई: खनन स्थलों और अन्य संभावित बाल श्रम के स्थानों पर नियमित निरीक्षण किए जाएं और कानूनी कार्यवाही शुरू की जाए ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके।
शिक्षा और पुनर्वास कार्यक्रम: बच्चों को शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए ताकि वे बच्चों को काम पर लगाने की बजाय स्कूल भेज सकें।
सुरक्षा मानकों का पालन: खनन और अन्य खतरनाक कार्यों के लिए सुरक्षा मानकों को लागू किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि सभी श्रमिकों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाएं।
सामाजिक जागरूकता: बाल श्रम के खतरों और इसके खिलाफ कानूनी प्रावधानों के बारे में समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि लोगों को इस मुद्दे के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके।
सतत निगरानी और रिपोर्टिंग: स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर एक निगरानी प्रणाली विकसित की जाए, जो बाल श्रम की घटनाओं की रिपोर्टिंग और प्रबंधन में मदद कर सके।
इन कदमों के माध्यम से, हम बच्चों की स्थिति में सुधार कर सकते हैं और बाल श्रम के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई लड़ सकते हैं।
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