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यह तर्क दिया गया है कि भारत में उद्यमिता परिवेश के समक्ष विद्यमान विभिन्न बाधाओं के बावजूद, भारत के भविष्य को इसके उद्यमियों द्वारा आकार दिए जाने की संभावना है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में उद्यमिता परिवेश में अनेक बाधाएँ हैं, लेकिन देश के भविष्य को आकार देने में उद्यमियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत की विशाल जनसंख्या, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, और युवा जनसंख्या उद्यमिता के लिए एक संभावनाशील वातावरण प्रदान करती है, हालांकि कई चुनौतियाँ भी हैं। विद्यमान बाधाएँ: नियम औRead more
भारत में उद्यमिता परिवेश में अनेक बाधाएँ हैं, लेकिन देश के भविष्य को आकार देने में उद्यमियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत की विशाल जनसंख्या, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, और युवा जनसंख्या उद्यमिता के लिए एक संभावनाशील वातावरण प्रदान करती है, हालांकि कई चुनौतियाँ भी हैं।
विद्यमान बाधाएँ:
उद्यमिता का भविष्य:
समाधान और सुझाव:
उद्यमिता की क्षमता को समझते हुए और इन बाधाओं को संबोधित करके, भारत के उद्यमी न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे बल्कि एक नवीन और सतत भविष्य की दिशा भी प्रदान करेंगे।
See lessभारत में घटती कुल प्रजनन दर (TFR) का लाभ उठाने के लिए समानांतर रूप से असमान प्रजनन दर पर काबू पाने की भी आवश्यकता है। विवेचना कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में घटती कुल प्रजनन दर (TFR) एक सकारात्मक संकेत है, जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सहायक है। कुल प्रजनन दर (TFR) 2.1 के करीब पहुँचने पर जनसंख्या स्थिरता की स्थिति में आ सकती है। हालांकि, भारत में प्रजनन दर में असमानता की समस्या को भी संबोधित करने की आवश्यकता है, ताकि समाज में संतुलन औRead more
भारत में घटती कुल प्रजनन दर (TFR) एक सकारात्मक संकेत है, जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सहायक है। कुल प्रजनन दर (TFR) 2.1 के करीब पहुँचने पर जनसंख्या स्थिरता की स्थिति में आ सकती है। हालांकि, भारत में प्रजनन दर में असमानता की समस्या को भी संबोधित करने की आवश्यकता है, ताकि समाज में संतुलन और समानता सुनिश्चित की जा सके।
असमान प्रजनन दर के कारण:
समाधान के उपाय:
इन उपायों के माध्यम से, भारत में प्रजनन दर की असमानताओं को दूर किया जा सकता है, जो जनसंख्या स्थिरता और सामाजिक समानता को सुनिश्चित करने में मददगार होगा।
See lessहालिया सोशल मीडिया के प्रसार के कारण, प्रभाव उत्पन्न करने वाले लोग समाज में परिवर्तन के महत्वपूर्ण कारक बन गए हैं। उदाहरण सहित चर्चा कीजिए। इसके अतिरिक्त, इसमें शामिल नैतिक मुद्दों को भी रेखांकित कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर)
सोशल मीडिया के प्रसार ने प्रभाव उत्पन्न करने वाले लोगों (इन्फ्लुएंसर्स) को समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी ताकत बना दिया है। उदाहरण के तौर पर, पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता फैलाने वाली ग्रेटा थुनबर्ग ने सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन की समस्या को उजागर किया। उनकी मुहिम नेRead more
सोशल मीडिया के प्रसार ने प्रभाव उत्पन्न करने वाले लोगों (इन्फ्लुएंसर्स) को समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी ताकत बना दिया है। उदाहरण के तौर पर, पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता फैलाने वाली ग्रेटा थुनबर्ग ने सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन की समस्या को उजागर किया। उनकी मुहिम ने युवाओं को प्रेरित किया और सरकारों पर दबाव डाला।
हालांकि, प्रभाव उत्पन्न करने वालों की भूमिका महत्वपूर्ण है, इसमें कुछ नैतिक मुद्दे भी हैं। पहली बात, जानकारी की सटीकता की कमी हो सकती है, जिससे गलत सूचना फैलती है। दूसरी बात, व्यक्तिगत लाभ के लिए फॉल्स प्रमोशन और एडवरटाइजिंग का उपयोग भी नैतिक सवाल उठाता है। तीसरी बात, सोशल मीडिया पर दिखावे के लिए या इन्फ्लुएंसर की छवि बनाए रखने के लिए हकीकत से परे विचार और आस्थाएँ प्रकट की जा सकती हैं।
इन समस्याओं से निपटने के लिए, पारदर्शिता और सच्चाई को बढ़ावा देना आवश्यक है, और दर्शकों को तथ्यों की पुष्टि करने की सलाह दी जानी चाहिए।
See lessअहिंसा मूलभूत नैतिक सद्गुणों का उच्चतम स्वरूप है। टिप्पणी कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
अहिंसा, जिसका अर्थ है 'हिंसा से बचना', मूलभूत नैतिक सद्गुणों का उच्चतम स्वरूप माना जाता है। यह विचार बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्मों में केंद्रीय स्थान रखता है और इसे एक आदर्श जीवन जीने के लिए आवश्यक मान्यता प्राप्त है। अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से परे है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक हिंसा को भी रोकनेRead more
अहिंसा, जिसका अर्थ है ‘हिंसा से बचना’, मूलभूत नैतिक सद्गुणों का उच्चतम स्वरूप माना जाता है। यह विचार बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्मों में केंद्रीय स्थान रखता है और इसे एक आदर्श जीवन जीने के लिए आवश्यक मान्यता प्राप्त है। अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से परे है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक हिंसा को भी रोकने का प्रयास करती है।
महात्मा गांधी ने अहिंसा को समाज के हर पहलू में अपनाने की बात की, इसे सत्य और न्याय के साथ जोड़ते हुए। उनका मानना था कि अहिंसा न केवल दूसरों के प्रति सहानुभूति और सम्मान दर्शाती है, बल्कि यह आत्म-परिष्कार और समाज में स्थिरता और शांति को भी बढ़ावा देती है।
इस प्रकार, अहिंसा का पालन करने से व्यक्तियों और समाज में गहरी नैतिकता और मानवता का विकास होता है, जो कि आदर्श नैतिकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
See lessपूर्वाग्रह और भेदभाव को जब दूर नहीं किया जाता है तो इनमें संघर्षों को हिंसा में बदलने की क्षमता होती है। उदाहरण सहित चर्चा कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
पूर्वाग्रह और भेदभाव समाज में गहरी असमानताओं को जन्म देते हैं, जो संघर्षों को हिंसा में बदलने की संभावना को बढ़ाते हैं। जब पूर्वाग्रहों और भेदभाव को दूर नहीं किया जाता, तो यह तनाव और असंतोष को जन्म देता है, जिससे हिंसक घटनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, जातिगत भेदभाव के कारण भारत में कई बRead more
पूर्वाग्रह और भेदभाव समाज में गहरी असमानताओं को जन्म देते हैं, जो संघर्षों को हिंसा में बदलने की संभावना को बढ़ाते हैं। जब पूर्वाग्रहों और भेदभाव को दूर नहीं किया जाता, तो यह तनाव और असंतोष को जन्म देता है, जिससे हिंसक घटनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
उदाहरण के तौर पर, जातिगत भेदभाव के कारण भारत में कई बार जातीय हिंसा का सामना करना पड़ा है। 2002 का गुजरात दंगे, जिसमें विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को लक्षित किया गया था, एक गंभीर उदाहरण है। यहाँ पर जातिगत पूर्वाग्रह और भेदभाव ने समाज में गहरी दरारें पैदा कीं, जिससे हिंसा और दंगे भड़क उठे।
ऐसे संघर्षों को हिंसा में बदलने से रोकने के लिए, समाज में समानता, न्याय और समावेशिता को बढ़ावा देने वाले उपायों को लागू करना आवश्यक है। इससे सामाजिक तनाव कम होगा और हिंसा की संभावना घटेगी।
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