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हालांकि, ग्राम रक्षा गार्ड (VDGs) आत्म सुरक्षा की भावना पैदा कर सकते हैं, लेकिन उनके पुनरुत्थान से जुड़े कई मुद्दे विद्यमान हैं। जम्मू और कश्मीर में व्याप्त सुरक्षा संबंधी खतरों के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
ग्राम रक्षा गार्ड (VDGs) जम्मू और कश्मीर में आत्म-सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किए गए हैं, लेकिन उनके पुनरुत्थान से कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। सुरक्षा संबंधी खतरों के संदर्भ में मुद्दे: स्थानीय संघर्ष: VDGs के पुनरुत्थान से स्थानीय तनाव और जातीय संघर्षों को बढ़ावा मिल सकता हैRead more
ग्राम रक्षा गार्ड (VDGs) जम्मू और कश्मीर में आत्म-सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किए गए हैं, लेकिन उनके पुनरुत्थान से कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
सुरक्षा संबंधी खतरों के संदर्भ में मुद्दे:
इन समस्याओं को हल करने के लिए, VDGs के संचालन को कड़े निगरानी, उचित प्रशिक्षण और स्थानीय सामुदायिक सहयोग के साथ संतुलित करना आवश्यक है।
See lessक्या आप इस विचार से सहमत हैं कि 'हाइब्रिड मिलिटेंट' और 'ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)' जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
हाँ, 'हाइब्रिड मिलिटेंट' और 'ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)' जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं। हाइब्रिड मिलिटेंट्स उन व्यक्तियों को संदर्भित करते हैं जो कभी-कभार उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन आमतौर पर सामान्य जीवन जीते हैं। यह बदलती रणनीति उग्रवादियों को सुरक्षा बलों की निगRead more
हाँ, ‘हाइब्रिड मिलिटेंट’ और ‘ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)’ जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं।
हाइब्रिड मिलिटेंट्स उन व्यक्तियों को संदर्भित करते हैं जो कभी-कभार उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन आमतौर पर सामान्य जीवन जीते हैं। यह बदलती रणनीति उग्रवादियों को सुरक्षा बलों की निगरानी से बचने और जाँच-पड़ताल के दौरान कम संदेह उत्पन्न करने में मदद करती है।
ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) वे लोग होते हैं जो उग्रवादी समूहों के लिए समर्थन, संसाधन और खुफिया जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन सीधे हिंसक गतिविधियों में शामिल नहीं होते। ये कार्यकर्ता उग्रवादी नेटवर्क की ताकत को बढ़ाते हैं और उनके संचालन को सुविधाजनक बनाते हैं।
इन पदों का उपयोग उग्रवादियों द्वारा उनकी गतिविधियों को अधिक प्रभावी और कम जोखिमपूर्ण बनाने के लिए किया जाता है, जिससे उग्रवाद की रणनीति और खतरे की प्रकृति में बदलाव आ रहा है।
See lessभारत में जनजातीय विकास पर चरमपंथ के प्रभाव की विवेचना कीजिए। इस समस्या का समाधान करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में जनजातीय विकास पर चरमपंथ का प्रभाव गंभीर है। चरमपंथी समूह अक्सर जनजातीय क्षेत्रों में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जो विकासात्मक परियोजनाओं को बाधित करता है और जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। इन समूहों के द्वारा विस्थापन, डर और हिंसा के चलते, स्थानीय जRead more
भारत में जनजातीय विकास पर चरमपंथ का प्रभाव गंभीर है। चरमपंथी समूह अक्सर जनजातीय क्षेत्रों में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जो विकासात्मक परियोजनाओं को बाधित करता है और जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। इन समूहों के द्वारा विस्थापन, डर और हिंसा के चलते, स्थानीय जनजातीय लोग संसाधनों और बुनियादी सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।
समाधान के लिए उठाए गए कदम:
इन उपायों के माध्यम से, भारत ने चरमपंथ से प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने और सुरक्षा स्थिति को सुधारने का प्रयास किया है।
See lessसंगठित अपराधों की विशिष्ट और सुपरिभाषित विशेषताएं उनके नियंत्रण को अप्रभावी बना देती हैं। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
संगठित अपराधों की विशिष्ट और सुपरिभाषित विशेषताएँ उनके नियंत्रण को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। इन अपराधों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: संगठित ढांचा: संगठित अपराध समूह अक्सर सुव्यवस्थित होते हैं, जिनके पास मजबूत नेटवर्क, संरचित पदानुक्रम, और संसाधनों की भरपूर उपलब्धता होती है। यह उन्हें लंबे समयRead more
संगठित अपराधों की विशिष्ट और सुपरिभाषित विशेषताएँ उनके नियंत्रण को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। इन अपराधों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
इन विशेषताओं के कारण, संगठित अपराध का प्रभावी नियंत्रण और निवारण अत्यंत चुनौतीपूर्ण हो जाता है, और इसके लिए व्यापक और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होती है।
See less'लांन-वुल्फ़' हमले आतंकवाद के नए चेहरे के रूप में विकसित हुए है तथा ये आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए विशिष्ट चुनौतियां उत्पन्न कर रहे हैं। चर्चा कीजिए। साथ ही, इस संदर्भ में भारत की सुभेद्यताओं पर प्रकाश डालिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
'लोन वुल्फ' हमले, जहाँ एक व्यक्ति या छोटे समूह स्वतंत्र रूप से हमला करता है, आतंकवाद का नया चेहरा बन चुका है। इन हमलों की विशिष्ट विशेषताएँ हैं—इनमें जटिल संगठनात्मक ढांचे की कमी होती है और इनकी योजना अक्सर छोटे पैमाने पर होती है। यह आतंकवाद को जटिल और अप्रत्याशित बना देता है, जिससे पहचान और रोकथामRead more
‘लोन वुल्फ’ हमले, जहाँ एक व्यक्ति या छोटे समूह स्वतंत्र रूप से हमला करता है, आतंकवाद का नया चेहरा बन चुका है। इन हमलों की विशिष्ट विशेषताएँ हैं—इनमें जटिल संगठनात्मक ढांचे की कमी होती है और इनकी योजना अक्सर छोटे पैमाने पर होती है। यह आतंकवाद को जटिल और अप्रत्याशित बना देता है, जिससे पहचान और रोकथाम की प्रक्रिया कठिन हो जाती है।
भारत की सुभेद्यताएँ:
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत को बेहतर खुफिया और निगरानी प्रणालियाँ, और समर्पित काउंटर-टेररिज़्म उपायों को लागू करने की आवश्यकता है।
See lessयुद्ध का स्वरूप निरंतर बदलता रहा है तथा ड्रोन एवं काउंटर-ड्रोन सिस्टम के आगमन ने भविष्य में हमारे लड़ने के तरीके को मौलिक रूप से बदल दिया है। टिप्पणी कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
युद्ध का स्वरूप निरंतर विकसित होता रहा है और ड्रोन तथा काउंटर-ड्रोन सिस्टम का आगमन इस बदलाव को और भी गहरा कर रहा है। ड्रोन, जो स्वचालित हवाई वाहन होते हैं, युद्धक्षेत्र में निगरानी, हवाई हमलों और सटीक लक्ष्यीकरण के लिए उपयोग किए जा रहे हैं। ये कम लागत वाले और आसानी से तैनात किए जा सकने वाले होते हैंRead more
युद्ध का स्वरूप निरंतर विकसित होता रहा है और ड्रोन तथा काउंटर-ड्रोन सिस्टम का आगमन इस बदलाव को और भी गहरा कर रहा है। ड्रोन, जो स्वचालित हवाई वाहन होते हैं, युद्धक्षेत्र में निगरानी, हवाई हमलों और सटीक लक्ष्यीकरण के लिए उपयोग किए जा रहे हैं। ये कम लागत वाले और आसानी से तैनात किए जा सकने वाले होते हैं, जो पारंपरिक सैन्य रणनीतियों को चुनौती देते हैं।
काउंटर-ड्रोन सिस्टम, जैसे कि रेडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ, और लेजर तकनीक, ड्रोन के खतरों को पहचानने और नष्ट करने के लिए विकसित किए गए हैं। इन प्रणालियों के जरिए, ड्रोन हमलों को विफल किया जा सकता है और उनकी प्रभावशीलता को कम किया जा सकता है।
भविष्य में, ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीकें युद्ध की रणनीतियों, युद्धक्षेत्र की गतिशीलता और सैन्य अभियानों की प्रकृति को मौलिक रूप से बदल देंगी, जिससे युद्ध की अवधारणाओं और तकनीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे।
See lessभारत की आंतरिक सुरक्षा पर तस्करी और जालसाजी के प्रभावों की विवेचना कीजिए। हालिया दिनों में इनसे निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत की आंतरिक सुरक्षा पर तस्करी और जालसाजी का गंभीर प्रभाव पड़ता है। तस्करी, विशेष रूप से ड्रग्स, हथियार, और मानव तस्करी, अपराधियों को धन और संसाधन प्रदान करती है, जो सुरक्षा और कानून व्यवस्था को कमजोर करती है। जालसाजी, जैसे कि फर्जी दस्तावेज और वित्तीय धोखाधड़ी, आर्थिक प्रणाली में अस्थिरता उत्पन्नRead more
भारत की आंतरिक सुरक्षा पर तस्करी और जालसाजी का गंभीर प्रभाव पड़ता है। तस्करी, विशेष रूप से ड्रग्स, हथियार, और मानव तस्करी, अपराधियों को धन और संसाधन प्रदान करती है, जो सुरक्षा और कानून व्यवस्था को कमजोर करती है। जालसाजी, जैसे कि फर्जी दस्तावेज और वित्तीय धोखाधड़ी, आर्थिक प्रणाली में अस्थिरता उत्पन्न करती है और नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डालती है।
हालिया कदम:
इन प्रयासों के माध्यम से भारत ने आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने और अपराध को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
See lessस्पष्ट कीजिए कि धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के लिए शेल कंपनियों का उपयोग कैसे किया जाता है। इस संदर्भ में, शेल कंपनियों के उपयोग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) में शेल कंपनियों का उपयोग करना एक सामान्य रणनीति है। शेल कंपनियां ऐसी फर्में होती हैं जिनके पास वास्तविक संचालन या गतिविधियां नहीं होती हैं, लेकिन कानूनी रूप से मौजूद रहती हैं। अपराधी इन कंपनियों का उपयोग संदिग्ध वित्तीय लेन-देन छिपाने, नकली लेन-देन करने और अपराध से अर्जित धRead more
धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) में शेल कंपनियों का उपयोग करना एक सामान्य रणनीति है। शेल कंपनियां ऐसी फर्में होती हैं जिनके पास वास्तविक संचालन या गतिविधियां नहीं होती हैं, लेकिन कानूनी रूप से मौजूद रहती हैं। अपराधी इन कंपनियों का उपयोग संदिग्ध वित्तीय लेन-देन छिपाने, नकली लेन-देन करने और अपराध से अर्जित धन को वैध दिखाने के लिए करते हैं। शेल कंपनियों के माध्यम से, वे धन को अलग-अलग खातों और देशों में ट्रांसफर कर सकते हैं, जिससे उसकी उत्पत्ति को छिपाना आसान हो जाता है।
शेल कंपनियों के उपयोग को रोकने के लिए उठाए गए कदम:
इन कदमों के माध्यम से, शेल कंपनियों के माध्यम से धन शोधन को रोकने और वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।
See lessदक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में सुरक्षा खतरों के स्वरूप और उनकी बारंबारता में वृद्धि के मद्देनजर, इस क्षेत्र में लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) के संबंध में भारत द्वारा निभाई गई भूमिका पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र, जिसमें लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) शामिल हैं जैसे मालदीव, सेशेल्स, और मॉरीशस, सुरक्षा और पर्यावरणीय खतरों का सामना कर रहा है। इन द्वीपीय देशों को समुद्री अपराध, जलवायु परिवर्तन, और समुद्री संसाधनों के प्रबंधन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत, एक प्Read more
दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र, जिसमें लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) शामिल हैं जैसे मालदीव, सेशेल्स, और मॉरीशस, सुरक्षा और पर्यावरणीय खतरों का सामना कर रहा है। इन द्वीपीय देशों को समुद्री अपराध, जलवायु परिवर्तन, और समुद्री संसाधनों के प्रबंधन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत, एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में, इन देशों के साथ सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत की भूमिका:
इन प्रयासों के माध्यम से, भारत ने दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा मिला है।
See less'एक्ट फार इंस्ट' पॉलिसी को अपनाना भारत के लिए सुदूर पूर्व क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है। विवंचना कीजिए। साथ ही, सुदूर पूर्व में भारत के हितों के समक्ष विद्यमान बाधाओं को भी रेखांकित कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी, जिसे भारत ने 2014 में शुरू किया, सुदूर पूर्व एशिया के प्रति अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति का उद्देश्य भारत और सुदूर पूर्व एशियाई देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। सुदूर पूर्व, जिसमें म्यांमाRead more
‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी, जिसे भारत ने 2014 में शुरू किया, सुदूर पूर्व एशिया के प्रति अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति का उद्देश्य भारत और सुदूर पूर्व एशियाई देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। सुदूर पूर्व, जिसमें म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, और अन्य देशों शामिल हैं, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी का एक प्रमुख भाग है।
भारत के सुदूर पूर्व क्षेत्र के प्रति महत्व:
विद्यमान बाधाएँ:
इन बाधाओं को पार करने और अपने रणनीतिक लक्ष्यों को साकार करने के लिए, भारत को सुदूर पूर्व एशिया के साथ कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को लगातार मजबूत करना होगा। ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी के तहत की गई पहलें, इस क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने और उसकी समग्र रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक होंगी।
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