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बुद्ध की मौलिक शिक्षाओं का वर्णन कीजिये। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2016]
बुद्ध की मौलिक शिक्षाएँ मानव जीवन के दुःख और उसके समाधान पर केंद्रित थीं। उनकी शिक्षाओं का मुख्य आधार 'चार आर्य सत्य' हैं। पहले सत्य के अनुसार, जीवन में दुःख अनिवार्य है। दूसरा सत्य बताता है कि दुःख का कारण तृष्णा (इच्छा) है। तीसरा सत्य इस बात की पुष्टि करता है कि दुःख का अंत संभव है। चौथा सत्य 'आष्Read more
बुद्ध की मौलिक शिक्षाएँ मानव जीवन के दुःख और उसके समाधान पर केंद्रित थीं। उनकी शिक्षाओं का मुख्य आधार ‘चार आर्य सत्य’ हैं। पहले सत्य के अनुसार, जीवन में दुःख अनिवार्य है। दूसरा सत्य बताता है कि दुःख का कारण तृष्णा (इच्छा) है। तीसरा सत्य इस बात की पुष्टि करता है कि दुःख का अंत संभव है। चौथा सत्य ‘आष्टांगिक मार्ग’ का पालन करने की सलाह देता है, जिसमें सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वचन, सम्यक क्रिया, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि शामिल हैं।
बुद्ध ने ‘अनित्ता’ (अस्थिरता) और ‘अनात्मा’ (निःस्वार्थता) के सिद्धांतों को भी महत्वपूर्ण माना। उन्होंने सिखाया कि सभी चीजें परिवर्तनशील हैं और व्यक्ति को आत्मा के स्थायित्व की भ्रांति से मुक्त होना चाहिए। इसके अलावा, बुद्ध ने करुणा, प्रेम और अहिंसा का संदेश दिया, जो सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।
बुद्ध की शिक्षाएँ न केवल व्यक्तिगत उत्थान के लिए हैं, बल्कि समाज में शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मज्ञान की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाया। उनके सिद्धांतों ने मानवता को एक नई दिशा दी और आज भी लाखों लोगों के जीवन में प्रासंगिक हैं। उनके उपदेशों ने धर्म, दर्शन और नैतिकता के क्षेत्रों में गहन प्रभाव डाला है।
See lessDescribe the relations of the contemporary Indian rulers with Harshvardhan. [Answer Limit: 250 words] [UKPSC 2016]
Harshvardhan (606-647 CE) was a prominent Indian ruler whose reign significantly influenced the political landscape of northern India. His relationships with contemporary Indian rulers were marked by both conflict and alliance. After ascending the throne of Kannauj, Harshvardhan sought to expand hisRead more
Harshvardhan (606-647 CE) was a prominent Indian ruler whose reign significantly influenced the political landscape of northern India. His relationships with contemporary Indian rulers were marked by both conflict and alliance. After ascending the throne of Kannauj, Harshvardhan sought to expand his empire and consolidate power, leading to interactions with various regional kings.
He maintained a notable alliance with the rulers of the Deccan, particularly the Pallavas, who were significant opponents of the Chalukyas. This alliance facilitated cultural and economic exchanges, contributing to the flourishing of art and literature during his reign. Harshvardhan also engaged with Buddhist rulers, promoting the religion alongside Hinduism, demonstrating his policy of religious tolerance.
His most significant diplomatic effort was the grand religious assembly at Kannauj, attended by numerous rulers, including the powerful Maitraka king of Vallabhi. This gathering showcased Harshvardhan’s aim to unify different kingdoms and promote a shared cultural identity, reflecting his vision of a cohesive Indian subcontinent.
However, his ambitions also led to conflicts, particularly with the rulers of the western regions. The ongoing power struggles and military campaigns showcased the competitive nature of Indian politics during this period.
In conclusion, Harshvardhan’s relationships with contemporary rulers were characterized by a blend of cooperation and rivalry, influencing the political dynamics of northern India and contributing to the region’s cultural and religious landscape. His diplomatic acumen and military strategies were pivotal in shaping the era’s historical narrative.
See lessजलवायु शमन और अनुकूलन के साथ-साथ जैव विविधता को बनाए रखने और मानव स्वास्थ्य के लिए आर्द्रभूमियों को जीवंत बनाए रखना महत्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए। इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत में कौन-से साधन मौजूद हैं? (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
आर्द्रभूमियाँ, जैसे कि दलदली क्षेत्र और झीलें, जलवायु शमन, जैव विविधता संरक्षण, और मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये क्षेत्र कार्बन का अवशोषण कर जलवायु परिवर्तन को कम करते हैं, जल के प्राकृतिक पुनः भरने में योगदान करते हैं, और जैव विविधता का घर होते हैं। साथ ही, आर्द्रभूमियाँ स्थानीय जRead more
आर्द्रभूमियाँ, जैसे कि दलदली क्षेत्र और झीलें, जलवायु शमन, जैव विविधता संरक्षण, और मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये क्षेत्र कार्बन का अवशोषण कर जलवायु परिवर्तन को कम करते हैं, जल के प्राकृतिक पुनः भरने में योगदान करते हैं, और जैव विविधता का घर होते हैं। साथ ही, आर्द्रभूमियाँ स्थानीय जलवायु को नियंत्रित करती हैं और प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ को कम करती हैं।
भारत में आर्द्रभूमियों की सुरक्षा और पुनर्जीवित करने के लिए निम्नलिखित साधन और पहल उपलब्ध हैं:
इन साधनों और पहलों के माध्यम से, भारत आर्द्रभूमियों को संरक्षण देने और उन्हें जलवायु शमन, जैव विविधता की रक्षा, और मानव स्वास्थ्य के लिए प्रभावी ढंग से बनाए रखने में सक्षम हो सकता है।
See lessजैसा कि विश्व अर्धचालक की तीव्र कमी से जूझ रहा है, ऐसे में भारत के लिए इस क्षेत्रक में आगे बढ़ने का अवसर उपलब्ध है। इस संदर्भ में, भारत में चिप डिजाइन उद्योग के समक्ष विद्यमान चुनौतियों पर चर्चा कीजिए तथा इस संबंध में उठाए जा सकने वाले कदमों का उल्लेख कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
वर्तमान में वैश्विक अर्धचालक की तीव्र कमी के कारण भारत के लिए चिप डिजाइन उद्योग में प्रगति का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत हो रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कई चुनौतियाँ सामने हैं। चुनौतियाँ: तकनीकी अवसंरचना की कमी: भारत में अर्धचालक डिजाइन के लिए आवश्यक उन्नत अनुसंधान और विकास सुविRead more
वर्तमान में वैश्विक अर्धचालक की तीव्र कमी के कारण भारत के लिए चिप डिजाइन उद्योग में प्रगति का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत हो रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कई चुनौतियाँ सामने हैं।
चुनौतियाँ:
उपाय:
इन उपायों को अपनाकर भारत चिप डिजाइन उद्योग में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है और वैश्विक आपूर्ति संकट के समाधान में योगदान कर सकता है।
See lessभारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स की उपलब्धता का वर्णन करते हुए, उनके महत्व के साथ-साथ उनके अन्वेषण से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स की उपलब्धता: प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स (या मिथेन हाइड्रेट्स) एक संभावित ऊर्जा स्रोत हैं, जो समुद्री तल और आर्कटिक क्षेत्रों में ठंडे तापमान और उच्च दबाव के कारण पाए जाते हैं। भारत में, इन हाइड्रेट्स की महत्वपूर्ण उपलब्धता संभावनाएँ समुद्री क्षेत्रों में देखी गई हैं,Read more
भारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स की उपलब्धता:
प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स (या मिथेन हाइड्रेट्स) एक संभावित ऊर्जा स्रोत हैं, जो समुद्री तल और आर्कटिक क्षेत्रों में ठंडे तापमान और उच्च दबाव के कारण पाए जाते हैं। भारत में, इन हाइड्रेट्स की महत्वपूर्ण उपलब्धता संभावनाएँ समुद्री क्षेत्रों में देखी गई हैं, विशेषकर अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह और दक्षिणी तट पर, जहां इनका पता लगाने और अन्वेषण के लिए विभिन्न अध्ययन किए गए हैं। भारतीय तेल और गैस निगम (ONGC) और अन्य अनुसंधान संस्थान इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से शोध कर रहे हैं।
महत्व:
चुनौतियाँ:
इस प्रकार, भारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स की संभावनाएँ ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करती हैं, लेकिन इनके अन्वेषण और उत्पादन में कई तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी शामिल हैं। इन चुनौतियों का समाधान करके ही भारत इन हाइड्रेट्स को प्रभावी रूप से उपयोग में ला सकता है।
See lessभारत में आई.टी. & बी.पी.एम. (बिजनेस प्रॉसेस मैनेजमेंट) उद्योग की स्थिति का संक्षिप्त विवरण दीजिए। साथ ही, विभिन्न भारतीय शहरों में आई.टी. हब की अवस्थिति का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कारकों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग की स्थिति: भारत का आई.टी. और बी.पी.एम. (बिजनेस प्रॉसेस मैनेजमेंट) उद्योग वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उद्योग 1990 के दशक की शुरुआत से तेजी से विकसित हुआ है और अब वैश्विक आई.टी. आउटसोर्सिंग और बी.पी.एम. सेवाओं में एक प्रमुख खिलाड़ी है। भारत के आईRead more
भारत में आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग की स्थिति:
भारत का आई.टी. और बी.पी.एम. (बिजनेस प्रॉसेस मैनेजमेंट) उद्योग वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उद्योग 1990 के दशक की शुरुआत से तेजी से विकसित हुआ है और अब वैश्विक आई.टी. आउटसोर्सिंग और बी.पी.एम. सेवाओं में एक प्रमुख खिलाड़ी है। भारत के आई.टी. उद्योग ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, सिस्टम इंटीग्रेशन, कस्टमर सपोर्ट, और अन्य प्रौद्योगिकी सेवाओं में उत्कृष्टता हासिल की है। बी.पी.एम. सेक्टर, जिसमें व्यापार प्रक्रियाओं की आउटसोर्सिंग शामिल है, ने भी दुनिया भर की कंपनियों के लिए सेवाएँ प्रदान की हैं, जिससे भारत को वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण स्थान मिला है।
भारत में आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई, और नोएडा। ये शहर न केवल तकनीकी कौशल और उन्नत सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि ये कुछ महत्वपूर्ण कारकों के कारण भी प्रमुख आई.टी. हब बने हैं:
आई.टी. हब की अवस्थिति में महत्वपूर्ण कारक:
इन कारकों ने भारत को आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग में एक वैश्विक नेता बनने में मदद की है, और देश के विभिन्न शहरों को इन उद्योगों के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया है।
See lessभारत के पास 1,80,000 मेगावाट महासागरीय तापीय ऊर्जा उत्पादित करने की क्षमता है, हालांकि, इस दिशा में प्रगति धीमी रही है। इस संदर्भ में, संबंधित चुनौतियों को रेखांकित कीजिए और सुधारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में महासागरीय तापीय ऊर्जा (ओशेन थर्मल एनर्जी) की विशाल क्षमता के बावजूद, इसके विकास में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं। चुनौतियाँ: तकनीकी और वैज्ञानिक चुनौतियाँ: महासागरीय तापीय ऊर्जा प्रणाली की डिजाइन और संचालन जटिल होते हैं, जिसमें गहरे समुद्र में उपकरणों को स्थापित करना और उनकी दीर्घकालिक स्थिरताRead more
भारत में महासागरीय तापीय ऊर्जा (ओशेन थर्मल एनर्जी) की विशाल क्षमता के बावजूद, इसके विकास में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं।
चुनौतियाँ:
सुधारात्मक उपाय:
इन उपायों को अपनाकर, भारत महासागरीय तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता को पूरी तरह से उपयोग कर सकता है और सतत ऊर्जा उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है।
See lessहिमालय की वर्तमान अपवाह प्रणाली काफी हद तक क्रमिक नदी अपहरण का परिणाम है। चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
हिमालय की वर्तमान अपवाह प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण (river capture) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह प्रक्रिया तब होती है जब एक नदी या नदी प्रणाली एक अन्य नदी की जलधारा को अपने प्रवाह में शामिल कर लेती है, जिससे नदी का मार्ग और अपवाह क्षेत्र बदल जाता है। हिमालय में, टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों औRead more
हिमालय की वर्तमान अपवाह प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण (river capture) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह प्रक्रिया तब होती है जब एक नदी या नदी प्रणाली एक अन्य नदी की जलधारा को अपने प्रवाह में शामिल कर लेती है, जिससे नदी का मार्ग और अपवाह क्षेत्र बदल जाता है।
हिमालय में, टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों और ऊँचाई में बदलाव के कारण, कई मौजूदा नदियाँ और उनकी धारा प्रकट हुईं। उदाहरण के लिए, सिंधु नदी प्रणाली ने कभी एक समय में पश्चिमी हिमालय से बहती नदियों की जलधारा को अपहृत किया। इसी तरह, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ भी अपने मौजूदा मार्ग में विभिन्न नदी प्रणालियों को अपने में समाहित करती गईं।
इन क्रमिक अपहरण प्रक्रियाओं ने हिमालय की नदी प्रणाली को जटिल और विविध बना दिया है, और इसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय जलवायु, बाढ़ की घटनाओं और भूगोल में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।
See lessअटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) से आप क्या समझते हैं? हाल ही में, AMOC के कमजोर पड़ने के लिए उत्तरदायी कारणों और इसके प्रभाव पर प्रकाश डालिए।। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) एक महत्वपूर्ण महासागरीय धारा प्रणाली है, जो अटलांटिक महासागर में गर्म और ठंडी जल धाराओं के आपसी आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है। यह प्रणाली गर्म सतही पानी को उत्तरी अटलांटिक में ले जाती है, जहां यह ठंडा होकर डूबता है और फिर दक्षिणी अटलांटिक में वापस लौRead more
अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) एक महत्वपूर्ण महासागरीय धारा प्रणाली है, जो अटलांटिक महासागर में गर्म और ठंडी जल धाराओं के आपसी आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है। यह प्रणाली गर्म सतही पानी को उत्तरी अटलांटिक में ले जाती है, जहां यह ठंडा होकर डूबता है और फिर दक्षिणी अटलांटिक में वापस लौटता है।
हाल ही में, AMOC के कमजोर पड़ने के प्रमुख कारणों में ग्लोबल वार्मिंग और आर्कटिक बर्फ का पिघलना शामिल हैं। इन कारणों से उत्तरी अटलांटिक में ठंडे और भारी पानी का प्रवाह कम हो गया है, जिससे AMOC की ताकत में कमी आई है।
इसके प्रभाव गंभीर हो सकते हैं:
इस प्रकार, AMOC की कमजोरी वैश्विक जलवायु और मौसम प्रणालियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
See lessद्वीपसमूह से आप क्या समझते हैं? इनके निर्माण में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को उदाहरण सहित समझाइए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
द्वीपसमूह एक ऐसी भौगोलिक संरचना है जिसमें कई छोटे-छोटे द्वीप एक समूह के रूप में स्थित होते हैं। ये द्वीप समुद्र, समुद्री झीलों, या अन्य जलाशयों में फैले हुए हो सकते हैं। द्वीपसमूहों के निर्माण में विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं: वोल्कैनिक गतिविधि: जैसे हवाई द्वीपसमूह, जो कि एक ज्वालामुRead more
द्वीपसमूह एक ऐसी भौगोलिक संरचना है जिसमें कई छोटे-छोटे द्वीप एक समूह के रूप में स्थित होते हैं। ये द्वीप समुद्र, समुद्री झीलों, या अन्य जलाशयों में फैले हुए हो सकते हैं। द्वीपसमूहों के निर्माण में विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं:
ये प्रक्रियाएँ द्वीपसमूहों को भौगोलिक और पारिस्थितिक दृष्टिकोण से विशिष्ट बनाती हैं।
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