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आरबीआई के पास मौद्रिक नीति के कौन-कौन से साधन उपलब्ध हैं? इन पर प्रकाश डालते हुए चर्चा करें कि यह वाणिज्यिक बैंकों के साथ-साथ सरकार के लिए भी किस प्रकार बैंकर की भूमिका निभाता है। (200 words)
मौद्रिक नीति के साधन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति के माध्यम से अर्थव्यवस्था की मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों को नियंत्रित करता है। इसके प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं: रेपो दर (Repo Rate): यह वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, 2024 में RBI नRead more
मौद्रिक नीति के साधन
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति के माध्यम से अर्थव्यवस्था की मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों को नियंत्रित करता है। इसके प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं:
वाणिज्यिक बैंकों के बैंकर के रूप में RBI की भूमिका
सरकार के बैंकर के रूप में RBI की भूमिका
इन साधनों और भूमिकाओं के माध्यम से, RBI देश की आर्थिक और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
See lessयह पाया गया है कि 1948 में रिकॉर्ड रखे जाने के बाद से ग्रीनलैंड आइस शीट (GriS) अपने “सतही द्रव्यमान” में सबसे बड़ी गिरावट के दौर से गुजर रही है। इस गिरावट के कारणों और इसके संभावित परिणामों का विश्लेषण कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
ग्रीनलैंड आइस शीट के सतही द्रव्यमान में गिरावट के कारण वायुमंडलीय परिस्थितियाँ: 2019 की गर्मियों में ग्रीनलैंड में अभूतपूर्व वायुमंडलीय परिस्थितियों ने सतही द्रव्यमान संतुलन (SMB) में रिकॉर्ड या निकट-रिकॉर्ड गिरावट को बढ़ावा दिया। बढ़ता तापमान: आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ते तापमान के कारण बर्फ पिघलने कीRead more
ग्रीनलैंड आइस शीट के सतही द्रव्यमान में गिरावट के कारण
इस गिरावट के संभावित परिणाम
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और उसके प्रभावों के प्रति अनुकूलन की आवश्यकता है।
See lessहिमालय की वर्तमान जल निकासी प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण की भूमिका पर चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
हिमालय की जल निकासी प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो नदियों के मार्ग, जलग्रहण क्षेत्र और जल प्रवाह को प्रभावित करती है। नदी अपहरण की प्रक्रिया: नदी अपहरण वह प्रक्रिया है, जिसमें एक नदी अपने ऊर्ध्वाधर अपरदन (हेडवर्ड इरोजन) के माध्यम से दूसरी नदी के जल प्रवाह को अपने में सम्Read more
हिमालय की जल निकासी प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो नदियों के मार्ग, जलग्रहण क्षेत्र और जल प्रवाह को प्रभावित करती है।
नदी अपहरण की प्रक्रिया:
हिमालय में नदी अपहरण के प्रभाव:
वर्तमान घटनाएँ और आँकड़े:
निष्कर्ष:
महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारकों को स्पष्ट करते हुए, इसके विश्वभर में स्थानिक वितरण पर चर्चा करें।”
महासागरीय जल की लवणता प्रति 1,000 ग्राम समुद्री जल में घुले लवणों की मात्रा को दर्शाती है, जिसे प्रति हजार (‰) में मापा जाता है। औसतन, महासागरीय जल की लवणता 35‰ होती है, अर्थात 1,000 ग्राम जल में 35 ग्राम लवण। लवणता को प्रभावित करने वाले कारक: वाष्पीकरण (Evaporation): वाष्पीकरण की उच्च दर लवणता बढ़ाRead more
महासागरीय जल की लवणता प्रति 1,000 ग्राम समुद्री जल में घुले लवणों की मात्रा को दर्शाती है, जिसे प्रति हजार (‰) में मापा जाता है। औसतन, महासागरीय जल की लवणता 35‰ होती है, अर्थात 1,000 ग्राम जल में 35 ग्राम लवण।
लवणता को प्रभावित करने वाले कारक:
लवणता का स्थानिक वितरण:
इस प्रकार, महासागरीय लवणता विभिन्न भौगोलिक, जलवायु और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से निर्धारित होती है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु पैटर्न को प्रभावित करती है।
See lessबायोम से आपका क्या अभिप्राय है? विश्व के प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताओं का वर्णन करें। (उत्तर 200 शब्दों में दें)
बायोम का अर्थ बायोम पृथ्वी के विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र हैं, जहाँ जलवायु, पौधों और जानवरों की संरचना एक समान होती है। यह बड़े पारिस्थितिकी तंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और विभिन्न जैविक और भौगोलिक कारकों के आधार पर वर्गीकृत होते हैं। प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताएँ रेगिस्तान (Desert) स्थान: सहारा, थारRead more
बायोम का अर्थ
बायोम पृथ्वी के विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र हैं, जहाँ जलवायु, पौधों और जानवरों की संरचना एक समान होती है। यह बड़े पारिस्थितिकी तंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और विभिन्न जैविक और भौगोलिक कारकों के आधार पर वर्गीकृत होते हैं।
प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताएँ
निष्कर्ष
बायोम पारिस्थितिकी संतुलन और जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मानव हस्तक्षेप और जलवायु परिवर्तन से इन पर खतरा बढ़ रहा है।
See lessभारत में जूट उद्योग की अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारकों की सूची बनाइए और इस उद्योग को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उनका विवरण कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में जूट उद्योग की अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक और चुनौतियाँ अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक भौगोलिक दशाएँ: जूट की खेती गर्म और नम जलवायु (25°-35°C) में होती है, और 150-200 सेमी वार्षिक वर्षा आवश्यक है। गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र (पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा) में उर्वर जलोढ़ मिRead more
भारत में जूट उद्योग की अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक और चुनौतियाँ
अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक
चुनौतियाँ
नवीन पहलें:
See lessजूट के बैग्स और अन्य पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जिससे उद्योग को पुनर्जीवन मिल सकता है।
क्या भारत सरकार में मंत्रालयों की संख्या को घटाकर उन्हें अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है? प्रासंगिक तर्कों के साथ विश्लेषण कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
परिचय: भारत सरकार के पास 55 मंत्रालय हैं, जो विभिन्न विभागों और योजनाओं का संचालन करते हैं। हालांकि, मंत्रालयों की अधिक संख्या से समन्वय में कठिनाई और संसाधनों की बर्बादी होती है। मंत्रालयों की संख्या घटाने के लाभ समन्वय में सुधार: पर्यावरण मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय जैसे क्षेत्रों में टकराव अक्सर पRead more
परिचय:
भारत सरकार के पास 55 मंत्रालय हैं, जो विभिन्न विभागों और योजनाओं का संचालन करते हैं। हालांकि, मंत्रालयों की अधिक संख्या से समन्वय में कठिनाई और संसाधनों की बर्बादी होती है।
मंत्रालयों की संख्या घटाने के लाभ
पर्यावरण मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय जैसे क्षेत्रों में टकराव अक्सर परियोजनाओं में देरी करते हैं। एकीकृत संरचना से यह समस्या हल हो सकती है।
2022-23 में प्रशासनिक खर्च में 8% वृद्धि हुई। मंत्रालयों को मिलाने से यह लागत घटाई जा सकती है।
कम मंत्रालय होने से नीतियों का क्रियान्वयन तेज़ हो सकता है, जैसा कि डिजिटल इंडिया परियोजना में देखा गया।
चुनौतियाँ
छोटे मंत्रालय, जैसे कौशल विकास, बड़े ढांचे में अपनी प्राथमिकता खो सकते हैं।
नए ढांचे को लागू करने में समय और संसाधन लग सकते हैं।
निष्कर्ष
मंत्रालयों का पुनर्गठन ज़रूरी है, लेकिन इसका कार्यान्वयन सोच-समझकर होना चाहिए ताकि विशेषज्ञता और जवाबदेही बनी रहे।
See lessभारत विभिन्न कारणों से अपनी पवन ऊर्जा की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर सका है। इस पर चर्चा करें और भविष्य में इसके समुचित विकास के लिए संभावित उपायों पर प्रकाश डालें। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत ने पवन ऊर्जा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन फिर भी अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर सका है। इसके पीछे कई कारण हैं: 1. संसाधन और तकनीकी बाधाएं भारत में पवन ऊर्जा क्षमता 45.9 GW तक पहुंच गई है, लेकिन तकनीकी चुनौतियां, जैसे कि पुराने टर्बाइन और अपग्रेडेशन की कमी, इसके उपयोग को प्रभावित करती हRead more
भारत ने पवन ऊर्जा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन फिर भी अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर सका है। इसके पीछे कई कारण हैं:
1. संसाधन और तकनीकी बाधाएं
2. स्थानिक समस्याएं
3. वित्तीय और नीति संबंधित मुद्दे
भविष्य में सुधार के उपाय:
Discuss the challenges encountered by Panchayati Raj Institutions (PRIs) in disaster management and explain how the Ministry of Panchayati Raj’s Disaster Management Plan can assist in overcoming these challenges. (Answer in 250 words)
Challenges Faced by Panchayati Raj Institutions (PRIs) in Disaster Management Limited Resources and Training PRIs often lack funds, technical expertise, and trained personnel to handle disaster preparedness and response effectively. Example: Many rural areas struggle to establish basic early warningRead more
Challenges Faced by Panchayati Raj Institutions (PRIs) in Disaster Management
Role of the Ministry of Panchayati Raj’s Disaster Management Plan
By addressing these gaps, the plan ensures PRIs act as frontline responders, fostering resilience and reducing disaster impacts.
See lessऔद्योगिक आपदाएं क्या होती हैं? इनके उदाहरणों के माध्यम से विस्तार से चर्चा कीजिए। साथ ही, औद्योगिक आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक संस्थागत ढांचे पर भी प्रकाश डालिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
औद्योगिक आपदाएं: औद्योगिक आपदाएं वे घटनाएं हैं, जो उद्योगों से जुड़ी गतिविधियों के दौरान आकस्मिक रूप से होती हैं और मानवीय जीवन, पर्यावरण तथा संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं। ये आपदाएं रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल या तकनीकी कारणों से हो सकती हैं। उदाहरण: भोपाल गैस त्रासदी (1984): यूनियन कार्बRead more
औद्योगिक आपदाएं:
औद्योगिक आपदाएं वे घटनाएं हैं, जो उद्योगों से जुड़ी गतिविधियों के दौरान आकस्मिक रूप से होती हैं और मानवीय जीवन, पर्यावरण तथा संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं। ये आपदाएं रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल या तकनीकी कारणों से हो सकती हैं।
उदाहरण:
औद्योगिक आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक संस्थागत ढांचा:
उपयुक्त योजनाओं और प्रबंधन ढांचे के जरिए औद्योगिक आपदाओं के जोखिम को कम किया जा सकता है और उनके प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है।
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