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बढ़ते संरक्षणवाद के बीच, भारत की आर्थिक वृद्धि और आत्मनिर्भर भारत की रणनीति के लिए निहितार्थों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। वैश्वीकरण के साथ संरक्षणवाद को संतुलित करने के लिए भारत द्वारा अपनाए जा सकने वाले संभावित उपायों पर चर्चा करें।
भूमिका बढ़ते संरक्षणवाद के कारण वैश्विक व्यापार सीमित हो रहा है, जो भारत की आर्थिक वृद्धि और आत्मनिर्भर भारत की रणनीति के लिए चुनौती प्रस्तुत करता है। निहितार्थ निर्यात पर प्रभाव: भारत के निर्यात का जीडीपी में 18% योगदान है। संरक्षणवाद से यह बाधित हो सकता है। विदेशी निवेश में कमी: व्यापार अवरोधों सेRead more
भूमिका
बढ़ते संरक्षणवाद के कारण वैश्विक व्यापार सीमित हो रहा है, जो भारत की आर्थिक वृद्धि और आत्मनिर्भर भारत की रणनीति के लिए चुनौती प्रस्तुत करता है।
निहितार्थ
संभावित उपाय
निष्कर्ष
भारत को संरक्षणवाद और वैश्वीकरण के बीच संतुलन बनाते हुए दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए।
See less1765 से 1833 के बीच ब्रिटिश शासन और ईस्ट इंडिया कंपनी के संबंधों में हुए विकास का विश्लेषण कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
1765 से 1833 तक, ब्रिटिश शासन और ईस्ट इंडिया कंपनी (EIC) के संबंधों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जिनसे भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नींव मजबूत हुई। ईस्ट इंडिया कंपनी का विस्तार (1765): 1765 में, कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा में राजस्व संग्रहण का अधिकार मिला, जिससे उसकी प्रशासनिक शक्तियाँ बढ़ीं।Read more
1765 से 1833 तक, ब्रिटिश शासन और ईस्ट इंडिया कंपनी (EIC) के संबंधों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जिनसे भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नींव मजबूत हुई।
ईस्ट इंडिया कंपनी का विस्तार (1765):
ब्रिटिश सरकार की बढ़ती भूमिका:
चार्टर अधिनियम (1813 और 1833):
इन परिवर्तनों से स्पष्ट होता है कि ब्रिटिश सरकार ने समय के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के मामलों में अपनी भूमिका बढ़ाई, जिससे भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
See lessआरबीआई के पास मौद्रिक नीति के कौन-कौन से साधन उपलब्ध हैं? इन पर प्रकाश डालते हुए चर्चा करें कि यह वाणिज्यिक बैंकों के साथ-साथ सरकार के लिए भी किस प्रकार बैंकर की भूमिका निभाता है। (200 words)
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास मौद्रिक नीति के कई साधन हैं, जिनका उपयोग वह देश की मुद्रा आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए करता है। इनमें प्रमुख हैं: रेपो रेट (Repo Rate): वह दर जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। इस दर में परिवर्तन से बैंकों की उधारी लागत प्रभावितRead more
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास मौद्रिक नीति के कई साधन हैं, जिनका उपयोग वह देश की मुद्रा आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए करता है। इनमें प्रमुख हैं:
वाणिज्यिक बैंकों के बैंकर के रूप में RBI की भूमिका:
सरकार के बैंकर के रूप में RBI की भूमिका:
इन साधनों और भूमिकाओं के माध्यम से, RBI देश की आर्थिक और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
See lessयह पाया गया है कि 1948 में रिकॉर्ड रखे जाने के बाद से ग्रीनलैंड आइस शीट (GriS) अपने “सतही द्रव्यमान” में सबसे बड़ी गिरावट के दौर से गुजर रही है। इस गिरावट के कारणों और इसके संभावित परिणामों का विश्लेषण कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
ग्रीनलैंड आइस शीट (GrIS) के सतही द्रव्यमान में 1948 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट के प्रमुख कारणों में शामिल हैं: बढ़ता वायुमंडलीय तापमान: ग्लोबल वार्मिंग के चलते आर्कटिक क्षेत्र में तापमान में वृद्धि हो रही है, जिससे बर्फ तेजी से पिघल रही है। समुद्री जल का गर्म होना: समुद्र केRead more
ग्रीनलैंड आइस शीट (GrIS) के सतही द्रव्यमान में 1948 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
इस बर्फीली चादर के पिघलने के संभावित परिणाम गंभीर हो सकते हैं:
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और उसके प्रभावों के प्रति अनुकूलन की आवश्यकता है।
See lessहिमालय की वर्तमान जल निकासी प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण की भूमिका पर चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
हिमालय की जल निकासी प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नदी अपहरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक नदी अपने ऊर्ध्वाधर अपरदन (हेडवर्ड इरोजन) के माध्यम से दूसरी नदी के जल प्रवाह को अपने में सम्मिलित कर लेती है। हिमालयी क्षेत्र में यह प्रक्रिया भू-आकृतिक परिवर्तनों और जल निकासी पैटर्नRead more
हिमालय की जल निकासी प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नदी अपहरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक नदी अपने ऊर्ध्वाधर अपरदन (हेडवर्ड इरोजन) के माध्यम से दूसरी नदी के जल प्रवाह को अपने में सम्मिलित कर लेती है। हिमालयी क्षेत्र में यह प्रक्रिया भू-आकृतिक परिवर्तनों और जल निकासी पैटर्न के पुनर्गठन में सहायक होती है।
हिमालय में तीव्र ढाल और सक्रिय भूगर्भीय गतिविधियों के कारण नदियाँ अपने ऊर्ध्वाधर अपरदन के माध्यम से जल विभाजकों को काटती हैं, जिससे वे पड़ोसी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों का अपहरण कर लेती हैं। इससे नदियों के मार्ग, आकार और जल प्रवाह में परिवर्तन होता है, जो संपूर्ण जल निकासी प्रणाली को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, कोसी नदी ने अरुणा नदी का अपहरण किया है, जिससे उसके जलग्रहण क्षेत्र में विस्तार हुआ है।
इस प्रकार, क्रमिक नदी अपहरण हिमालय की जल निकासी प्रणाली में नदियों के मार्ग, जलग्रहण क्षेत्र और जल प्रवाह के पुनर्गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे क्षेत्र की भू-आकृतिक संरचना और जल संसाधन वितरण प्रभावित होते हैं।
See lessमहासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारकों को स्पष्ट करते हुए, इसके विश्वभर में स्थानिक वितरण पर चर्चा करें।”
महासागरीय जल की लवणता प्रति 1,000 ग्राम समुद्री जल में घुले लवणों की मात्रा को दर्शाती है, जिसे प्रति हजार (‰) में मापा जाता है। औसतन, महासागरीय जल की लवणता 35‰ होती है, अर्थात 1,000 ग्राम जल में 35 ग्राम लवण। लवणता को प्रभावित करने वाले कारक: वाष्पीकरण (Evaporation): वाष्पीकरण की उच्च दर लवणता बढ़ाRead more
महासागरीय जल की लवणता प्रति 1,000 ग्राम समुद्री जल में घुले लवणों की मात्रा को दर्शाती है, जिसे प्रति हजार (‰) में मापा जाता है। औसतन, महासागरीय जल की लवणता 35‰ होती है, अर्थात 1,000 ग्राम जल में 35 ग्राम लवण।
लवणता को प्रभावित करने वाले कारक:
लवणता का स्थानिक वितरण:
इस प्रकार, महासागरीय लवणता विभिन्न भौगोलिक, जलवायु और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से निर्धारित होती है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु पैटर्न को प्रभावित करती है।
See lessबायोम से आपका क्या अभिप्राय है? विश्व के प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताओं का वर्णन करें। (उत्तर 200 शब्दों में दें)
बायोम का अर्थ बायोम एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र है जहां जलवायु, पौधों और पशुओं की विशेषताएँ एक जैसी होती हैं। यह बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक तंत्र है, जिसमें पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर जीवों का अनुकूलन होता है। प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताएँ रेगिस्तान (Desert) स्थान: सहारा, थार, कालाहारी। विशेRead more
बायोम का अर्थ
बायोम एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र है जहां जलवायु, पौधों और पशुओं की विशेषताएँ एक जैसी होती हैं। यह बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक तंत्र है, जिसमें पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर जीवों का अनुकूलन होता है।
प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताएँ
बायोम मानव जीवन और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
See lessभारत में जूट उद्योग की अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारकों की सूची बनाइए और इस उद्योग को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उनका विवरण कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में जूट उद्योग: अवस्थिति और चुनौतियाँ अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक: कृषि और भौगोलिक स्थिति: जूट का मुख्य उत्पादन पश्चिम बंगाल, बिहार और असम में होता है, जो भारत के कुल जूट उत्पादन का 99% है। यहां की नदियों द्वारा उपजाऊ मिट्टी और नमी इसकी खेती के लिए उपयुक्त है। सरकारी नीतियाँ: जूट पैकेजिंRead more
भारत में जूट उद्योग: अवस्थिति और चुनौतियाँ
अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक:
मुख्य चुनौतियाँ:
समाधान:
यह उद्योग सतत विकास और रोजगार में योगदान दे सकता है।
See lessक्या भारत सरकार में मंत्रालयों की संख्या को घटाकर उन्हें अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है? प्रासंगिक तर्कों के साथ विश्लेषण कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत सरकार में मंत्रालयों की संख्या घटाने की आवश्यकता परिचय: भारत में वर्तमान में 55 मंत्रालय हैं, जो शासन को चलाने में सहायता करते हैं। हालांकि, इनकी अधिक संख्या कार्यक्षमता और संसाधनों के उपयोग पर सवाल खड़ा करती है। मंत्रालयों को घटाने के पक्ष में तर्क: समन्वय में सुधार: मंत्रालयों के बीच टकराव, जRead more
भारत सरकार में मंत्रालयों की संख्या घटाने की आवश्यकता
परिचय:
भारत में वर्तमान में 55 मंत्रालय हैं, जो शासन को चलाने में सहायता करते हैं। हालांकि, इनकी अधिक संख्या कार्यक्षमता और संसाधनों के उपयोग पर सवाल खड़ा करती है।
मंत्रालयों को घटाने के पक्ष में तर्क:
मंत्रालयों के बीच टकराव, जैसे पर्यावरण और उद्योग मंत्रालय, परियोजनाओं को बाधित करते हैं। इनका एकीकरण समयबद्ध नीति कार्यान्वयन सुनिश्चित कर सकता है।
मंत्रालयों की संख्या घटाकर प्रशासनिक लागत को कम किया जा सकता है, जिससे संसाधन विकास योजनाओं की ओर मोड़े जा सकें।
कम मंत्रालयों के साथ जिम्मेदारियों का बेहतर विभाजन संभव है, जो सुशासन को प्रोत्साहित करेगा।
चुनौतियाँ:
छोटे मंत्रालय, जैसे कौशल विकास, व्यापक ढांचे में खो सकते हैं।
पुनर्गठन से सेवाओं में अस्थायी व्यवधान हो सकता है।
उदाहरण:
ब्रिटेन जैसे देशों में कम मंत्रालयों के साथ प्रभावी निर्णय लिए जाते हैं। भारत इस मॉडल को अपनाकर नीति-निर्माण में तेजी ला सकता है।
निष्कर्ष:
See lessभारत सरकार को मंत्रालयों को सरल बनाना चाहिए, लेकिन ऐसा करते समय विशेषज्ञता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है।
भारत विभिन्न कारणों से अपनी पवन ऊर्जा की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर सका है। इस पर चर्चा करें और भविष्य में इसके समुचित विकास के लिए संभावित उपायों पर प्रकाश डालें। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत अपनी पवन ऊर्जा क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहा है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: स्थानीय और तकनीकी समस्याएं: पवन टर्बाइन के पुराने मॉडल और उपयुक्त स्थानों की कमी इसके उत्पादन को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, गुजरात और तमिलनाडु में सबसे अधिक पवन ऊर्जा उत्पन्न होती है। उच्च निवेश की आवRead more
भारत अपनी पवन ऊर्जा क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहा है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
समाधान: पवन ऊर्जा तकनीकों का उन्नयन, सरकार द्वारा अधिक वित्तीय प्रोत्साहन, और समुद्र तटीय पवन ऊर्जा का विकास भारत की पवन ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
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