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What is hydrosphere?
The hydrosphere refers to the total water content on Earth, encompassing all forms of water, including oceans, rivers, lakes, glaciers, groundwater, and water vapor in the atmosphere. Covering about 71% of the Earth's surface, the hydrosphere plays a crucial role in supporting life, regulating climaRead more
The hydrosphere refers to the total water content on Earth, encompassing all forms of water, including oceans, rivers, lakes, glaciers, groundwater, and water vapor in the atmosphere. Covering about 71% of the Earth’s surface, the hydrosphere plays a crucial role in supporting life, regulating climate, and influencing weather patterns. It is a vital component of the Earth’s system, interacting with the atmosphere, lithosphere, and biosphere. The hydrosphere is essential for various processes, such as the water cycle, which involves evaporation, condensation, and precipitation, ensuring the continuous movement and distribution of water. Its preservation is vital for environmental sustainability.
See lessकुपोषण के सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों को लिखिए।
कुपोषण कई सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों से प्रभावित होता है, जो आहार की आदतों और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। गरीबी एक प्रमुख कारक है, जो पोषणयुक्त खाद्य पदार्थों और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को सीमित करती है। सांस्कृतिक विश्वास और प्रथाएँ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं; उदाहरण के लिए, कुछ समुदायोंRead more
कुपोषण कई सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों से प्रभावित होता है, जो आहार की आदतों और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। गरीबी एक प्रमुख कारक है, जो पोषणयुक्त खाद्य पदार्थों और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को सीमित करती है। सांस्कृतिक विश्वास और प्रथाएँ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं; उदाहरण के लिए, कुछ समुदायों में विशेष खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे आहार में असंतुलन पैदा होता है। लिंग भूमिकाएँ भी खाद्य वितरण को प्रभावित कर सकती हैं, अक्सर महिलाओं और बच्चों को कम पोषण मिलते हैं। इसके अलावा, शिक्षा स्तर पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को प्रभावित करता है, जिससे कुपोषण का जोखिम बढ़ता है।
See lessहिन्दू विकास दर' क्या है? यह अवधारणा किसने दी है? [उत्तर सीमाः 20 शब्द] [UKPSC 2012]
'हिन्दू विकास दर' धीमी आर्थिक विकास दर को कहा जाता है। यह अवधारणा भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण द्वारा दी गई थी।
‘हिन्दू विकास दर’ धीमी आर्थिक विकास दर को कहा जाता है।
See lessयह अवधारणा भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण द्वारा दी गई थी।
निम्नलिखित में से किसी एक विषय का चयन करते हुए हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में निबंध लिखिए : [उत्तर सीमा: 700 शब्द, अंक: 75] [UKPSC 2016]
भारत की विदेश नीति का वर्तमान परिदृश्य भारत की विदेश नीति के बदलते आयाम 21वीं सदी में विशेष महत्व रखते हैं। जैसे-जैसे वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है, भारत ने भी अपनी विदेश नीति में कई बदलाव किए हैं, ताकि वह एक मजबूत और विश्वसनीय शक्ति के रूप में उभर सके। भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धांत शांति, सहयोग,Read more
भारत की विदेश नीति का वर्तमान परिदृश्य
भारत की विदेश नीति के बदलते आयाम 21वीं सदी में विशेष महत्व रखते हैं। जैसे-जैसे वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है, भारत ने भी अपनी विदेश नीति में कई बदलाव किए हैं, ताकि वह एक मजबूत और विश्वसनीय शक्ति के रूप में उभर सके। भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धांत शांति, सहयोग, और समानता पर आधारित है। इसके साथ ही, भारत ने अपनी सॉफ्ट पावर और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, जिससे उसकी वैश्विक छवि और साख में सुधार हुआ है।
विदेश नीति के प्रमुख सिद्धांत
भारत की विदेश नीति मुख्यतः गुटनिरपेक्षता (Non-alignment), वैश्विक शांति (Global peace), और आर्थिक विकास पर आधारित रही है। आज के समय में, भारत अपने रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए प्रमुख देशों के साथ साझेदारी और सहयोग पर बल दे रहा है।
आर्थिक सहयोग और व्यापार
भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण घटक व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना है। भारत ने हाल के वर्षों में रूस, अमेरिका, जापान, और आसियान देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाया है। उदाहरणस्वरूप, भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ा है, और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार $100 बिलियन को पार कर चुका है। साथ ही, भारत ने चीन के साथ भी संतुलित व्यापारिक संबंध स्थापित करने की कोशिश की है, हालांकि कुछ चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं।
क्षेत्रीय कूटनीति
भारत अपनी पड़ोसी नीतियों में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव कर रहा है। नमामि गंगे और सागरमाला योजना जैसी परियोजनाओं के माध्यम से भारत ने अपने पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, नेपाल, और श्रीलंका के साथ मजबूत संबंध बनाए हैं। साथ ही, भारत-चीन सीमा विवाद और भारत-पाकिस्तान संबंधों में कूटनीति की अहम भूमिका रही है। हाल ही में गलवान घाटी संघर्ष के बाद, भारत ने अपनी सीमा सुरक्षा को और मजबूत किया है, जबकि कूटनीति के माध्यम से शांति स्थापना पर जोर दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका
भारत ने संयुक्त राष्ट्र, G20, ब्रिक्स, और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी भागीदारी को बढ़ाया है। जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य संकट जैसे मुद्दों पर भारत की सक्रिय भागीदारी ने उसकी वैश्विक स्थिति को और सशक्त बनाया है। भारत ने COP26 सम्मेलन में 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है, जिससे उसकी जलवायु नेतृत्व की छवि और भी मजबूत हुई है।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि, भारत की विदेश नीति में कई चुनौतियाँ भी हैं। चीन का बढ़ता प्रभाव, पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंध, और अफगानिस्तान में अस्थिरता भारत के लिए मुख्य चुनौतियाँ बनी हुई हैं। भारत ने हाल ही में क्वाड समूह में शामिल होकर चीन के बढ़ते प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके अलावा, भारत ने अपने सैन्य सहयोग को भी बढ़ाया है और अमेरिका और फ्रांस के साथ रक्षा संबंध मजबूत किए हैं।
सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति
भारत की विदेश नीति में सॉफ्ट पावर का भी महत्वपूर्ण योगदान है। योग, आयुर्वेद, और भारतीय सिनेमा के माध्यम से भारत ने दुनिया भर में अपने सांस्कृतिक प्रभाव को बढ़ाया है। विदेश मंत्रालय के माध्यम से “नमस्ते इंडिया” जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिससे अन्य देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंध और मजबूत हो रहे हैं।
निष्कर्ष
See lessभारत की वर्तमान विदेश नीति एक संतुलन साधने का प्रयास कर रही है, जहाँ वह अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में उभर रहा है। चीन और अमेरिका जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा और सहयोग की स्थिति में रहते हुए, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बरकरार रखा है। भारतीय विदेश नीति का वैश्विक शांति, आर्थिक विकास, और सार्वजनिक कूटनीति पर आधारित यह दृष्टिकोण आने वाले वर्षों में और भी प्रभावी सिद्ध हो सकता है।
निम्नलिखित में से किसी एक विषय का चयन करते हुए हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में निबंध लिखिए: [उत्तर सीमा: 500 शब्द, अंक: 55] [UKPSC 2016]
Essay: Social Status of Women in Uttarakhand In the picturesque state of Uttarakhand, the social status of women has been a subject of both tradition and transition. Historically, Uttarakhand has been known for its egalitarian social structure where women have played pivotal roles in families and coRead more
Essay: Social Status of Women in Uttarakhand
In the picturesque state of Uttarakhand, the social status of women has been a subject of both tradition and transition. Historically, Uttarakhand has been known for its egalitarian social structure where women have played pivotal roles in families and communities. However, contemporary challenges have brought to light the nuances of their social standing.
Traditionally, women in Uttarakhand have held positions of respect and authority in households. Their contribution to agriculture, animal husbandry, and household management has been invaluable. The concept of ‘Devbhoomi’ resonates with the idea of women as nurturers and caretakers of the land.
In recent times, there have been significant strides towards improving the social status of women in Uttarakhand. Education has emerged as a powerful tool for their empowerment. Girls are now actively pursuing higher education and challenging traditional gender roles. This shift is evident in the increasing number of women in government positions, NGOs, and other spheres of influence.
Despite these positive changes, challenges persist. Issues such as gender-based violence, unequal access to resources, and discriminatory social norms continue to hinder the full realization of women’s potential in Uttarakhand. The hilly terrain and lack of adequate infrastructure also pose challenges to women’s mobility and access to services.
Efforts are being made to address these challenges through legislation and social initiatives. The state government and various organizations are working towards gender equality through awareness campaigns, skill development programs, and support services for women.
Recent examples of women breaking barriers in Uttarakhand include individuals like Kalpana Bisht, a mountaineer who conquered Everest, and Sudha Painuli, a renowned writer who has highlighted women’s issues through her works.
In conclusion, while Uttarakhand celebrates its natural beauty and rich cultural heritage, the true essence of ‘Devbhoomi’ lies in ensuring equality and empowerment for all, including its women. The journey towards achieving a more equitable and inclusive society for women in Uttarakhand is ongoing, with progress being made through a combination of awareness, education, and policy interventions.
See less(i) 'अनूढ़ा' का उपयुक्त पर्यायवाची शब्द है युवती, प्रौढ़ा, कुमारी (ii) द्विज का पर्याय नहीं है दाँत, पक्षी, याज्ञिक [उत्तर सीमा: 20 शब्द] [UKPSC 2016]
(i) 'अनूढ़ा' का उपयुक्त पर्यायवाची शब्द है 'युवती'। आधुनिक समय में, महिलाओं का सशक्तिकरण एक गंभीर विषय बन गया है। निर्धारित स्थितियों में भी, युवा महिलाएं समाज में अपनी जगह बनाने में सफल रही हैं। नई विचारधाराएं और तंत्रिकाएँ इस दिशा में सहायक सिद्ध हो रही हैं। (ii) द्विज का पर्याय नहीं है 'दाँत'। द्Read more
(i) ‘अनूढ़ा’ का उपयुक्त पर्यायवाची शब्द है ‘युवती’। आधुनिक समय में, महिलाओं का सशक्तिकरण एक गंभीर विषय बन गया है। निर्धारित स्थितियों में भी, युवा महिलाएं समाज में अपनी जगह बनाने में सफल रही हैं। नई विचारधाराएं और तंत्रिकाएँ इस दिशा में सहायक सिद्ध हो रही हैं।
(ii) द्विज का पर्याय नहीं है ‘दाँत’। द्विज शब्द का अर्थ होता है जो दो जन्मों वाला हो। यह पद संस्कृत धर्मशास्त्र में प्रयोग होता है और जाति से सम्बंधित है। अतः, दाँत जैसे शब्द इसके पर्याय नहीं हो सकते।
See less'हिन्दी भाषा का कंप्यूटरीकरण' विषय पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिये। [उत्तर सीमा: 250 शब्द, अंक: 20] [UKPSC 2016]
हिन्दी भाषा का कंप्यूटरीकरण परिचय: हिन्दी भाषा का कंप्यूटरीकरण आधुनिक युग में एक महत्वपूर्ण विषय है। कंप्यूटर और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ, हिन्दी को डिजिटल माध्यमों में समृद्ध और सुलभ बनाने की आवश्यकता भी बढ़ गई है। यह प्रक्रिया हिन्दी भाषा को तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदानRead more
हिन्दी भाषा का कंप्यूटरीकरण
परिचय:
हिन्दी भाषा का कंप्यूटरीकरण आधुनिक युग में एक महत्वपूर्ण विषय है। कंप्यूटर और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ, हिन्दी को डिजिटल माध्यमों में समृद्ध और सुलभ बनाने की आवश्यकता भी बढ़ गई है। यह प्रक्रिया हिन्दी भाषा को तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बनाती है।
कंप्यूटरीकरण की आवश्यकता:
हिन्दी भाषा का कंप्यूटरीकरण इसलिए आवश्यक है क्योंकि तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने के लिए हिन्दी भाषी लोगों को भी समान अवसर मिलना चाहिए। भारत में बड़ी संख्या में हिन्दी भाषी लोग हैं और उनके लिए सरकारी और निजी सेवाओं का उपयोग हिन्दी में करना सरल होना चाहिए। उदाहरण के लिए, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत, सरकार ने कई ई-गवर्नेंस प्लेटफार्मों को हिन्दी में उपलब्ध कराया है ताकि अधिकतम लोग इसका लाभ उठा सकें।
प्रगति के उदाहरण:
आजकल कई सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप्स में हिन्दी में कार्य करने की सुविधा मिलती है। गूगल ट्रांसलेट, गूगल इनपुट टूल्स जैसी तकनीकों ने हिन्दी टाइपिंग और अनुवाद को आसान बना दिया है। इसके अलावा, यूनिकोड के माध्यम से हिन्दी फॉन्ट्स का मानकीकरण हुआ, जिससे हिन्दी को डिजिटल माध्यम में आसानी से प्रयोग किया जा सकता है।
चुनौतियाँ:
हालांकि हिन्दी के कंप्यूटरीकरण में प्रगति हुई है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। तकनीकी शब्दों का हिन्दी में अनुवाद और अधिक प्रभावी सॉफ्टवेयर विकसित करने की आवश्यकता है। हिन्दी भाषा के लिए विशेषज्ञता की कमी भी एक चुनौती है।
निष्कर्ष:
See lessहिन्दी भाषा का कंप्यूटरीकरण न केवल भाषा के संरक्षण में बल्कि इसके विकास में भी सहायक है। हिन्दी को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने से इसका व्यापक प्रसार होगा और हिन्दी भाषी लोग डिजिटल प्लेटफार्मों का अधिकतम लाभ उठा सकेंगे।
अधिसूचना किसे कहते हैं? अधिसूचना का एक प्रारूप बनाएँ, जिसमें अवकाश के बाद किसी अधिकारी के पदभार ग्रहण करने का उल्लेख हो। [उत्तर सीमा: 250 शब्द, अंक: 20] [UKPSC 2016]
अधिसूचना का अर्थ अधिसूचना (Notification) एक आधिकारिक सूचना होती है, जिसे सरकार या सरकारी विभाग किसी महत्वपूर्ण जानकारी को जनता या संबद्ध व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए जारी करता है। इसमें प्रशासनिक, कानूनी, या नीतिगत निर्णयों की जानकारी दी जाती है। अधिसूचना को अक्सर सरकारी गजट या अन्य आधिकारिकRead more
अधिसूचना का अर्थ
अधिसूचना (Notification) एक आधिकारिक सूचना होती है, जिसे सरकार या सरकारी विभाग किसी महत्वपूर्ण जानकारी को जनता या संबद्ध व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए जारी करता है। इसमें प्रशासनिक, कानूनी, या नीतिगत निर्णयों की जानकारी दी जाती है। अधिसूचना को अक्सर सरकारी गजट या अन्य आधिकारिक माध्यमों में प्रकाशित किया जाता है ताकि उसकी जानकारी सभी संबंधित पक्षों तक पहुंच सके।
अधिसूचना का प्रारूप
नीचे एक अधिसूचना का प्रारूप दिया गया है, जिसमें किसी अधिकारी द्वारा अवकाश के बाद पुनः पदभार ग्रहण करने का उल्लेख है:
कार्यालय प्रमुख अभियंता (लोक निर्माण विभाग)
उत्तराखंड सरकार
दिनांक: 01 अक्टूबर 2024
अधिसूचना
संदर्भ: प्रमुख अभियंता श्रीमान मनोज कुमार द्वारा लंबी अवधि के अवकाश से वापसी और पदभार ग्रहण।
यह सूचित किया जाता है कि प्रमुख अभियंता श्री मनोज कुमार, जो दिनांक 01 सितंबर 2024 से 30 सितंबर 2024 तक स्वीकृत अवकाश पर थे, ने अपने अवकाश की अवधि समाप्त कर दी है और दिनांक 01 अक्टूबर 2024 को पूर्वाह्न 10:00 बजे पुनः अपने पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
संबंधित विभागों को निर्देशित किया जाता है कि इस अधिसूचना के तहत सभी आवश्यक कार्यवाही और औपचारिकताएँ शीघ्र पूरी की जाएं।
द्वारा आदेश
प्रमुख सचिव
लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड
उपसंहार
See lessअधिसूचना एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जिसका उद्देश्य किसी आधिकारिक जानकारी को कानूनी मान्यता के साथ सार्वजनिक करना होता है।
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए: [उत्तर सीमा: 125 शब्द, अंक: 15] [UKPSC 2016]
(i) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक "संस्कृति और सभ्यता: राष्ट्र की पहचान और प्रगति" (ii) गद्यांश का भावार्थ गद्यांश में यह कहा गया है कि प्रत्येक राष्ट्र की एक सांस्कृतिक धरोहर होती है, जो उसकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मानवता सदियों से अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करती आ रही है, और यRead more
(i) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक
“संस्कृति और सभ्यता: राष्ट्र की पहचान और प्रगति”
(ii) गद्यांश का भावार्थ
गद्यांश में यह कहा गया है कि प्रत्येक राष्ट्र की एक सांस्कृतिक धरोहर होती है, जो उसकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मानवता सदियों से अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करती आ रही है, और यह प्रयास उसकी सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित है। जबकि संस्कृति और सभ्यता को एक ही समझा जाता है, दोनों में महत्वपूर्ण अंतर है। संस्कृति जीवन को उन्नत बनाने के साधनों का नाम है, जबकि सभ्यता उन साधनों से विकसित जीवन प्रणाली है। किसी राष्ट्र की सभ्यता की मूल्यांकन उसके सांस्कृतिक आधार पर किया जा सकता है। अंत में, यह भी बताया गया है कि संस्कृति भौगोलिक परिस्थितियों से प्रभावित होती है।
(iii) रेखांकित अंशों की व्याख्या
गद्यांश में कहा गया है कि “संस्कृति मानव जीवन को श्रेष्ठ एवं उन्नत बनाने की साधनाओं का नाम है”, जिसका अर्थ है कि संस्कृति वे मूल्य और प्रथाएँ हैं जो मानव जीवन को बेहतर बनाती हैं। इसके विपरीत, “सभ्यता उन साधनाओं के फलस्वरूप उपलब्ध हुई जीवन प्रणाली का नाम है” से यह स्पष्ट होता है कि सभ्यता संस्कृति के परिणामस्वरूप विकसित होती है। उदाहरण के लिए, भारत की सांस्कृतिक धरोहर, जैसे योग और आयुर्वेद, न केवल उसके जीवन को उन्नत बनाती है, बल्कि भारतीय सभ्यता को भी अद्वितीय बनाती है। इसके अलावा, भौगोलिक परिस्थितियों का प्रभाव, जैसे जलवायु और भूगोल, संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे कि, हिमालय क्षेत्र की संस्कृति में ध्यान और साधना का महत्व अधिक है, जबकि शुष्क क्षेत्र की संस्कृति में जल संरक्षण के उपायों का महत्व है।
See lessगद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिएः [उत्तर सीमा: 125 शब्द] [UKPSC 2016]
1. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक "वेद: भारतीय ज्ञान और चिंतन का आधार" 2. गद्यांश का संक्षेपण गद्यांश में वेदों को भारतीय ज्ञान, चिंतन और मनन का स्रोत बताया गया है। वेदों में ईश्वरीय चिंतन का अपौरुषेय रूप विद्यमान है, जिसमें प्रकृति की पूजा, मानवतावादी जीवन मूल्यों की व्याख्या और समस्त प्राणी के अभ्युदयRead more
1. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक
“वेद: भारतीय ज्ञान और चिंतन का आधार”
2. गद्यांश का संक्षेपण
गद्यांश में वेदों को भारतीय ज्ञान, चिंतन और मनन का स्रोत बताया गया है। वेदों में ईश्वरीय चिंतन का अपौरुषेय रूप विद्यमान है, जिसमें प्रकृति की पूजा, मानवतावादी जीवन मूल्यों की व्याख्या और समस्त प्राणी के अभ्युदय की ऋचाएँ शामिल हैं। वेद लोक कल्याण और लोक हित के लिए समर्पित हैं। इसमें सर्वमंगल, सर्वकल्याण, और सर्व सुंदरता की कामना की गई है। वेद की मान्यता के अनुसार, सभी मनुष्य एक ही ईश्वर के पुत्र हैं और भारत का संपूर्ण चिंतन इसी वेद से उत्पन्न होता है।
3. रेखांकित अंश की व्याख्या
गद्यांश का यह अंश यह दर्शाता है कि वेदों में ईश्वर का दिव्य रूप सभी प्राणियों में विद्यमान है। “सभी ईश्वर पुत्र हैं” वाक्य का अर्थ है कि हर व्यक्ति में ईश्वर का अंश है, जो सभी के बीच एकता का संदेश देता है। यह विचार समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। वर्तमान में, जब विभाजन और संघर्ष का माहौल है, तब वेदों का यह संदेश अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। हमें इस विचार को अपनाकर, सभी के लिए प्रेम, समर्पण और सेवा की भावना विकसित करनी चाहिए। इस प्रकार, वेद हमें मानवता के प्रति उत्तरदायित्व का अनुभव कराते हैं, जो कि समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।
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