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सोवियत संघ के विघटन के बाद नवीनतम स्वतंत्र देशों का गठन कैसे हुआ? इन देशों की राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का मूल्यांकन करें।
सोवियत संघ के विघटन के बाद नवीनतम स्वतंत्र देशों का गठन 1. सोवियत संघ का विघटन और स्वतंत्र देशों का गठन: 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद, 15 स्वतंत्र देशों का गठन हुआ। इनमें प्रमुख थे रूस, यूक्रेन, बेलारूस, कजाखस्तान, उज़्बेकिस्तान, अज़रबैजान, और अन्य मध्य एशियाई एवं यूरोपीय राज्य। यह स्वतंत्रताRead more
सोवियत संघ के विघटन के बाद नवीनतम स्वतंत्र देशों का गठन
1. सोवियत संघ का विघटन और स्वतंत्र देशों का गठन:
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद, 15 स्वतंत्र देशों का गठन हुआ। इनमें प्रमुख थे रूस, यूक्रेन, बेलारूस, कजाखस्तान, उज़्बेकिस्तान, अज़रबैजान, और अन्य मध्य एशियाई एवं यूरोपीय राज्य। यह स्वतंत्रता सोवियत संघ की केंद्रीय सत्ता के कमजोर होने और विभिन्न गणराज्यों में स्वतंत्रता आंदोलनों के तेज होने के कारण संभव हुई।
2. स्वतंत्र देशों के गठन की प्रक्रिया:
सोवियत संघ के विघटन के दौरान, गणराज्यों में राष्ट्रीयता की भावना बढ़ी। बाल्टिक राज्य (लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया) ने पहले स्वतंत्रता की घोषणा की, इसके बाद अन्य गणराज्यों ने भी सोवियत संघ से अलग होने की मांग की। अंततः, 1991 में सोवियत संघ के औपचारिक विघटन के साथ ये देश स्वतंत्र राष्ट्र बने।
स्वतंत्र देशों की राजनीतिक चुनौतियाँ:
1. राजनीतिक अस्थिरता और संक्रमण:
सोवियत संघ के विघटन के बाद, अधिकांश देशों ने कम्युनिस्ट शासन से लोकतांत्रिक प्रणाली की ओर परिवर्तन किया। यह परिवर्तन अस्थिरता, सत्ता संघर्ष, और लोकतांत्रिक संस्थाओं की कमजोरियों के कारण चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।
उदाहरण: यूक्रेन में 2004 का ऑरेंज रिवॉल्यूशन और 2014 का मैदान क्रांति राजनीतिक अस्थिरता के प्रतीक हैं।
2. राष्ट्रीयता और जातीय संघर्ष:
विभिन्न गणराज्यों में सोवियत काल के बाद जातीय संघर्ष और अलगाववादी आंदोलन उभरे। उदाहरण के तौर पर, अर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच नागोर्नो-कराबाख विवाद में संघर्ष देखने को मिला।
इसी प्रकार, रूस और यूक्रेन के बीच क्रीमिया संकट (2014) और उसके बाद के संघर्ष ने भी राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित किया।
स्वतंत्र देशों की आर्थिक चुनौतियाँ:
1. केंद्रीकृत अर्थव्यवस्था से बाजार अर्थव्यवस्था में परिवर्तन:
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था केंद्रीकृत योजना और सरकारी नियंत्रण पर आधारित थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इन देशों को बाजार आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करना पड़ा। इससे कई देशों में आर्थिक अस्थिरता, मुद्रास्फीति, और बेरोजगारी की समस्याएँ बढ़ीं।
उदाहरण: रूस का आर्थिक संकट (1998), जब रूस को अपने कर्जों का भुगतान करने में समस्या हुई और देश की मुद्रा रूबल की कीमत गिर गई।
2. भ्रष्टाचार और कुशासन:
अर्थव्यवस्था में सुधार के प्रयासों के बावजूद, कई देशों को भ्रष्टाचार और कुशासन की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आर्थिक संसाधनों पर कुछ लोगों का प्रभुत्व स्थापित हुआ और अधिनायकवादी शासन का उदय हुआ।
उदाहरण: कजाखस्तान और तुर्कमेनिस्तान में अधिनायकवादी नेताओं ने सत्ता पर पकड़ मजबूत की और आर्थिक संसाधनों का केंद्रीकरण किया।
3. ऊर्जा संसाधनों पर निर्भरता:
कुछ देशों, विशेषकर रूस, कजाखस्तान, और अज़रबैजान ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए तेल और गैस के निर्यात पर निर्भरता बढ़ाई। हालांकि, वैश्विक तेल बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण उनकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा।
उदाहरण: रूस की अर्थव्यवस्था पर 2014 के तेल की कीमतों में गिरावट का गहरा असर हुआ।
दीर्घकालिक चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा:
1. क्षेत्रीय सुरक्षा और भू-राजनीति:
स्वतंत्र देशों के बीच क्षेत्रीय संघर्ष और बाहरी ताकतों, जैसे रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव, भविष्य की चुनौतियाँ बनी हुई हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध (2022) इसका ताजा उदाहरण है, जिसने इन देशों की सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाला है।
2. लोकतंत्र और मानवाधिकारों का भविष्य:
हालांकि कुछ देशों ने लोकतंत्र की दिशा में प्रगति की है, लेकिन कई जगहों पर अभी भी अधिनायकवाद और मानवाधिकारों का उल्लंघन चिंता का विषय है।
उदाहरण: बेलारूस में 2020 के चुनावों के बाद अलेक्जेंडर लुकाशेंको की सरकार के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन सत्ता में बदलाव नहीं आया।
निष्कर्ष:
See lessसोवियत संघ के विघटन के बाद बने स्वतंत्र देशों ने कई राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना किया है। हालांकि कुछ देशों ने स्थिरता और विकास की दिशा में कदम उठाए हैं, फिर भी राष्ट्रीयता, सत्ता संघर्ष, और अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीतिक दबाव इन देशों के लिए दीर्घकालिक चुनौतियाँ बने हुए हैं।
उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर की मुख्य विशेषताएं क्या हैं ? (125 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर की मुख्य विशेषताएं परिचय उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर (UPDIC) की शुरुआत 2018 में हुई थी, जिसका उद्देश्य देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना और उत्तर प्रदेश को एक रक्षा उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करना है। यह "मेक इन इंडिया" पहल के तहत किया गया एक महत्Read more
उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर की मुख्य विशेषताएं
परिचय
उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर (UPDIC) की शुरुआत 2018 में हुई थी, जिसका उद्देश्य देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना और उत्तर प्रदेश को एक रक्षा उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करना है। यह “मेक इन इंडिया” पहल के तहत किया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
मुख्य विशेषताएं
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर राज्य की औद्योगिक और आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा है।
See lessWhat are the key features of the Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor ? (125 Words) [UPPSC 2023]
Key Features of the Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor Introduction The Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor (UPDIC) was launched in 2018 to promote indigenous defence production and attract investments in the defence sector. It aligns with the "Make in India" initiative and aims to tranRead more
Key Features of the Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor
Introduction
The Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor (UPDIC) was launched in 2018 to promote indigenous defence production and attract investments in the defence sector. It aligns with the “Make in India” initiative and aims to transform Uttar Pradesh into a defence manufacturing hub.
Key Features
Conclusion
The Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor is set to become a major contributor to India’s defence production capabilities, promoting economic growth and employment in the state.
See lessउत्तर प्रदेश की कृषि निर्यात नीति 2019, राज्य में कृषि निर्यात गतिविधियों को कैसे मजबूती प्रदान करती है ? (125 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश की कृषि निर्यात नीति 2019: कृषि निर्यात को सुदृढ़ करने में योगदान परिचय उत्तर प्रदेश की कृषि निर्यात नीति 2019 का उद्देश्य राज्य की कृषि उत्पादकता को वैश्विक स्तर पर निर्यात के लिए तैयार करना और किसानों की आय को बढ़ाना है। यह नीति कृषि उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन में सुधार के साथ निर्यRead more
उत्तर प्रदेश की कृषि निर्यात नीति 2019: कृषि निर्यात को सुदृढ़ करने में योगदान
परिचय
उत्तर प्रदेश की कृषि निर्यात नीति 2019 का उद्देश्य राज्य की कृषि उत्पादकता को वैश्विक स्तर पर निर्यात के लिए तैयार करना और किसानों की आय को बढ़ाना है। यह नीति कृषि उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन में सुधार के साथ निर्यात गतिविधियों को प्रोत्साहित करती है।
मुख्य बिंदु
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश की कृषि निर्यात नीति 2019 ने बुनियादी ढांचे और विपणन सुविधाओं के विकास से कृषि निर्यात को मजबूत किया है, जिससे राज्य की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ी है।
See lessउत्तर प्रदेश स्वास्थ्य नीति 2018 के संदर्भ में चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में राज्य सरकार के प्रयासों, पहलों और नीति निर्देशों का परीक्षण कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य नीति 2018 के संदर्भ में चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा में राज्य सरकार के प्रयासों, पहलों और नीति निर्देशों का परीक्षण परिचय उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य नीति 2018 का उद्देश्य राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना, स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करना और सभी नागरिकों को सस्ती स्वास्थ्य सुRead more
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य नीति 2018 के संदर्भ में चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा में राज्य सरकार के प्रयासों, पहलों और नीति निर्देशों का परीक्षण
परिचय
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य नीति 2018 का उद्देश्य राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना, स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करना और सभी नागरिकों को सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है। यह नीति विशेष रूप से वंचित और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
नीति के प्रमुख उद्देश्य
मुख्य पहल और प्रयास
नीति निर्देश
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य नीति 2018 राज्य सरकार की स्वास्थ्य ढांचे में सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सार्वजनिक-निजी सहयोग के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह नीति सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्राप्त करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
See lessExamine state government's efforts, initiatives and policy directions in the medical and healthcare sphere with reference to Uttar Pradesh Health Policy 2018. (200 Words) [UPPSC 2023]
State Government's Efforts, Initiatives, and Policy Directions in Medical and Healthcare: Uttar Pradesh Health Policy 2018 Introduction The Uttar Pradesh Health Policy 2018 was introduced with the aim of improving healthcare services, infrastructure, and accessibility in the state. With a focus on pRead more
State Government’s Efforts, Initiatives, and Policy Directions in Medical and Healthcare: Uttar Pradesh Health Policy 2018
Introduction
The Uttar Pradesh Health Policy 2018 was introduced with the aim of improving healthcare services, infrastructure, and accessibility in the state. With a focus on providing equitable healthcare to all, the policy outlines several strategic initiatives and reforms.
Key Objectives of the Policy
Major Initiatives and Efforts
Policy Directions
Conclusion
The Uttar Pradesh Health Policy 2018 reflects the state’s commitment to improving healthcare infrastructure, expanding healthcare coverage, and achieving better health outcomes through innovative approaches and public-private collaboration. These efforts are crucial for transforming the state’s healthcare landscape and achieving the goal of universal health coverage.
See lessउत्तर प्रदेश में स्थापित प्रथम आयुष विश्वविद्यालय के स्वरूप और उद्देश्यों की विवेचना कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश में स्थापित प्रथम आयुष विश्वविद्यालय के स्वरूप और उद्देश्यों की विवेचना परिचय उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय 2021 में गोरखपुर में स्थापित किया गया, जिसका नाम महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, आयुष विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, औRead more
उत्तर प्रदेश में स्थापित प्रथम आयुष विश्वविद्यालय के स्वरूप और उद्देश्यों की विवेचना
परिचय
उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय 2021 में गोरखपुर में स्थापित किया गया, जिसका नाम महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, आयुष विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी (AYUSH) चिकित्सा प्रणालियों के शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
आयुष विश्वविद्यालय का स्वरूप
आयुष विश्वविद्यालय के उद्देश्य
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना राज्य की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देने, अनुसंधान को प्रोत्साहन देने और आधुनिक चिकित्सा के साथ समन्वय करके स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
See lessDiscuss the nature and objectives of the first Ayush University established in Uttar Pradesh. (200 Words) [UPPSC 2023]
Nature and Objectives of the First Ayush University in Uttar Pradesh Introduction Uttar Pradesh established its first Ayush University in 2021, named Maharishi University of Information Technology, Ayush University, in Gorakhpur. This university is dedicated to promoting education and research in AyRead more
Nature and Objectives of the First Ayush University in Uttar Pradesh
Introduction
Uttar Pradesh established its first Ayush University in 2021, named Maharishi University of Information Technology, Ayush University, in Gorakhpur. This university is dedicated to promoting education and research in Ayurveda, Yoga, Unani, Siddha, and Homeopathy (AYUSH), aligning with India’s broader emphasis on traditional medicine.
Nature of Ayush University
Objectives of Ayush University
Conclusion
The establishment of Ayush University in Uttar Pradesh reflects the state’s commitment to promoting traditional medicine, advancing research, and contributing to India’s health sector by integrating ancient wisdom with modern healthcare systems.
See lessUttar Pradesh has an important place in the propagation of Buddhism. Explain. (200 Words) [UPPSC 2023]
Uttar Pradesh's Role in the Propagation of Buddhism Introduction Uttar Pradesh holds a significant place in the history and propagation of Buddhism, as several key events of Lord Buddha's life and teachings occurred in this region. It remains an important center for Buddhist pilgrims and scholars. BRead more
Uttar Pradesh’s Role in the Propagation of Buddhism
Introduction
Uttar Pradesh holds a significant place in the history and propagation of Buddhism, as several key events of Lord Buddha’s life and teachings occurred in this region. It remains an important center for Buddhist pilgrims and scholars.
Buddhist Sites in Uttar Pradesh
Modern Contributions
Conclusion
Uttar Pradesh’s historical and religious connection to Buddhism remains vital, as key events of Buddha’s life unfolded here. Through heritage preservation and modern infrastructure, the state continues to play an essential role in the global propagation of Buddhism.
See less1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के योद्धाओं के योगदान पर प्रकाश डालिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के योद्धाओं के योगदान परिचय 1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। उत्तर प्रदेश, जो उस समय संयुक्त प्रांत कहलाता था, इस संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहां के योद्धाओं और आम जनता ने इस संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निRead more
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के योद्धाओं के योगदान
परिचय
1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। उत्तर प्रदेश, जो उस समय संयुक्त प्रांत कहलाता था, इस संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहां के योद्धाओं और आम जनता ने इस संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख योद्धाओं का योगदान
जन सामान्य की भागीदारी
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश के योद्धाओं और आम जनता ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके साहस और बलिदान ने संग्राम को एक विशाल और ऐतिहासिक घटना में परिवर्तित कर दिया, जिससे स्वतंत्रता की लड़ाई को नई दिशा मिली।
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