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“महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत क्या होता है? इस सिद्धांत का समर्थन करने वाले साक्ष्यों की चर्चा कीजिए।” (200 शब्द)
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory) का प्रस्ताव अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में किया था। इस सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी के महाद्वीप पहले एकजुट होकर एक विशाल महाद्वीप, 'पैंजिया', के रूप में थे। समय के साथ यह पैंजिया टूटकर अलग-अलग महाद्वीपों में बंट गया, और येRead more
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत:
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory) का प्रस्ताव अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में किया था। इस सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी के महाद्वीप पहले एकजुट होकर एक विशाल महाद्वीप, ‘पैंजिया’, के रूप में थे। समय के साथ यह पैंजिया टूटकर अलग-अलग महाद्वीपों में बंट गया, और ये महाद्वीप आज भी धीरे-धीरे स्थानांतरित हो रहे हैं।
साक्ष्य:
इन साक्ष्यों ने महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत को मजबूत किया और पृथ्वी की संरचना के बारे में नए विचार प्रस्तुत किए।
See lessअत्यधिक और अविवेकपूर्ण रेत खनन की पारिस्थितिकीय लागत इसके आर्थिक लाभों से कहीं अधिक होती है। इस संदर्भ में, संधारणीय रेत खनन के महत्व पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
अत्यधिक रेत खनन से अल्पकालिक आर्थिक लाभ मिलता है, लेकिन इसकी पर्यावरणीय और सामाजिक लागत अत्यधिक होती है। पर्यावरणीय प्रभाव: जल संकट: खनन से भूजल स्तर गिरता है। राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में यह स्थिति विकराल होती जा रही है। जैव विविधता का नुकसान: उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की नदियों में खनन नेRead more
अत्यधिक रेत खनन से अल्पकालिक आर्थिक लाभ मिलता है, लेकिन इसकी पर्यावरणीय और सामाजिक लागत अत्यधिक होती है।
पर्यावरणीय प्रभाव:
समाधान और उदाहरण:
अतः रेत खनन में सतत उपाय अपनाने से ही पर्यावरण और आर्थिक संतुलन सुनिश्चित किया जा सकता है।
See lessसॉफ्टवेयर से आप क्या समझते हैं? देश के आर्थिक विकास में कैसे सॉफ्टवेयर उद्योग रीढ़ की हड्डी के समान है. समझाएँ। कंप्यूटर की भाषाओं के विकास पर अपना मत स्पष्ट करें तथा समझाएँ कि हमारे देश का इस क्षेत्र में क्या योगदान है? [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
सॉफ्टवेयर उद्योग और इसके योगदान सॉफ्टवेयर एक कंप्यूटर प्रोग्राम होता है, जो हार्डवेयर को निर्देश देकर उसे कार्य करने के लिए उपयोग करता है। यह दो प्रमुख प्रकारों में बंटा होता है: एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर। उदाहरण के लिए, Microsoft Windows (सिस्टम सॉफ्टवेयर) और MS Word (एप्लिकेशन सॉफ्टवRead more
सॉफ्टवेयर उद्योग और इसके योगदान
सॉफ्टवेयर एक कंप्यूटर प्रोग्राम होता है, जो हार्डवेयर को निर्देश देकर उसे कार्य करने के लिए उपयोग करता है। यह दो प्रमुख प्रकारों में बंटा होता है: एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर। उदाहरण के लिए, Microsoft Windows (सिस्टम सॉफ्टवेयर) और MS Word (एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर) प्रमुख हैं।
सॉफ्टवेयर उद्योग का आर्थिक विकास में योगदान
सॉफ्टवेयर उद्योग भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी के समान है। यह उद्योग न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बना चुका है। भारत की आईटी सेवा निर्यात 2023-24 में 200 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
कंप्यूटर भाषाओं का विकास
कंप्यूटर भाषाएँ, जैसे C, Java, और Python, सॉफ्टवेयर विकास के लिए आवश्यक हैं। भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग ने इन भाषाओं के उपयोग और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय इंजीनियरों ने इन भाषाओं का उपयोग करके विश्व स्तर पर समाधान दिए हैं।
सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष
सकारात्मक पहलू:
नकारात्मक पहलू:
निष्कर्ष
सॉफ्टवेयर उद्योग भारत के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके योगदान से न केवल देश की अर्थव्यवस्था को गति मिली है, बल्कि इसने वैश्विक मानचित्र पर भारत को एक प्रमुख स्थान दिलवाया है।
See lessनाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति, हमारे देश के विकास में किस प्रकार से सहायक है. विस्तार से समझाएँ। नाभिकीय ऊर्जा किस प्रकार से देश की कुल ऊर्जा के उत्पादन के क्षेत्र में सहायक, चर्चा करें। नाभिकीय ऊर्जा के सकारात्मक एवं ऋणात्मक पक्ष को स्पष्ट करें। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
परिचय नाभिकीय ऊर्जा, ऊर्जा उत्पादन के एक प्रभावी और सुरक्षित साधन के रूप में उभर कर सामने आई है। यह हमारे देश के ऊर्जा संकट को कम करने, विकास दर को बढ़ाने और पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। देश के विकास में सहायक नाभिकीय ऊर्जा की प्रगति हमारे देश के लिए कई लाभकRead more
परिचय
नाभिकीय ऊर्जा, ऊर्जा उत्पादन के एक प्रभावी और सुरक्षित साधन के रूप में उभर कर सामने आई है। यह हमारे देश के ऊर्जा संकट को कम करने, विकास दर को बढ़ाने और पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
देश के विकास में सहायक
नाभिकीय ऊर्जा की प्रगति हमारे देश के लिए कई लाभकारी पहलुओं को प्रस्तुत करती है:
नाभिकीय ऊर्जा का योगदान
नाभिकीय ऊर्जा के सकारात्मक पक्ष
ऋणात्मक पक्ष
निष्कर्ष
See lessनाभिकीय ऊर्जा, भारत के ऊर्जा मिश्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, लेकिन इसके साथ सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभाव और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके बावजूद, अगर सही तरीके से इसका प्रबंधन किया जाए, तो यह देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
पंचायती राज संस्थानों (PRIs) को आपदाओं से निपटने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए, यह बताइए कि पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना इन चुनौतियों को दूर करने में किस प्रकार सहायक हो सकती है। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
पंचायती राज संस्थानों (PRIs) की आपदा प्रबंधन में चुनौतियाँ पंचायती राज संस्थानों (PRIs) को आपदा प्रबंधन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है: सीमित संसाधन और बजट: 2020 के COVID-19 लॉकडाउन और 2021 की बाढ़ में PRIs को राहत कार्यों के लिए बजट की कमी महसूस हुई। प्रशिक्षण का अभाव: स्थानीय प्रतिनिधियोंRead more
पंचायती राज संस्थानों (PRIs) की आपदा प्रबंधन में चुनौतियाँ
पंचायती राज संस्थानों (PRIs) को आपदा प्रबंधन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना का योगदान
पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना इन समस्याओं को दूर करने के लिए कई उपाय प्रदान करती है:
निष्कर्ष
यह योजना PRIs को आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन में सक्षम बनाती है और स्थानीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
See lessऔद्योगिक आपदाएं क्या होती हैं? इनके उदाहरणों के माध्यम से विस्तार से चर्चा कीजिए। साथ ही, औद्योगिक आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक संस्थागत ढांचे पर भी प्रकाश डालिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
औद्योगिक आपदाएं और उनके उदाहरण औद्योगिक आपदाएं वे घटनाएं हैं जो उद्योगों में खतरनाक रसायनों, गैसों या तकनीकी विफलता के कारण होती हैं, जिससे जान-माल और पर्यावरण को गंभीर क्षति होती है। उदाहरण: भोपाल गैस त्रासदी (1984): मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव, जिससे 15,000 से अधिक लोग मारे गए। विशाखापत्तनम गैसRead more
औद्योगिक आपदाएं और उनके उदाहरण
औद्योगिक आपदाएं वे घटनाएं हैं जो उद्योगों में खतरनाक रसायनों, गैसों या तकनीकी विफलता के कारण होती हैं, जिससे जान-माल और पर्यावरण को गंभीर क्षति होती है।
उदाहरण:
जोखिम कम करने के लिए आवश्यक संस्थागत ढांचा
संस्थागत ढांचे के सही उपयोग से औद्योगिक आपदाओं के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।
See less19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से भारतीय राष्ट्रवाद के विकास की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये। [64वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2018]
19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से भारतीय राष्ट्रवाद के विकास की आलोचनात्मक समीक्षा 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतीय राष्ट्रवाद ने एक नए मोड़ को लिया, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक-राजनीतिक बदलाव की दिशा तय की। ब्रिटिश उपनिवेशी शासन के विरोध में उभरा यह राष्ट्रवाद समय के साथ सामाजिक और सांसRead more
19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से भारतीय राष्ट्रवाद के विकास की आलोचनात्मक समीक्षा
19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतीय राष्ट्रवाद ने एक नए मोड़ को लिया, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक-राजनीतिक बदलाव की दिशा तय की। ब्रिटिश उपनिवेशी शासन के विरोध में उभरा यह राष्ट्रवाद समय के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलनों से जुड़ा और अंततः स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना। इस विकास को समझने के लिए हमें विभिन्न पहलुओं पर गौर करना होगा।
1. 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में राष्ट्रवाद का उदय
सामाजिक और सांस्कृतिक सुधार आंदोलन
संस्कृतिक पुनर्जागरण
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन (1885)
2. 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में राष्ट्रवाद के विभिन्न रूप
मध्यमवर्गीय राष्ट्रवाद
राजनीतिक और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
हिंदू धर्म और राष्ट्रीयता का मेल
3. आलोचनात्मक दृष्टिकोण
मध्यमवर्गीय राष्ट्रवाद का सीमित प्रभाव
ब्रिटिश शोषण के प्रति धीमी प्रतिक्रिया
सामाजिक असमानताएँ
4. 20वीं सदी में राष्ट्रवाद का उभार
निष्कर्ष
19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतीय राष्ट्रवाद ने सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों के माध्यम से जन्म लिया और धीरे-धीरे एक मजबूत राजनीतिक आंदोलन का रूप लिया। हालांकि इसमें कुछ सीमाएँ थीं, जैसे कि इसे शुरू में शहरी और मध्यमवर्गीय वर्ग द्वारा नियंत्रित किया गया और इसकी पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों तक कम थी। इसके बावजूद, यह राष्ट्रवाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक मजबूत आधार बना और अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
See lessग्लोबल वार्मिंग क्या है? ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले प्रभाव को कम करने के लिये किये जाने वाले प्रयासों में भारत का क्या योगदान है? "निकट भविष्य में पूरा विश्व, इस ग्रह के मानव के द्वारा की जाने वाली गलतियों के कारण, पानी में डूब जाएगा।" उक्त कथन पर अपने विचार स्पष्ट करें। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड, के बढ़ने से उत्पन्न होने वाली एक गंभीर समस्या है। इन गैसों का वायुमंडल में अधिक मात्रा में होना सूरज की गर्मी को पृथ्वी की सतह पर फंसा देता है, जिससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है। इसे ग्लोबल वRead more
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड, के बढ़ने से उत्पन्न होने वाली एक गंभीर समस्या है। इन गैसों का वायुमंडल में अधिक मात्रा में होना सूरज की गर्मी को पृथ्वी की सतह पर फंसा देता है, जिससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है। इसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव पृथ्वी के पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरे असर डालते हैं। इसके प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
भारत का योगदान ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में
भारत, एक विकासशील देश होने के बावजूद, ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है:
“निकट भविष्य में पूरा विश्व, इस ग्रह के मानव के द्वारा की जाने वाली गलतियों के कारण, पानी में डूब जाएगा।” उक्त कथन पर विचार
यह कथन ग्लोबल वार्मिंग के खतरों और उसके परिणामस्वरूप समुद्र स्तर में वृद्धि के बारे में एक गंभीर चेतावनी है। समुद्र स्तर का बढ़ना, विशेष रूप से ग्लेशियरों और आर्कटिक बर्फ के पिघलने के कारण, तटीय क्षेत्रों के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो कई तटीय शहर और द्वीप जलमग्न हो सकते हैं।
हालांकि, यह कुछ हद तक अतिरेक हो सकता है, लेकिन इसमें सच्चाई है कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो मानवता के लिए खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। यह कथन उस खतरे को उजागर करता है जो ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्पन्न हो सकता है।
निष्कर्ष
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, और इसका मुकाबला करने के लिए विश्वभर में सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। भारत का योगदान सकारात्मक रहा है, लेकिन हमें अभी भी और अधिक सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। यदि हम इस दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठाते, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरे बढ़ सकते हैं।
See lessसॉफ्टवेयर से आप क्या समझते हैं? देश के आर्थिक विकास में कैसे सॉफ्टवेयर उद्योग रीढ़ की हड्डी के समान है. समझाएँ। कंप्यूटर की भाषाओं के विकास पर अपना मत स्पष्ट करें तथा समझाएँ कि हमारे देश का इस क्षेत्र में क्या योगदान है? [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
सॉफ्टवेयर उस कोड, प्रोग्राम या अनुप्रयोग का संग्रह होता है, जो कंप्यूटर या अन्य डिजिटल उपकरणों को कार्य करने में मदद करता है। यह हार्डवेयर के साथ मिलकर काम करता है, लेकिन इसका कोई भौतिक रूप नहीं होता। सॉफ्टवेयर को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: सिस्टम सॉफ्टवेयर: यह कंप्यूटर के संचालन के लिए आवश्Read more
सॉफ्टवेयर उस कोड, प्रोग्राम या अनुप्रयोग का संग्रह होता है, जो कंप्यूटर या अन्य डिजिटल उपकरणों को कार्य करने में मदद करता है। यह हार्डवेयर के साथ मिलकर काम करता है, लेकिन इसका कोई भौतिक रूप नहीं होता। सॉफ्टवेयर को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
सॉफ्टवेयर उद्योग का आर्थिक विकास में योगदान
सॉफ्टवेयर उद्योग ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कई तरीकों से सशक्त किया है। यह उद्योग न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान भी देता है:
कंप्यूटर भाषाओं के विकास पर विचार
कंप्यूटर भाषाएँ वह तरीके हैं जिनसे हम कंप्यूटर से संवाद करते हैं। ये भाषाएँ प्रोग्राम लिखने के लिए उपयोग की जाती हैं, जो कंप्यूटर को निर्देश देती हैं। कुछ प्रमुख कंप्यूटर भाषाएँ हैं:
भारत ने इन भाषाओं में कई योगदान किए हैं, विशेष रूप से आधुनिक प्रोग्रामिंग भाषाओं के विकास में। इसके अलावा, भारतीय सॉफ़्टवेयर कंपनियों ने इन भाषाओं का उपयोग करके वैश्विक स्तर पर कई प्रकार के सॉफ़्टवेयर उत्पाद बनाए हैं।
भारत का सॉफ्टवेयर क्षेत्र में योगदान
निष्कर्ष
भारत का सॉफ़्टवेयर उद्योग न केवल देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत रीढ़ बन चुका है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। सॉफ्टवेयर उद्योग ने रोजगार, नवाचार, और निर्यात में उल्लेखनीय योगदान किया है, जिससे भारत की आर्थिक ताकत में वृद्धि हुई है। कंप्यूटर भाषाओं के विकास और भारत के योगदान ने इसे दुनिया के सबसे प्रमुख तकनीकी देशों में से एक बना दिया है।
See lessउपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के क्षेत्र में भारत ने क्या प्रगति की है? एक से अधिक उपग्रहों को एकसाथ अंतरिक्ष में भेजे जाने के सकारात्मक एवं ऋणात्मक पक्ष को स्पष्ट करें। भारत के इस क्षेत्र में प्रवेश करने से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में किस प्रकार सहायता मिली है? [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
भारत द्वारा उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने में प्रगति भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और विशेष रूप से उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के क्षेत्र में देश ने उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने समय-समय पर कई महत्वपूर्ण उपग्रहोंRead more
भारत द्वारा उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने में प्रगति
भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और विशेष रूप से उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के क्षेत्र में देश ने उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने समय-समय पर कई महत्वपूर्ण उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है, जो न केवल भारत बल्कि विश्वभर में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की छवि को मजबूत करने में सहायक रहे हैं।
भारत की प्रमुख उपलब्धियां
एक साथ कई उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के सकारात्मक और ऋणात्मक पहलू
सकारात्मक पहलू
ऋणात्मक पहलू
भारत के लिए आर्थिक फायदे और अंतरिक्ष में प्रवेश से मिलने वाली सहायता
आर्थिक विकास में योगदान
निष्कर्ष
भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं और उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत की है। एक साथ कई उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने से लागत में कमी आई है और भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिली है। हालांकि, इसके कुछ जोखिम भी हैं, जैसे एक ही मिशन में कई उपग्रहों का नुकसान होने का खतरा।
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