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क्यूरी तापमान को परिभाषित करें ।
क्यूरी तापमान क्यूरी तापमान वह तापमान है, जिस पर किसी मैग्नेटिक सामग्री की मैग्नेटिज़्म खत्म हो जाती है। उदाहरण: लोहे का क्यूरी तापमान लगभग 770 डिग्री सेल्सियस है।
क्यूरी तापमान
क्यूरी तापमान वह तापमान है, जिस पर किसी मैग्नेटिक सामग्री की मैग्नेटिज़्म खत्म हो जाती है।
असंक्रामक बीमारियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
असंक्रामक बीमारियाँ असंक्रामक बीमारियाँ (Non-Communicable Diseases - NCDs) वे बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित नहीं होती हैं। इनमें मुख्यतः हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर, और मानसिक रोग शामिल हैं। ये बीमारियाँ जीवनशैली, आहार और पर्यावरणीय कारकों के कारण होती हैं। प्रमुख कारण 1. अस्वRead more
असंक्रामक बीमारियाँ
असंक्रामक बीमारियाँ (Non-Communicable Diseases – NCDs) वे बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित नहीं होती हैं। इनमें मुख्यतः हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर, और मानसिक रोग शामिल हैं। ये बीमारियाँ जीवनशैली, आहार और पर्यावरणीय कारकों के कारण होती हैं।
प्रमुख कारण
1. अस्वस्थ जीवनशैली
2. अस्वास्थ्यकर आहार
3. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य
प्रभाव
असंक्रामक बीमारियों का समाज पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। ये न केवल व्यक्तियों की सेहत को प्रभावित करती हैं, बल्कि स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर भी बोझ डालती हैं। आर्थिक दृष्टि से, इन बीमारियों के कारण चिकित्सा खर्च और कार्यस्थल पर अनुपस्थिति बढ़ती है।
निष्कर्ष
असंक्रामक बीमारियाँ एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती हैं। इनसे बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, संतुलित आहार लेना, और नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। जागरूकता फैलाने और निवारक उपायों को अपनाने से हम इन बीमारियों को नियंत्रित कर सकते हैं।
See lessभारत में कुपोषण से निपटने के लिये आई सी डी एस के संदर्भ और उद्देश्य की चर्चा कीजिए।
आई सी डी एस का संदर्भ आई सी डी एस (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज) भारत सरकार द्वारा कुपोषण और मातृ एवं बाल स्वास्थ्य को सुधारने के लिए स्थापित एक महत्वपूर्ण योजना है। यह योजना 1975 में शुरू हुई थी और इसका उद्देश्य समग्र रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण को बेहतर बनाना है। उद्देश्य आईRead more
आई सी डी एस का संदर्भ
आई सी डी एस (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज) भारत सरकार द्वारा कुपोषण और मातृ एवं बाल स्वास्थ्य को सुधारने के लिए स्थापित एक महत्वपूर्ण योजना है। यह योजना 1975 में शुरू हुई थी और इसका उद्देश्य समग्र रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण को बेहतर बनाना है।
उद्देश्य
आई सी डी एस के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
1. कुपोषण का निदान
2. स्वास्थ्य सेवाएँ
3. शिक्षा का प्रचार
4. सामाजिक सुरक्षा
निष्कर्ष
आई सी डी एस योजना भारत में कुपोषण के खिलाफ एक मजबूत रणनीति है। इसके द्वारा बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार किया जा रहा है, जिससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके। यह योजना न केवल पोषण बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
See lessकुटुम्ब न्यायालय' की अवधारणा और उसके क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
कुटुम्ब न्यायालय की अवधारणा कुटुम्ब न्यायालय एक विशेष प्रकार का न्यायालय है, जिसे परिवारिक विवादों के समाधान के लिए स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य परिवार के सदस्यों के बीच विवादों को सरल और त्वरित तरीके से सुलझाना है। यह अदालत केवल नागरिक मामलों को सुनती है, जो पारिवारिक संबंधों से जुड़े होते हैRead more
कुटुम्ब न्यायालय की अवधारणा
कुटुम्ब न्यायालय एक विशेष प्रकार का न्यायालय है, जिसे परिवारिक विवादों के समाधान के लिए स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य परिवार के सदस्यों के बीच विवादों को सरल और त्वरित तरीके से सुलझाना है। यह अदालत केवल नागरिक मामलों को सुनती है, जो पारिवारिक संबंधों से जुड़े होते हैं, जैसे विवाह, तलाक, भरण-पोषण आदि।
क्षेत्राधिकार
कुटुम्ब न्यायालय के पास विभिन्न प्रकार के मामलों का समाधान करने का अधिकार होता है। इसके कुछ प्रमुख क्षेत्राधिकार निम्नलिखित हैं:
1. विवाह और तलाक
2. भरण-पोषण
3. संपत्ति विवाद
4. अभिभावकता अधिकार
5. सामाजिक न्याय
निष्कर्ष
कुटुम्ब न्यायालय एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो पारिवारिक विवादों का त्वरित समाधान करती है। यह न केवल न्याय प्रदान करती है, बल्कि समाज में स्थिरता और शांति को भी बनाए रखती है। इसके माध्यम से परिवारिक मुद्दों को संवेदनशीलता और समझ के साथ सुलझाया जा सकता है।
See lessसंस्कृति को परिभाषित कीजिए तथा संस्कृति के कुछ महत्वपूर्ण कार्यों की रूपरेखा तैयार कीजिए।
संस्कृति की परिभाषा संस्कृति एक सामाजिक प्रक्रिया है, जो मानव समाज के जीवन के विभिन्न पहलुओं को संचित करती है। इसमें भाषा, धर्म, नैतिकता, कला, और रीति-रिवाज शामिल होते हैं। संस्कृति व्यक्ति और समाज के बीच संबंध स्थापित करती है और सामाजिक पहचान को परिभाषित करती है। संस्कृति के महत्वपूर्ण कार्य संस्कृRead more
संस्कृति की परिभाषा
संस्कृति एक सामाजिक प्रक्रिया है, जो मानव समाज के जीवन के विभिन्न पहलुओं को संचित करती है। इसमें भाषा, धर्म, नैतिकता, कला, और रीति-रिवाज शामिल होते हैं। संस्कृति व्यक्ति और समाज के बीच संबंध स्थापित करती है और सामाजिक पहचान को परिभाषित करती है।
संस्कृति के महत्वपूर्ण कार्य
संस्कृति के कई महत्वपूर्ण कार्य हैं, जो समाज को एकजुट करते हैं और उसे पहचान प्रदान करते हैं। यहाँ कुछ मुख्य कार्य दिए गए हैं:
1. पहचान का निर्माण
2. सामाजिकता को बढ़ावा
3. ज्ञान का संरक्षण
4. नैतिक मूल्यों का निर्माण
5. आध्यात्मिक विकास
निष्कर्ष
संस्कृति मानव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, जो न केवल पहचान प्रदान करती है, बल्कि समाज में एकता और सहयोग को भी बढ़ावा देती है। यह हमें हमारे अतीत से जोड़ती है और भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करती है।
See lessभारत सरकार द्वारा अपनाई गयी "राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020" के 'नये 5+3 +3+4 डिज़ाइन में स्कूली पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र का पुनर्गठन' क्या है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का 5+3+3+4 डिज़ाइन भारत सरकार द्वारा लागू की गई "राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020" में शिक्षा प्रणाली का एक नया ढांचा प्रस्तुत किया गया है, जिसे 5+3+3+4 डिज़ाइन कहा जाता है। यह डिज़ाइन बच्चों की विकासात्मक जरूरतों के अनुसार तैयार किया गया है। 5+3+3+4 संरचना 5 वर्ष: प्रारंभिक शिकRead more
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का 5+3+3+4 डिज़ाइन
भारत सरकार द्वारा लागू की गई “राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020” में शिक्षा प्रणाली का एक नया ढांचा प्रस्तुत किया गया है, जिसे 5+3+3+4 डिज़ाइन कहा जाता है। यह डिज़ाइन बच्चों की विकासात्मक जरूरतों के अनुसार तैयार किया गया है।
5+3+3+4 संरचना
शिक्षाशास्त्र का पुनर्गठन
नीति में शिक्षाशास्त्र को पुनर्गठित किया गया है, ताकि इसे अधिक प्रासंगिक और संवादात्मक बनाया जा सके।
बच्चों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने पर जोर दिया जाएगा, जैसे परियोजनाएँ और समूह कार्य।
निष्कर्ष
इस नये 5+3+3+4 डिज़ाइन के माध्यम से शिक्षा प्रणाली को अधिक समग्र और संतुलित बनाने का प्रयास किया गया है। इससे बच्चों की सभी क्षमताओं का विकास संभव होगा, जिससे वे एक सक्षम नागरिक बन सकें।
See lessआप भारत के संविधान में स्थापित अनुच्छेद 15(4) और 15(5) के प्रावधानों पर कैसे विचार करना चाहेंगे ?
अनुच्छेद 15(4) और 15(5) का महत्व भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(4) और 15(5) विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये अनुच्छेद यह सुनिश्चित करते हैं कि राज्य उन वर्गों को शिक्षा और रोजगार में विशेष अवसर प्रदान कर सके जो ऐतिहासिक रूप से वंचितRead more
अनुच्छेद 15(4) और 15(5) का महत्व
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(4) और 15(5) विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये अनुच्छेद यह सुनिश्चित करते हैं कि राज्य उन वर्गों को शिक्षा और रोजगार में विशेष अवसर प्रदान कर सके जो ऐतिहासिक रूप से वंचित रहे हैं।
अनुच्छेद 15(4)
अनुच्छेद 15(4) के अंतर्गत, राज्य को यह अधिकार दिया गया है कि वह सामाजिक रूप से और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान कर सके।
अनुच्छेद 15(5)
अनुच्छेद 15(5) के तहत, राज्य शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष प्रावधान कर सकता है।
सामाजिक न्याय की दिशा में कदम
इन अनुच्छेदों का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना है। यह सुनिश्चित करता है कि वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाया जा सके।
निष्कर्ष
अनुच्छेद 15(4) और 15(5) भारत के संविधान के महत्वपूर्ण प्रावधान हैं जो सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने में सहायक हैं। इनसे पिछड़े वर्गों को अधिकार मिलते हैं, जो एक समृद्ध और समान समाज की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
See lessमध्यप्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के कारण और उसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव बतलाइये ।
मध्यप्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के कारण सांस्कृतिक कारण पारंपरिक सोच के अनुसार, अधिक संतान होना गर्व का विषय माना जाता है। उदाहरण: ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों में बच्चों की संख्या अधिक होती है। शिक्षा की कमी शिक्षा का अभाव जनसंख्या वृद्धि को बढ़ाता है, विशेषकर महिलाओं में। उदाहरण: यदि महिलाएँ शिक्Read more
मध्यप्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के कारण
जनसंख्या वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इन कारणों और प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, मध्यप्रदेश को जनसंख्या वृद्धि के प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
See lessभुगतान संतुलन में असाम्यता के कोई पाँच प्रमुख कारण लिखिये एवं भारत के संदर्भ में इसे दूर करने के उपाय बताइये ।
भुगतान संतुलन में असाम्यता के प्रमुख कारण व्यापार घाटा जब आयात निर्यात से अधिक होता है, तो व्यापार घाटा होता है। उदाहरण: अगर भारत अधिक तेल आयात करता है और कम निर्यात करता है, तो यह घाटा बढ़ाता है। विदेशी निवेश में कमी अगर विदेशी निवेश में गिरावट आती है, तो इससे विदेशी मुद्रा की कमी होती है। उदाहरण:Read more
भुगतान संतुलन में असाम्यता के प्रमुख कारण
भारत में असाम्यता को दूर करने के उपाय
इन उपायों से भारत भुगतान संतुलन में असाम्यता को कम कर सकता है और आर्थिक स्थिरता प्राप्त कर सकता है।
See lessराष्ट्रीय आय की गणना की विभिन्न विधियाँ लिखिये तथा भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस विधि से की जाती है? उल्लेख कीजिये ।
राष्ट्रीय आय की गणना की विधियाँ राष्ट्रीय आय की गणना के लिए तीन प्रमुख विधियाँ हैं: उत्पादन विधि इस विधि में सभी उद्योगों के उत्पादन का योग किया जाता है। उदाहरण: कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र के योगदान को जोड़कर कुल उत्पादन का अनुमान लगाया जाता है। आय विधि इस विधि में सभी व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारRead more
राष्ट्रीय आय की गणना की विधियाँ
राष्ट्रीय आय की गणना के लिए तीन प्रमुख विधियाँ हैं:
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना मुख्य रूप से उत्पादन विधि से की जाती है। यह विधि विभिन्न क्षेत्रों के उत्पादन के आंकड़ों को एकत्रित करके राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाती है।
उदाहरण के लिए, कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों का उत्पादन जोड़ा जाता है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि देश की कुल आर्थिक स्थिति क्या है।
इस तरह, ये विधियाँ राष्ट्रीय आय की गणना में मदद करती हैं और देश की आर्थिक प्रगति को समझने में सहायक होती हैं।
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