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होल्कर वंश का विवरण दीजिए।
होल्कर वंश का विवरण होल्कर वंश मध्यप्रदेश के इंदौर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मराठा राजवंश था। इस वंश की स्थापना और उनके योगदान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण हैं। स्थापना और इतिहास स्थापना: होल्कर वंश की स्थापना 18वीं शताब्दी में हुई। इस वंश की नींव मालेरकोटला के एक अधिकारी मल्हारराव होल्कर ने रखी थी।Read more
होल्कर वंश का विवरण
होल्कर वंश मध्यप्रदेश के इंदौर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मराठा राजवंश था। इस वंश की स्थापना और उनके योगदान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण हैं।
स्थापना और इतिहास
प्रमुख शासक
प्रशासनिक और सांस्कृतिक योगदान
समापन
होल्कर वंश का योगदान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है। उनकी नीतियों और सांस्कृतिक धरोहर ने मध्यप्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज भी इंदौर में होल्कर वंश की विरासत को देखा जा सकता है।
See lessबुन्देलखण्ड की रियासत का विवरण दीजिए ।
बुन्देलखण्ड की रियासत का विवरण बुन्देलखण्ड, जो मध्यभारत में स्थित है, ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। यहाँ की रियासतें और उनके शासक भारतीय इतिहास में उल्लेखनीय हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि शासकों का शासन: बुन्देलखण्ड का इतिहास चंदेल, बुंदेल और अन्य राजवंशों के शासन काल से भरा हुआ है। चंदेलRead more
बुन्देलखण्ड की रियासत का विवरण
बुन्देलखण्ड, जो मध्यभारत में स्थित है, ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। यहाँ की रियासतें और उनके शासक भारतीय इतिहास में उल्लेखनीय हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्रशासनिक संरचना
सांस्कृतिक धरोहर
समापन
बुन्देलखण्ड की रियासतें भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय हैं। यहाँ का समृद्ध इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला इसे पर्यटन और अध्ययन के लिए एक प्रमुख स्थल बनाता है।
See lessमध्यप्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थलों का विवरण दीजिए।
मध्यप्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल मध्यप्रदेश, जिसे "भारत का हृदय" कहा जाता है, ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों से भरपूर है। यहाँ कुछ प्रमुख स्थलों का विवरण दिया गया है: खजुराहो विवरण: खजुराहो विश्व धरोहर स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और नक्काशी के लिए जाने जाRead more
मध्यप्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल
मध्यप्रदेश, जिसे “भारत का हृदय” कहा जाता है, ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों से भरपूर है। यहाँ कुछ प्रमुख स्थलों का विवरण दिया गया है:
खजुराहो
सांची
उज्जैन
महेश्वर
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
अंतिम शब्द
इन स्थलों के अलावा भी मध्यप्रदेश में कई अन्य ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल हैं। यह राज्य न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
See lessमध्यप्रदेश में स्वतंत्रता आंदोलन का वर्णन कीजिए।
मध्यप्रदेश में स्वतंत्रता आंदोलन मध्यप्रदेश ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ के लोगों ने कई महत्वपूर्ण संघर्षों और आंदोलनों में भाग लिया। प्रारंभिक आंदोलन 1857 का विद्रोह: मध्यप्रदेश में 1857 के विद्रोह का गहरा प्रभाव था। यहाँ के रानी दुर्गावती और रानी कर्मावती जैसी वीराRead more
मध्यप्रदेश में स्वतंत्रता आंदोलन
मध्यप्रदेश ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ के लोगों ने कई महत्वपूर्ण संघर्षों और आंदोलनों में भाग लिया।
प्रारंभिक आंदोलन
महात्मा गांधी का प्रभाव
प्रमुख नेता और आंदोलनों
समापन
इस प्रकार, मध्यप्रदेश ने स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। यहाँ के लोगों की बहादुरी और संघर्ष ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
See lessबालगंगाधर तिलक का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान को रेखांकित कीजिए ।
बालगंगाधर तिलक का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान बालगंगाधर तिलक, जिन्हें "लोकमान्य" कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता थे। उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। राजनीतिक जागरूकता स्वतंत्रता की भावना: तिलक ने "स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है" का नारा दिया, जिसने लोगों में स्वतंत्Read more
बालगंगाधर तिलक का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
बालगंगाधर तिलक, जिन्हें “लोकमान्य” कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता थे। उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
राजनीतिक जागरूकता
सामाजिक सुधार
नागरिक अवज्ञा आंदोलन
इस प्रकार, बालगंगाधर तिलक ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी विचारधारा और नेतृत्व ने भारतीय जनता को स्वतंत्रता के लिए संगठित किया।
See less"आर्य समाज मिशन" के सामाजिक तथा शैक्षणिक योगदानों का वर्णन कीजिए।
आर्य समाज मिशन के सामाजिक और शैक्षणिक योगदान आर्य समाज मिशन का उद्देश्य समाज में सुधार लाना और शिक्षा का प्रचार करना है। इसके कई महत्वपूर्ण योगदान हैं: सामाजिक योगदान जाति प्रथा का विरोध: आर्य समाज ने जाति प्रथा और छुआछूत का vehement विरोध किया। यह समाज में समानता की भावना को बढ़ावा देने में मददगारRead more
आर्य समाज मिशन के सामाजिक और शैक्षणिक योगदान
आर्य समाज मिशन का उद्देश्य समाज में सुधार लाना और शिक्षा का प्रचार करना है। इसके कई महत्वपूर्ण योगदान हैं:
सामाजिक योगदान
शैक्षणिक योगदान
इस प्रकार, आर्य समाज मिशन ने समाज को जागरूक बनाने और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन आया।
See lessदक्षिण के नासूर ने औरंगजेब का विनाश कर दिया'। इस कथन के आधार पर औरंगजेब की दक्षिण की नीति की विवेचना कीजिए ।
औरंगजेब की दक्षिण नीति की विवेचना 'दक्षिण के नासूर ने औरंगजेब का विनाश कर दिया' इस कथन का अर्थ है कि दक्षिण भारत में औरंगजेब की नीतियों ने उसे कमजोर कर दिया। औरंगजेब ने दक्षिण में अपने साम्राज्य का विस्तार करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी नीतियाँ विवादास्पद रहीं। धार्मिक कट्टरता: औरंगजेब ने धार्मिक सRead more
औरंगजेब की दक्षिण नीति की विवेचना
‘दक्षिण के नासूर ने औरंगजेब का विनाश कर दिया’ इस कथन का अर्थ है कि दक्षिण भारत में औरंगजेब की नीतियों ने उसे कमजोर कर दिया। औरंगजेब ने दक्षिण में अपने साम्राज्य का विस्तार करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी नीतियाँ विवादास्पद रहीं।
इस प्रकार, औरंगजेब की दक्षिण नीति उनके विनाश का कारण बनी। उनकी कट्टर नीतियों और स्थानीय विद्रोहों ने उनके साम्राज्य को कमजोर किया, और अंततः यह उनके शासन के पतन में सहायक रहा।
See lessमुहम्मद तुगलक को विरोधी गुणों का सम्मिश्रण कहा जाता है।' इस कथन की विवेचना कीजिए ।
मुहम्मद तुगलक: विरोधी गुणों का सम्मिश्रण मुहम्मद तुगलक को इतिहास में विरोधी गुणों का सम्मिश्रण कहा जाता है। उनके शासनकाल (1324-1351) में कई सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का समावेश था। उन्नत सोच: तुगलक ने कई प्रशासनिक और सामाजिक सुधारों की कोशिश की। उन्होंने दिल्ली को राजधानी से दौलताबाद स्थानांतरितRead more
मुहम्मद तुगलक: विरोधी गुणों का सम्मिश्रण
मुहम्मद तुगलक को इतिहास में विरोधी गुणों का सम्मिश्रण कहा जाता है। उनके शासनकाल (1324-1351) में कई सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का समावेश था।
इस प्रकार, मुहम्मद तुगलक का शासनकाल विरोधाभासों से भरा हुआ था। उनके साहसी निर्णय और प्रशासनिक सुधारों ने उन्हें एक अद्वितीय शासक बनाया, लेकिन उनकी कठोर नीतियों और असफलताओं ने उन्हें विवादास्पद भी बना दिया।
See lessगुप्तकाल में कला एवं स्थापत्य के विकास का वर्णन कीजिए ।
गुप्तकाल में कला एवं स्थापत्य का विकास गुप्तकाल (लगभग 320 से 550 ई.) भारतीय इतिहास का स्वर्णिम काल माना जाता है। इस समय कला और स्थापत्य में अद्भुत विकास हुआ। मूर्ति कला: गुप्तकाल में मूर्तियों की कला अत्यंत विकसित हुई। भगवान विष्णु, भगवान शिव और देवी दुर्गा की सुंदर मूर्तियाँ बनाई गईं। गुप्त काल कीRead more
गुप्तकाल में कला एवं स्थापत्य का विकास
गुप्तकाल (लगभग 320 से 550 ई.) भारतीय इतिहास का स्वर्णिम काल माना जाता है। इस समय कला और स्थापत्य में अद्भुत विकास हुआ।
गुप्तकाल ने भारतीय कला और स्थापत्य में स्थायी छाप छोड़ी, जो आज भी देखने को मिलती है। यह काल भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
See lessसिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी' इस कथन के संबंध में आपका क्या मत है ?
सिंधु घाटी सभ्यता: एक नगरीय सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता को एक नगरीय सभ्यता माना जाता है, और इसके कई महत्वपूर्ण कारण हैं। विकसित नगर योजना: सिंधु घाटी के नगरों, जैसे मोहनजोदड़ो और हड़प्पा, की योजना अत्यंत विकसित थी। यहाँ के घर ईंटों से बने थे, और सड़कों का निर्माण सही दिशा में किया गया था। घरों में नालिRead more
सिंधु घाटी सभ्यता: एक नगरीय सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता को एक नगरीय सभ्यता माना जाता है, और इसके कई महत्वपूर्ण कारण हैं।
इन सभी कारणों से, सिंधु घाटी सभ्यता को एक नगरीय सभ्यता के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह सभ्यता अपने समय में अत्यंत विकसित और संगठित थी।
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