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प्रेस को लोकतन्त्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। चर्चा कीजिए ।
प्रेस: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है क्योंकि यह सूचना के प्रवाह को सुनिश्चित करता है। महत्वपूर्ण भूमिकाएँ जानकारी प्रदान करना: नागरिकों को सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में जागरूक करना। पारदर्शिता: भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर नजर रखना, जिससे सत्ता परRead more
प्रेस: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है क्योंकि यह सूचना के प्रवाह को सुनिश्चित करता है।
महत्वपूर्ण भूमिकाएँ
प्रेस की स्वतंत्रता और निष्पक्षता लोकतंत्र को मजबूत बनाती है।
See lessराष्ट्रीय जनजाति आयोग की संरचना और शक्तियों को स्पष्ट कीजिए ।
राष्ट्रीय जनजाति आयोग की संरचना और शक्तियाँ राष्ट्रीय जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी संरचना में शामिल हैं: अध्यक्ष: एक अध्यक्ष जो आयोग का नेतृत्व करता है। सदस्य: विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ और जनजातीय नेता शामिल होते हैं। शक्तियाँ सलाह देने की शक्ति: जनजातीय कल्याण के मुद्दों पर सरकार कRead more
राष्ट्रीय जनजाति आयोग की संरचना और शक्तियाँ
राष्ट्रीय जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी संरचना में शामिल हैं:
शक्तियाँ
इन शक्तियों के माध्यम से आयोग जनजातियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessराष्ट्रीय जनजाति आयोग की संरचना और शक्तियों को स्पष्ट कीजिए ।
राष्ट्रीय जनजाति आयोग की संरचना और शक्तियाँ राष्ट्रीय जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी संरचना में शामिल हैं: अध्यक्ष: एक अध्यक्ष जो आयोग का नेतृत्व करता है। सदस्य: विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ और जनजातीय नेता शामिल होते हैं। शक्तियाँ सलाह देने की शक्ति: जनजातीय कल्याण के मुद्दों पर सरकार कRead more
राष्ट्रीय जनजाति आयोग की संरचना और शक्तियाँ
राष्ट्रीय जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी संरचना में शामिल हैं:
शक्तियाँ
इन शक्तियों के माध्यम से आयोग जनजातियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessभारतीय चुनाव आयोग के कर्तव्यों एवं कार्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए ।
भारतीय चुनाव आयोग के कर्तव्य और कार्य भारतीय चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना है। इसके प्रमुख कर्तव्य हैं: चुनाव की व्यवस्था: लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों का आयोजन। मतदाता सूची का निर्माण: मतदाता सूची को अद्यतित रखना और चुनावी प्रक्रिया मेंRead more
भारतीय चुनाव आयोग के कर्तव्य और कार्य
भारतीय चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना है। इसके प्रमुख कर्तव्य हैं:
इन कार्यों से लोकतंत्र को सशक्त और स्थिर बनाया जाता है।
See lessनीति आयोग के मार्गदर्शक सिद्धान्तों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
नीति आयोग के मार्गदर्शक सिद्धान्त नीति आयोग के मार्गदर्शक सिद्धान्त भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें शामिल हैं: सतत विकास: पर्यावरण की सुरक्षा के साथ आर्थिक विकास। समावेशिता: सभी वर्गों को विकास में शामिल करना, जैसे महिलाओं और कमजोर समूहों का समर्थन। स्वायत्तता: राज्यों को अपनी नीतियों मेंRead more
नीति आयोग के मार्गदर्शक सिद्धान्त
नीति आयोग के मार्गदर्शक सिद्धान्त भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें शामिल हैं:
इन सिद्धान्तों से समग्र विकास को बढ़ावा मिलता है।
See lessराज्य स्वायत्तता' को परिभाषित कीजिए तथा भारत में राज्य स्वायत्तता की माँग के उदय के कारण बताएँ ।
राज्य स्वायत्तता की परिभाषा राज्य स्वायत्तता का मतलब है कि राज्यों को अपने आंतरिक मामलों में स्वतंत्रता और अधिकार प्राप्त हो, ताकि वे स्वयं निर्णय ले सकें। भारत में राज्य स्वायत्तता की माँग के उदय के कारण संस्कृतिक पहचान: विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लिए अपनी पहचान बनाए रखने की इच्छा। आर्थिक विकRead more
राज्य स्वायत्तता की परिभाषा
राज्य स्वायत्तता का मतलब है कि राज्यों को अपने आंतरिक मामलों में स्वतंत्रता और अधिकार प्राप्त हो, ताकि वे स्वयं निर्णय ले सकें।
भारत में राज्य स्वायत्तता की माँग के उदय के कारण
इन कारणों ने राज्य स्वायत्तता की माँग को बढ़ावा दिया है।
See lessसंवैधानिक संशोधनों के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के लिये उठाए गए कदमों को लिखिए ।
संवैधानिक संशोधनों के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन प्रमुख कदम संशोधन 73 और 74: पंचायती राज और नगर निकायों का गठन, स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा दिया। संशोधन 9: महिलाओं के लिए संपत्ति अधिकारों में सुधार, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। संशोधन 21: शिक्षा का अधिकार, सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्णRead more
संवैधानिक संशोधनों के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन
प्रमुख कदम
इन संशोधनों ने भारत में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा दिया है।
See lessआदेश की एकता' का विचार क्या है ?
'आदेश की एकता' का विचार परिभाषा आदेश की एकता का अर्थ है कि किसी भी कार्य के लिए केवल एक ही superior से आदेश मिलना चाहिए। विशेषताएँ स्पष्टता: आदेश की एकता से कार्य में स्पष्टता और उत्तरदायित्व बढ़ता है। संघर्ष की कमी: एक ही स्रोत से आदेश मिलने पर टकराव की संभावना कम होती है। उदाहरण एक कर्मचारी को केवRead more
‘आदेश की एकता’ का विचार
परिभाषा
आदेश की एकता का अर्थ है कि किसी भी कार्य के लिए केवल एक ही superior से आदेश मिलना चाहिए।
विशेषताएँ
उदाहरण
मैक्स वेबर द्वारा वर्णित प्राधिकारों के प्रकारों को इंगित कीजिए ।
मैक्स वेबर द्वारा वर्णित प्राधिकारों के प्रकार तीन प्रकार कानूनी प्राधिकार: विधिक नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित। परंपरागत प्राधिकार: परंपराओं और रिवाजों से उत्पन्न। चारिश्माई प्राधिकार: नेता के व्यक्तिगत गुणों और करिश्मे से उत्पन्न। उदाहरण कानूनी प्राधिकार: न्यायालय का आदेश, चारिश्माई प्राधिकार: मRead more
मैक्स वेबर द्वारा वर्णित प्राधिकारों के प्रकार
तीन प्रकार
उदाहरण
नवीन लोक प्रबंधन के 'तीन ई' क्या हैं ?
नवीन लोक प्रबंधन के 'तीन ई' तीन ई प्रभावशीलता (Effectiveness): कार्यों का सही तरीके से और लक्ष्यों के अनुसार पूरा होना। क्षमता (Efficiency): संसाधनों का उचित और कम लागत में उपयोग करना। गुणवत्ता (Quality): सेवाओं और उत्पादों की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करना। उदाहरण सरकारी सेवाओं में समय पर और बेहतर सेRead more
नवीन लोक प्रबंधन के ‘तीन ई’
तीन ई
उदाहरण