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नियोजित विकास स्वतंत्रता के बाद भारत में किए गए महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों में से एक था। इस संदर्भ में, चर्चा कीजिए कि द्वितीय पंचवर्षीय योजना को मील का पत्थर क्यों माना जाता है। (200 words)
द्वितीय पंचवर्षीय योजना का महत्त्व द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961) भारत के नियोजित विकास का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जाती है। यह योजना औद्योगिकीकरण पर विशेष ध्यान केंद्रित करती थी और भारत के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए गए थे। औद्योगिकीकरण पर जोर द्वितीय पंचवर्षीय योजRead more
द्वितीय पंचवर्षीय योजना का महत्त्व
द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961) भारत के नियोजित विकास का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जाती है। यह योजना औद्योगिकीकरण पर विशेष ध्यान केंद्रित करती थी और भारत के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए गए थे।
औद्योगिकीकरण पर जोर
द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत भारत ने भारी उद्योगों की स्थापना पर जोर दिया, जैसे कि BHEL (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) और SAIL (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड)। इन उद्योगों की स्थापना से न केवल औद्योगिक उत्पादन बढ़ा, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम और बढ़ा।
आवश्यक बुनियादी ढांचा
इस योजना में पावर प्लांट्स, रेलवे और सड़कें जैसी बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान दिया गया। इससे औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला और विकास की प्रक्रिया को गति मिली।
आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
द्वितीय पंचवर्षीय योजना ने आयात प्रतिस्थापन नीति को बढ़ावा दिया, जिससे देश को विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम करने की दिशा में मदद मिली। इसका प्रभाव आज भी आत्मनिर्भर भारत के रूप में देखा जा सकता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, द्वितीय पंचवर्षीय योजना ने भारत को औद्योगिकीकरण और बुनियादी ढांचे के मामले में एक मजबूत नींव प्रदान की, जो आगे चलकर भारत के आर्थिक विकास में सहायक सिद्ध हुई।
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